पिछले कई दिनों से कृषि कानूनों को लेकर जारी किसानों के आंदोलन के छठे चरण की बातचीत से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से 13 नेताओं की मंगलवार को महत्वपूर्ण बैठक हो रही है। किसान आंदोलन के चलते दिल्ली समेत कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन से सड़क यातायात, व्यापार आदि पर असर पड़ रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी दोनों पक्षों में गतिरोध बना हुआ है।

इस बीच मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से 13 किसानों की मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ये वे नेता हैं जो कानून को खत्म करने के बजाए इसमें संशोधन के लिए तैयार हैं। इन नेताओं की कोशिश आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से जल्द से जल्द सुलह के अंजाम तक पहुंचाने की है। आइए जानते हैं ये कौन-कौन नेता हैं। इनमें सबसे प्रमुख नाम भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का है। शाम की बातचीत से पहले राकेश टिकैत ने मीडिया को संकेत दिया था कि गाजीपुर बॉर्डर खुलवा देंगे। साथ ही अन्य किसान संघों से भी बात करने के लिए सिंघू सीमा जाएंगे।

1. राकेश टिकैत राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के शीर्ष और कद्दावर नेता रहे महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं। यह भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों की आवाज को लेकर कई बार सड़क पर आंदोलन कर चुके हैं। पिछले महीने भी वह हजारों किसानों के साथ मांगों को लेकर दिल्ली पहुंचे थे। उनके आह्वान पर हजारों किसान वहां एकत्र हुए थे।

2. गुरनाम सिंह चन्नानी गुरुनाम सिंह चन्नानी (60) हरियाणा के कुरुक्षेत्र के बड़े किसान और अढ़तिया हैं। वह कई वर्षों से किसानों के मुद्दों को लेकर संघर्ष करते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे स्वयं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए थे।

3. हन्नाह मोल्लाह पश्चिम बंगाल के हन्नाह मोल्लाह (74) आल इंडिया किसान सभा के नेता हैं और सीपीएम के सदस्य हैं। उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में सीपीएम ज्वाइन की थी और पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

4. शिव कुमार कक्का जी मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के शिवकुमार कक्का जेपी आंदोलन से जुड़े रहे है। वे भी सरकार से वार्ता में शामिल रहे।

5. बलवीर सिंह राजेवाल (77)  बीकेयू (राजेवाल) के नेता हैं। लुधियाना में जन्म बलबीर सिंह 1971 से किसान यूनियन के सदस्य हैं। उनके पास 60 एकड़ जमीन है। वह स्कूल, कालेज और एक “आनेस्टी” नाम की दुकान चलाते हैं, जिसमें कोई दुकानदार नहीं रहता है, बल्कि एक बाक्स रखा रहता है और ग्राहक को जो लेना होता है, उसका पैसा उसमें डालकर ले लेता है। वह कहते हैं कि वे जीवन में किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े।

6. रुलदू सिंह मानसा पंजाब किसान यूनियन के रुल्डू सिंह मंसा (68) मालवा में प्रभावशाली हैं और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन से जुड़े हैं।

7. मंजीत सिंह राय मंजीत सिंह भी प्रमुख किसान नेता हैं और कई बार किसान आंदोलन में सक्रिय रहे हैं।

8. बूटा सिंह बुर्जगिल बीकेयू (एकता डाकोंडा) के बूटा सिंह बुर्ज गिल (66) 1984 से किसानों के लिए काम कर रहे हैं और पंजाब राजभवन का कई दिनों तक घेराव किया था।

9. हरिंदर सिंह लखोवाल हरिंदर सिंह भी प्रमुख किसान नेता हैं और किसानों की मांग को लेकर आवाज उठाते रहते हैं।

10. दर्शन पाल मालवा क्षेत्र के क्रांतिकारी किसान यूनियन के डॉ. दर्शन पाल (70) मेडिकल सर्विस छोड़कर अपने पैतृक 15 एकड़ जमीन पर खेती शुरू की थी।

11. कुलवंत सिंह संधू जम्हूरियत किसान सभा के कुलवंत सिंह संधू (65) वामपंथी नेता हैं और रिवोल्यूशनरी मार्क्सिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के सेंट्रल कमेटी के सदस्य हैं।

12. बोध सिंह मानसा बोघ सिंह मंसा (68) भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं। वह पिछले 42 साल से किसानों के मुद्दे पर संघर्ष कर रहे हैं। वह पंजाब छात्र संघ से भी जुड़े हैं।

13. जगजीत सिंह दल्लेवाल 17 एकड़ भूमि के मालिक जगजीत सिंह दल्लेवाल एक किसान परिवार से हैं। वह तीन दशक से किसान आंदोलन से जुड़े हैं। उनका कहना है कि कृषि कानूनों से किसानों का जो नुकसान होगा, वह एक फसल नहीं बोने से ज्यादा है।