Parliament Winter Session Updates: राज्यसभा में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण देने संबंधी बिल पर बुधवार (09-01-2018) को दोपहर 1 बजे के बाद से बहस शुरू हुई। रात 10 बजे के बाद इस बिल पर वोटिंग कराई गई। विधेयक को 7 के मुकाबले 165 मतों से पारित कर दिया गया। बिल को सलेक्ट कमेटी के पास नहीं भेजा जाएगा। इसका फैसला भी बहुमत से लिया गया। इससे पहले राज्यसभा में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में मौजूद सभी सदस्यों ने अपने विचार रखे।
इससे पहले राज्यसभा में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में मौजूद सभी सदस्यों ने अपने विचार रखे। इस दौरान लगभग सभी पार्टियों ने इस विधेयक का समर्थन किया। हालांकि, ‘लेकिन’ लगाते हुए कुछ आपत्तियां भी जताई। उनके ‘लेकिन’ पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने साफ शब्दों में कहा कि समर्थन करना है तो खुलकर कीजिए, लेकिन के साथ नहीं। साथ ही यह भी कहा कि केंद्र ही नहीं, राज्यों में भी आरक्षण मिलेगा। वहीं, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम चाहते थे कि इस बिल के एक समिति के पास भेजा जाता, चर्चा होती और उसके बाद पारित किया जाता।
वहींं, चर्चा के दौरान एक अजीबो-गरीब घटना देखने को मिली जब इस विधेयक का विरोध कर रही पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने एक ‘‘झुनझुना’’ दिखाया। झा ने कहा यह झुनझुना फिलहाल सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान के पास है। हिलता तो है, लेकिन बजता नहीं है।
चर्चा के वक्त लोकजन शक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान और बहुजन समाज पार्टी के सांसद सतीश चंद्र मिश्र के बीच तकरार हो गई। दरअसल एलजेपी सुप्रीमो रामविलास पासवान अपनी जगह से खड़े कर अपनी बात रख रहे थे और इस दौरान उन्होंने मायावती का नाम लिया। लेकिन रामविलास पासवान ने मायावती के नाम से पहले बहन नहीं लगाया। यह बात सदन में मौजूद बसपा के सांसद सतीश चंद्र मिश्र को रास नहीं आई।
सतीश चंद्र मिश्र ने बीच में ही रामविलास पासवान को टोकते हुए कहा कि ‘मान्यवर मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि जो सदन में नहीं हैं उनका नाम ले रहे हैं तो जरा अदब से नाम लें। श्रीमान आपको मालूम होना चाहिए की बहन मायावती जी…और अगर आप इस तरह से बात कर रहे हैं तो जरा सोच समझ कर बात करिए।’
बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने चर्चा में भाग लेते हुए इस विधेयक को एक ‘छलावा’ बताया। उन्होंने कहा कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे मैच जिताने वाला छक्का बताया था, लेकिन यह छक्का बाउंड्री भी नहीं पार कर पाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का हश्र फिल्म ‘लगान’ जैसा ही होगा।
रामदास अठावले ने शायराना अंदाज में राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के फैसले पर नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने कांग्रेस पर सवर्णों को छलने का आरोप लगाया।
भाजपा सांसद जी. वी. एल नरसिम्हा राव ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रियल महात्मा बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बिल लाकर सवर्णों की भलाई के लिए काम किया है।
सांसद अमर सिंह ने कहा कि मैं सुबह से पीछे बैठा हूं पीछे बैठने से सदन की पूरी कार्रवाही देखने और समझने को मिलता है। उन्होंने कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि जो लोग विरोध कर रहे हैं वो वोट क्यों दे रहे हैं? इतना गलत बिल है, इतना गंदा बिल है तो वो वोट ना दें। अमर सिंह ने कहा कि सवर्णों ने सबकुछ किया है। अमर सिंह ने अपनी बात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर मोदी जी ने तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले यह बिल लाया होता तो वो कहते कि विधानसभा चुनाव के लिए लाया और अब लाया तो कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लाया। अमर सिंह ने अपनी बात के अंत में दो लाइनें शायरना अंदाज में कही –
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
इस दर्द की दवा क्या है
हमको है उनसे वफा की उम्मीद
जो नहीं जानते वफा क्या है
बता दें कि लोकसभा में इस बिल को बीते मंगलवार को 3 के मुकाबले 323 वोटों से पारित कर दिया गया था।
राज्यसभा में भी इस बिल को पास कर दिया गया। बिल के पक्ष में 165 वोट पड़े तथा विरोध में 7 वोट पड़े
सेलेक्ट कमेटी को बिल भेजने का प्रस्ताव राज्यसभा में गिरा
सांसद अमर सिंह ने कहा कि मैं सुबह से पीछे बैठा हूं पीछे बैठने से सदन की पूरी कार्रवाही देखने और समझने को मिलता है। उन्होंने कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि जो लोग विरोध कर रहे हैं वो वोट क्यों दे रहे हैं? इतना गलत बिल है, इतना गंदा बिल है तो वो वोट ना दें। अमर सिंह ने कहा कि सवर्णों ने सबकुछ किया है। अमर सिंह ने अपनी बात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर मोदी जी ने तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले यह बिल लाया होता तो वो कहते कि विधानसभा चुनाव के लिए लाया और अब लाया तो कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लाया। अमर सिंह ने अपनी बात के अंत में दो लाइनें शायरना अंदाज में कही -
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
इस दर्द की दवा क्या है
हमको है उनसे वफा की उम्मीद
जो नहीं जानते वफा क्या है
भाजपा सांसद जी. वी. एल नरसिम्हा राव ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रियल महात्मा बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बिल लाकर सवर्णों की भलाई के लिए काम किया है।
कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि ब्राह्रमण और मराठा समुदाय में कई लोग गरीब हैं लेकिन इसी तरह मुस्लिम भी काफी गरीब हैं।
रामदास अठावले ने शायराना अंदाज में राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के फैसले पर नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने कांग्रेस पर सवर्णों को छलने का आरोप लगाया।
बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने चर्चा में भाग लेते हुए इस विधेयक को एक 'छलावा' बताया। उन्होंने कहा कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे मैच जिताने वाला छक्का बताया था, लेकिन यह छक्का बाउंड्री भी नहीं पार कर पाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का हश्र फिल्म 'लगान' जैसा ही होगा।
आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि 95 प्रतिशत सवर्ण लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण सरकार दे रही है। जबकि 5 प्रतिशत जो अमीर सवर्ण हैं जिनकी आय 8 लाख से ऊपर है सरकार उनका साथ दे रही है।
लोकसभा में एनडीए सरकार ने बिल को पास करा लिया। लेकिन राज्यसभा में केंद्र सरकार के सामने इस बिल को पास कराने की बड़ी चुनौती है। संविधान संशोधन के लिए सदन के आधे से ज्यादा सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होती है। इसके अलावा विधेयक को दो तिहाई समर्थन से पास होना जरूरी होता है। राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है। ऐसे में सदन में कम से कम 123 सदस्यों की मौजूदगी अनिवार्य होगी। राज्यसभा में भाजपा की संख्या 73 और और एनडीए की संख्या 89 के करीब है। ऐसे में उसे विधेयक को पारित कराने के लिए विपक्ष के सहयोग की जरूरत पड़ेगी।
राज्यसभा में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी विधेयक पर चर्चा जारी है। इस बीच एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि इस बिल को जल्दीबाजी में लाया गया है। इसे पास करने के बाद असली इफेक्ट चुनाव के बाद ही पता चलेगा।
शिरोमणि अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने कहा कि सिर्फ आरक्षण देने से युवा संतुष्ठ नहीं होंगे। नौकरियां क्रिएट करने की जरूरत है। तभी जाकर आरक्षण का सही फायदा मिल पाएगा।
कपिल सिब्बल ने कहा कि हार्दिक पटेल ने जब इसी तरह से आरक्षण की मांग की थी तो उसे देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया गया था। आज उसी बिल को लाया जा रहा है। इस बिल को लागू करने में काफी समस्या है। इसे पेश करने से पहले कई बिंदुओं पर विचार करने की जरूरत थी, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने चर्चा के दौरान कहा कि हम चाहते थे कि इस बिल को पहले समिति के पास भेजा जाता, चर्चा होती और उसके बाद पारित किया जाता। मैं यह पूछता हूं कि क्या इस बिल को लाने से पहले कोई आंकड़ा जुटाया गया? क्या फायदा-नुकसान के हिसाब से हम संविधान में बदलाव करेंगे? आज जितनी नौकरियों का सृजन हो रहा है, उससे ज्यादा समाप्त हो रही है।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में कहा कि चर्चा के दौरान लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया है। हालांकि, उनके ओर से 'लेकिन' भी लगाया गया है। आखिर संविधान बदलने के लिए सदन की क्षमता पर संदेह क्यों है? 50 फीसद आरक्षण की सीमा सुप्रीम कोर्ट के फैसले में आया है। संविधान में ऐसा कहीं जिक्र नहीं है। मैं कांग्रेस से यह पूछना चाहता हूं कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को लेकर बनाई गई समिति ने जब 2010 में रिपोर्ट सौंपी थी, तब कांग्रेस ने किसी तरह का फैसला क्यों नहीं लिया था? आज अगड़ी जातियों में भी काफी लोग गरीब हैं। ऐसे में यह बिल काफी जरूरी है। मैं सभी से यह अपील करता हूं कि यदि समर्थन करना है तो खुलकर कीजिए, 'लेकिन' के साथ नहीं।
डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा कि बिना किसी कमेटी को भेजे इस बिल को जल्दबाजी में पेश किया गया है। जातिगत आरक्षण भेदभाव की वजह से दिया गया है। यह उनका अधिकार है। मैं यह पूछती हूं कि मुसलमानों और ईसाइयों को आरक्षण क्यों नहीं दिया जाता? उन्हें भी आरक्षण दिया जाना चाहिए।
शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात सबसे पहले हमारे दिवगंत नेता ने की थी। उस समय किसी को भी इस विषय पर बात करने की हिम्मत नहीं थी।
राज्यसभा सांसद नरेंद्र जाधव ने कहा कि मैं इस बिल का समर्थन करता हूं। साथ ही उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण होना चाहिए।
सीपीआई(एम) नेता इलमारम करीम ने कहा कि गरीब सवर्णों को आरक्षण देने वाली विधेयक को पेश करने का समय सही नहीं है। यह दर्शाता है कि 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा बेचैन है।
राज्यसभा में बुधवार (9 जनवरी) को सामान्य वर्ग को रोजगार एवं शिक्षा में आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा हो रही है। इस दौरान उस समय एक अजीबो-गरीब घटना देखने को मिली जब इस विधेयक का विरोध कर रही पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने एक ‘‘झुनझुना’’ दिखाया। झा ने कहा यह झुनझुना फिलहाल सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान के पास है। हिलता तो है, लेकिन बजता नहीं है।
आंध्र प्रदेश के टीडीपी सांसद वाई. एस. चौधरी ने कहा कि इस तरह के बिल को जल्दबाजी में लाना कई सवाल खड़े करता है। साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े की क्राइटेरिया को लेकर काफी ज्याद संशय है।
जदयू नेता ने कहा कि पहली बार देश में यूनिवर्सल आरक्षण लागू हो रहा है। इसका सारा श्रेय मोदी सरकार को जाता है। आने वाले भविष्य में यह कारगर कदम सिद्ध होगा। लोगों की मानसिकता में बदलाव होगा। इस बिल में दम है और यह स्टैंड करेगा। मैं सरकार से एक जरूरी बात कहना चाहूंगा कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। आज हर जगह आउटसोर्सिंग हो रहा है। इसलिए यहां भी आरक्षण की जरूरत है। ऑल इंडिया ज्यूडिशियरी सर्विस की स्थापना होनी चाहिए ताकि 59.9 फीसद (नए प्रारूप के अनुसार) बच्चों को इसका लाभ मिलेगा।
जनता दल यूनाइटेड नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। आज हम खुश है कि अगड़ी जाति के गरीबों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की जा रही है। इसका पूरा श्रेय इस सरकार को जाता है। मैं इसेक लिए मोदी जी को धन्यवाद देता हूं। हमारी पार्टी की सोच है कि न्याय के साथ विकास हो। बिहार पहला इस देश का पहला प्रदेश है, जहां स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को लागू किया गया। बिहार में सवर्ण आयोग का गठन हुआ। बिहार पहला राज्य है जहां सात निश्चय का कार्यक्रम है, जिसमें जात और धर्म के नाम पर किसी तरह का भेदभाव नहीं है। सभी घर में नल का जल दिया जाता है। सभी बच्चों को साईकिल दी जाती है। सभी बच्चियों को एक समान पोशाक के लिए राशि दी जाती है। आज जो यह निर्णय हो रहा है, इसका काफी अच्छा परिणाम आएगा।
बीजद सांसद ने कहा कि एक तरफ तो मादी सरकार तीन तलाक बिल को पास कराने में जुटी है। दूसरी ओर सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद भी महिलाओं के प्रवेश का विरोध किया जा रहा है। आखिर ये क्या है? सभी राजनीतिक पार्टियों को आत्म-विश्लेषण की जरूरत है। यदि हम रिजर्वेशन बिल लाने जा रहे तो इतनी हड़बड़ी की क्या जरूरत है? इस बिल का मैं समर्थन करता है। यह समय की जरूरत है। देश की नेताओं और लोगों की मानसिकता जब तक स्वस्थ नहीं होगी, देश आगे नहीं बढ़ सकता है। बीजद इस बिल के समर्थन में है। हमें इस नीति पर विरोध नहीं है। लेकिन सरकार की नीयत पर संदेह है।
बीजद सांसद ने कहा कि आज जो विधेयक लाया जा रहा है उसके अनुसार, देश की 95 प्रतिशत वैसी आबादी जो अभी तक आरक्षण के दायरे से बाहर थी, उनके लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लाया जा रहा है। यह एक धोखा है। इसके साथ ही यह भी तय है कि बिल कोर्ट में जाएगा। लोकसभा में भी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आरक्षण बिल का समर्थन किया। हो सकत है कि राज्यसभा में भी यह पास हो जाए। लेकिन इसके आगे की राह आसान नहीं है। सभी लोग बता रहे थे कि रोजगार की संभावना कितनी है। वादा तो 2 करोड़ रोजगार का था, लेकिन यह कितना पूरा हुआ, सब जानते हैं। आखिर में 10 प्रतिशत आरक्षण देने से कितने लोगों को रोजगार मिल जाएगा और कैसे मिलेगा?
ओडिशा से बीजद के सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा, 'यह सरकार बीमारू हो चुकी है। मंडल कमीशन के समय ओडिशा में कुछ बच्चों ने हिंसक प्रदर्शन किया था। उस समय पुलिस ने बच्चों पर गोली चलाने की इजाजत मांगी थी, लेकिन इजाजत नहीं दी गई। उस समय बीजू पटनायक ने बच्चों को समझाने के लिए कहा कि गरीब किसी जाति का हो, वह गरीब ही होता है। बच्चे शांत हो गए। मैं आज मोदी सरकार को बिल लाने के लिए धन्यवाद देता हूं। लेकिन आरक्षण का बिल ब्रिटिश सरकार के कानून में ही लाया गया। देश की आजादी के वक्त जब कांस्टीट्यूशन असेंबली बनी तो उस समय भी आरक्षण था।'
टीएमसी सांसद ने कहा पब्लिक सब जानती है। अंदर क्या है, बाहर क्या है, सब जानती है। यदि रोजगार ही जीरो है तो आरक्षण देने से भी नौकरी नहीं मिलेगी। हर साल 2 करोड़ रोजगार के जो वादे किए गए वे कहां हैं? अब पकौड़ानॉमिक्स दिया जा रहा है। इस सरकार में 80 फीसदी कानून बिना स्क्रूटनी के पास किए गए, इसलिए हमें इसपर आपत्ति है। पहले कानून बनाने के लिए पूरी प्रक्रिया का पालन होता था, अब इस बिल को लाने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया गया।
पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के सांसद देरेक ओब्राईन ने कहा कि बात आरक्षण देने की हो रही है, लेकिन असल में रोजगार ही नहीं है। ये बिल युवाओं, गरीबों और आम आदमी को धोखा है। 50 प्रतिशत से अधिक का कोटा असंभव है। सुप्रीम कोर्ट इस बिल पर सवाल जरूर करेगा। कोर्ट इनसे पूछेगा कि क्या कोई सर्वे है कि पिछले 10 साल में जनरल कैटेगरी के कितने प्रतिशत लोगों को नौकरी दी गई। दरअसल, पिछले साढ़े चार साल में नौकरियों में लगातार कमी आयी है। अब इस बिल के अनुसार, प्रतिदिन लगभग 2000 रुपये कमाने वाले भी गरीब रहेंगे। देश आठ लाख रुपये सलाना से ज्यादा आय वालों की संख्या मात्र 5 प्रतिशत है। मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया सहित अन्य बातें लेकर आयी। लेकिन अब चिट इंडिया आएगा।
तमिलनाडु से एआईडीएमके के सांसद ए. नवनीतकृष्णन ने कहा कि तमिलनाडु में पहले से ही 69 प्रतिशत आरक्षण है। ऐसे में 10 प्रतिशत और आरक्षण देने पर यह 79 प्रतिशत हो जाएगा, जो कि संभव नहीं है।
सपा नेता ने कहा कि सरकार के नोटबंदी फैसले से एक झटके में कई सारे लोग बेरोजगार हो गए। मेरा कहने का मतलब है कि जब रोजगार या नौकरियां ही नहीं रहेंगी तो आरक्षण का कोई मतलब नहीं रहेगा। इसके साथ ही मैं एक और मांग करता हूं कि जब सरकार ने 50 प्रतिशत का बैरियर तोड़ ही दिया है तो ओबीसी के आरक्षण को 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 54 प्रतिशत किया जाए। ओडिशा के लोगों की मांग को माना जाए। एससी-एसटी के आरक्षण को भी बढ़ाया जाए।
सपा सांसद रामगोपाल वर्मा द्वारा मुस्लिम कोटा का जिक्र करने पर भाजपा सांसद अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि अगर आप मुस्लिमों के लिए आरक्षण लेकर आए तो क्या उससे मेरिट वालों को नुकसान नहीं हुआ।
प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि देश में कई ऐसे लोग हैं जो गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले पर कोर्ट में याचिका जरूर दाखिल करेंगे। पहले भी सवर्णों को आरक्षण देने के मामले में कोर्ट का फैसला उनके विरोध में रहा है। ऐसी स्थिति में यह साफ है कि सरकार सवर्णों को मूर्ख बनाने का काम कर रही है। सरकार द्वारा 98 प्रतिशत गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण और 2 प्रतिशत अमीर लोगों को 40 फीसदी आरक्षण देने की बात को जरा समझाइए। अगर आप समता के अधिकार की बात करते हैं तो बताइए कहां है समता अधिकार?
सपा नेता रामगोपाल वर्मा ने राज्यसभा में कहा कि वे इस बिल का समर्थन करते हैं। छुआछुत की मानसिकता अभी तक समाप्त नहीं हुई है। हालांकि, यह अभी कम हुआ है। अभी भी दलित, पिछड़े और अनुसूचित जाति का दूल्हा घोड़ी चढ़कर ऊंची जाति के दरवाजे के पास से गुजरता है तो वे ऐसा नहीं होने देते हैं। उत्तर प्रदेश में तो सीएम आवास तक धोया जाता है। आज गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए जो बिल लाया गया है, उसका इरादा गरीबों की मदद नहीं, बल्कि 2019 का चुनाव है।
आनंद शर्मा ने कहा कि यह बिल पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। सरकार पूरी तरह राजनीति से प्रेरित काम कर रही है। यदि जनता ने तीन राज्यों में भाजपा को जीता दिया होता तो ये बिल आज नहीं लाया जाता। आखिर सरकार चार साल से यह बिल क्यों नहीं लायी? गलतफहमी यह है कि वे सोचते हैं कि उनकी एक घोषणा से देश के किसानों, युवाओं और नौजवानों का पेट भर जाएगा। लेकिन उन्हें मिल क्या रहा है। देश के किसानों को एमएसपी नहीं मिल रहा है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। आखिर क्या कारण है कि महिलाओं के लिए आरक्षण का बिल नहीं लाए? क्या महिलाओं को न्याय नहीं मिलना चाहिए? सिर्फ बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ, कहने से उनका कल्याण हो जाएगा। सरकार महिलाओं के लिए बिल लाए। लोकसभा में पास करवाए। हम भी राज्यसभा में उसका समर्थन करने के लिए तैयार हैं। देश की जनता भोली और सज्जन है। वे हमें आशीर्वाद देती है। लेकिन देश की जनता मूर्ख नहीं है। एक बार वे झांसे में आ सकते हैं, लेकिन दूसरी बार करारा जवाब मिलता है। ये हिंदुस्तान की आवाज है। हम इस बिल के पक्षधर हैं। हम सामाजिक न्याय का समर्थन करते हैं। लेकिन राजनीतिक मजबूरी से नहीं, बल्कि प्रतिबद्धता से इस पर काम होनी चाहिए।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार के दो फैसले नोटबंदी और जीएसटी से प्राइवेट सेक्टर में काफी नुकसान हुआ। लाखों लोगों की नौकरी छूट गई। मेरा कहना है कि पहले रोजगार तो पैदा करो। सपना दिखाने से क्या होगा?
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार ने पिछड़े सवर्णों के आरक्षण प्राप्त करने के लिए जो नियम बनाए हैँ उनमें पांच एकड़ तक के जमीन वालों को लाभ दिया जाएगा। हकीकत यह है कि देश के 86 प्रतिशत लोगों के पास 5 एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं है। दूसरी शर्त 8 लाख रुपये तक की आय बतायी गई है। जबकि हमारे देश में 8 लाख प्रतिवर्ष से ज्यादा की आय वालों की संख्या करीब पांच प्रतिशत है। इन सब से बढ़कर एक बात और भी है कि देश में रोजगार कहां है? कुछ दिन पहले भी एक खबर आयी थी कि देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। देश के सार्वजनिक क्षेत्रों में नौकरियां लगातार घट रही है।
हमारे संविधान में पहले से यह रखा गया था कि जो पिछड़े और कमजोर हैं, उनके लिए राज्य सरकार प्रावधान करे। इससे हटकर जब दो बार आरक्षण में बदलाव की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया। कई राज्यों के सामने यह चुनौती आयी। मुझे लगता है कि सरकार सभी चीजों को सोंच-समझकर यह विधेयक लायी होगी। मेरा सवाल यह कि अचानक से यह विधेयक क्यों लाया गया? मैं इसका विरोध नहीं कर रहा हूं। यह सोच पहले से चली थी। वर्ष 2014 के दौरान कांग्रेस के घोषणापत्र में भी पिछड़ों को आरक्षण देने की बात थी। लेकिन आखिरी सत्र में इसे क्यों लाया गया? सच्चाई यह है कि तीन राज्यों में भाजपा को आशीर्वाद (हारे) देकर भेजा। बाकी दो राज्य भी हारे। इसके बाद भाजपा को संदेश दिया कि वे सही रास्ते पर नहीं चल रहे हैं। ये तो छोटा संदेश है। जल्द ही बड़ा संदेश भी मिलेगा।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि भारत देश हमारा है। हम सबका है। हमारे बीच मतभेद हो सकता है, मनभेद नहीं। इस देश को बनाने में जिन लोगों का योगदान रहा है, उन सब का सम्मान होना चाहिए। उनके योगदान को नहीं भूलना चाहिए। इस मानसिकता को छोड़ देना चाहिए कि पहले यहां कुछ नहीं हुआ है। यदि कुछ नहीं हुआ है तो फिर देश की अर्थव्यवस्था इतनी अच्छी कैसे है? देश परमाणु समपन्न कैसे है। आज गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का विधेयक लाया गया है।
भाजपा सांसद प्रभात झा ने कहा कि पहली बार देश में सवर्ण गरीबों के उत्थान के बारे में मोदी जी ने सोचा है। मोदी जी का सिद्धांत है सबका साथ-सबका विकास। गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का काम मोदी जी अपनी इसी नीति के तहत कर रहे हैं। पहले जब गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात कही गई थी तो उस समय संविधान में संशोधन नहीं किया गया था। लेकिन इस बार संविधान संशोधन के माध्यम से ऐसा किया जा रहा है। इसलिए इस बार मामला कोर्ट में फंसने की गुंजाइश नहीं है। हमारे संविधान में कहा गया है कि देश का कोई व्यक्ति पीछे न रह जाए। पीएम मोदी ने देश के 95 फीसद लोगों को ध्यान में रखते हुए सवर्ण गरीबों को आरक्षण देने का फैसला किया है। जिस तरह का पैमाना आरक्षण प्राप्त करने के लिए रख गया है, वैसी स्थिति में मात्र पांच प्रतिशत लोग ही इसका लाभ नहीं ले पाएंगे। देखा जाए तो यह देश की बड़ी आबादी के लिए लाभप्रद है। मोदी जी पिछले 4.5 वर्ष से गरीबों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।
राज्यसभा में भाजपा सांसद विजय गोयल ने कहा कि अगर सदन के सदस्य चाहेंगे तो इससे जुड़े सभी सवालों का जवाब मिलेगा।
गरीब सवर्णों के आरक्षण संबंधी विधेयक से पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर कहा कि असम में रहने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीतियां लाई जा रही है। हम पूर्वोत्तर भारत के प्रत्येक राज्य के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए हम वहां के हर राज्य से बराबर संपर्क में हैं। उनके भले के लिए जो भी कदम उठाने होंगे सरकार उठाएगी। इस विधेयक के दायरे में सिर्फ असम नहीं बल्कि सभी राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेश होंगे। केन्द्र असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में शांति एवं सामाजिक समरसता कायम रखने के लिए हर संभव उपाय करेगा तथा क्षेत्र के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की जाएगी। सिंह ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर कुछ वर्गों की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए कहा कि इसके विरोध में असम, त्रिपुरा एवं मेघालय में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुई हैं। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। पूर्वोत्तर में शांति बनी रहे, सौहार्द्रपूर्ण वातावरण बना रहे इसके लिए भी हम पूरी तरह से सचेष्ठ हैं और राज्य सरकारों से मिलकर सभी आवश्यक उपाय करेंगे।