आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू की गई प्रधानमंत्री जनधन योजना जिले में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। निष्क्रियता के कारण गौतमबुद्धनगर में जहां 2023 में करीब 14 लाख जनधन खाते बंद हो चुके हैं, वहीं नए खाते खुलने की गति भी अपेक्षा से काफी धीमी है। इससे योजना की प्रभावशीलता और उपयोगिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बंद किए गए 14 लाख खातों की तुलना में बीते दो वर्षों में मात्र 1.65 लाख नए जनधन खाते ही खोले जा सके हैं। चिंताजनक बात यह है कि इन नए खातों में भी आधे से अधिक खातों में किसी प्रकार का लेनदेन नहीं हो रहा है। कई खातों में अब भी जमा राशि शून्य है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि पहले जिन जनधन खातों को बंद किया गया, उनमें छह वर्षों तक कोई भी लेनदेन नहीं हुआ था।

बैंकिंग नियमों के तहत ऐसे खातों को निष्क्रिय मानते हुए बंद करना अनिवार्य हो गया था। अब एक बार फिर वही स्थिति बनती नजर आ रही है, जिससे भविष्य में और खातों के बंद होने का खतरा बढ़ गया है। साल-दर-साल के आंकड़े जिले में जनधन खातों की गिरावट की गंभीर तस्वीर पेश कर रहे हैं। वर्ष 2022 में गौतमबुद्धनगर में कुल 24,64,000 जनधन खाते संचालित थे। निष्क्रिय खातों की छंटनी के बाद वर्ष 2023 में यह संख्या घटकर मात्र 10,72,532 रह गई।

इसके बाद बैंकों द्वारा दोबारा प्रयास किए गए, जिससे वर्ष 2024 में खातों की संख्या बढ़कर 11,63,958 हुई और वर्ष 2025 में यह आंकड़ा 12,37,547 तक पहुंच गया। बावजूद इसके, तीन साल पहले की तुलना में अब भी जनधन खातों की संख्या लगभग आधी ही है। बैंकिंग विशेषज्ञों का मानना है कि खातों के दोबारा बंद होने की आशंका अभी टली नहीं है, क्योंकि यदि खाताधारक इनमें लेनदेन शुरू नहीं करते हैं, तो बैंकों के लिए इन खातों को लंबे समय तक संचालित रख पाना मुश्किल होगा।

लीड बैंक प्रबंधक राकेश सिंह ने कहा किलोगों को जनधन खातों के प्रति लगातार जागरूक करने का काम किया जा रहा है। छोटे से छोटा लेनदेन भी उनके खाते को सक्रिय रख सकता है। अधिक से अधिक खाता खोलने के लिउ जिले में बैंकों की ओर से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं।