पिछले तीन साल में विभिन्न एयर लाइनों के 132 पायलट उड़ान भरने से पहले शराब का सेवन किये हुये पाये गये। नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने आज राज्यसभा में प्रश्न काल के दौरान बताया कि साल 2015 में 43, 2016 में 44 और 2017 में 45 पायलट उड़ान पूर्व चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान श्वांस विश्लेषण में शराब का सेवन किये हुये पाये गये।
प्रभु ने बताया कि हवायी यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये पायलट और विमानन सेवा कर्मचारियों को नशे की हालत में काम करने से रोकने के लिये भारत में अन्य देशों की तुलना में कड़े उपाय सुनिश्चित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि विदेशों में पायलटों को नशे में उड़ान भरने से रोकने के लिये पायलटों का औचक निरीक्षण किया जाता है जबकि भारत में प्रत्येक उड़ान से पहले प्रत्येक पायलट और क्रू मेंबर्स का श्वांस विश्लेषण परीक्षण किया जाता है। इसका नतीजा है कि औसतन 40 हजार में एक पायलट ही उड़ान से पहले नशे की हालत में पाया गया।

आंकड़ों के हवाले से उन्होंने बताया कि तीन साल में दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों पर सर्वाधिक संख्या में पायलटों की एल्कोहल टेस्ट रिपोर्ट सकारात्मक पायी गयी। दिल्ली हवाई अड्डे पर यह संख्या बढ़ रही है। यहां 2015 में 11, 2016 में 14 और 2017 में 16 पायलट उड़ान से पहले शराब का सेवन किये पाये गये। जबकि मुंबई में 2015 में 13, 2016 में 12 और 2017 में नौ पायलट एल्कोहल टेस्ट में पकड़े गये।

पकड़े गये पायलटों में सर्वाधिक 31 पायलट इंडिगो के, जेट एयरवेज के 29, एयर इंडिया के 28 और स्पाइस जेट के 20 पायलट शामिल हैं। उन्होंने बताया कि उड़ान से पहले शराब के नशे में पकड़े गये पायलटों के खिलाफ नियमों के मुताबिक कार्रवायी की गयी है। प्रभु ने स्पष्ट किया कि पायलटों को न सिर्फ उड़ान से पहले बल्कि भारत में अंतरराष्ट्रीय उड़ान पहुंचने पर भी एल्कोहल एवं अन्य जरूरी परीक्षण की प्रक्रिया से गुजरना होता है।