नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन’ (एनएसएम) के तहत भारत अब स्वदेशी सुपरकंप्यूटर के उत्पादन की तैयारी में है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस- एआइ) का इस्तेमाल किया जा रहा है। केंद्र सरकार की संस्था ‘सीडैक’ में 100 एआइ प्रणालियां विकसित कर सुपर कंप्यूटर प्रणाली में लगाया गया है। यह एआइ से जुड़े व्यापक स्तर के कामकाज को बड़ी आसानी से संभाल सकता है।
भारत में 2015 से एनएसएम के अंतर्गत देश में सुपरकंप्यूटरों की शृंखला तैयार की जा रही है। शिक्षा, शोध और अनुसंधान से लेकर उद्योग, वाणिज्य, अंतरिक्ष अभियान, मौसम पूर्वानुमान तथा तेल ढूंढ़ने की मुहिम से लेकर दवाइयों की खोज में सुपरकंप्यूटर की भूमिका अहम है। मिशन के प्रथम चरण भारत ने सुपरकंप्यूटर के पुरजों का आयात कर देश में सुपरकंप्यूटर बनाने की शुरुआत की।
2022 तक देश के 75 संस्थानों को सुपरकंप्यूटर से जोड़ने की मुहिम के अंतर्गत पहले सुपरकंप्यूटर ‘परम शिवाय’ (गणना क्षमता 837 टेराफ्लॉप) को वर्ष 2019 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) बीएचयू, वाराणसी में स्थापित किया गया। इसके बाद, 1.66 पेटाफ्लॉप और 797 टेराफ्लॉप के दो और सुपरकंप्यूटर क्रमश: आइआइटी खड़गपुर और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइआइएसईआर), पुणे में स्थापित किए गए।
एनएसएम, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआइटीवाइ) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की संयुक्त पहल है। इसे सेंटर फॉर डेवलपमेंट आॅफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सीडैक), पुणे और इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस (आइआइएससी), बंगलुरुद्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। मिशन के दूसरे चरण में देश में सुपरकंप्यूटर नेटवर्क की गति को 16 पेटाफ्लॉप्स (पीएफ) तक पहुंचाने का लक्ष्य है, जो तीसरे चरण (जनवरी 2021) में बढ़कर 45 पेटाफ्लॉप्स तक पहुंच जाएगी।
‘आत्मनिर्भरता’ को लक्ष्य बनाकर भारत में सुपरकंप्यूटर के पुरजे जोड़ने के अतिरिक्त उनके विनिर्माण के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए 14 प्रमुख संस्थानों के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनमें आइआइटी, एनआइटी, नेशनल लैब और आइआइएसईआर जैसे संस्थान शामिल हैं। इसके अंतर्गत कुछ संस्थानों में सुपरकंप्यूटर स्थापित किए जा भी चुके हैं। शेष को 2020 दिसंबर तक स्थापित कर दिया जाएगा। दूसरा चरण अप्रैल 2021 तक पूरा हो जाएगा।
एनएसएम के तीन चरणों के दौरान करीब 75 संस्थानों और हजारों शोधार्थियों एवं अकादमिक जगत से जुड़े लोगों को हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) सुविधाओं तक पहुंच उपलब्ध होगी। ये संस्थान और शोधार्थी नेशनल नॉलेज नेटवर्क (एनकेएन) के जरिए काम करते हैं। एनकेएन सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम की रीढ़ है। एचपीसी और एआइ में एक साथ जोड़ा गया है।
सीडैक में 100 एआइ पीएफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुपर कंप्यूटर सिस्टम विकसित कर इंस्टॉल किया गया है। यह एआइ से जुड़े व्यापक स्तर के कामकाज को बड़ी आसानी से संभाल सकता है। इससे एआइ से जुड़ी कंप्यूटिंग की स्पीड कई गुना बढ़ गई है। इस मिशन ने अगली पीढ़ी के सुपरकंप्यूटर विशेषज्ञों को भी तैयार किया है।
इसके तहत अब तक 2,400 से अधिक पेशेवरों और संकाय सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। इस अभियान में सर्वर बोर्ड, इंटरकनेक्ट प्रोसेसर, सिस्टम सॉफ्टवेयर लाइब्रेरी, स्टोरेज और एचपीसी-एआइआइ कन्वर्ज्ड एक्सीलरेटर जैसे पुरजों को घरेलू स्तर पर डिजाइन और विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत ने एक स्वदेशी सर्वर रुद्र विकसित किया है, जो सभी सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है। यह पहला अवसर है, जब भारत में फुल सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ एक सर्वर सिस्टम बनाया गया है, जिसे सीडैक ने विकसित किया है।
