नयी दिल्ली: केन्द्र सरकार के रूख को अस्वीकार करते हुये उच्चतम न्यायालय ने आज केन्द्र को निर्देश दिया कि कल तक विदेशों में काला धन रखने वाले सभी खाता धारकों के नाम सीलबंद लिफाफे में पेश किये जायें। न्यायालय ने इस मसले पर सरकार की अनिच्छा को लेकर उसे आड़े हाथ लिया।
शीर्ष अदालत ने विदेशों में काला धन जमा करने वालों के सारे नामों के खुलासे संबंधी न्यायालय की पहले के आदेश में संशोधन का अनुरोध करने पर नयी सरकार को कडी फटकार लगायी। न्यायालय ने कहा कि संप्रग सरकार ने इस आदेश को स्वीकार किया था।
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘‘विदेशों में बैंक खाते रखने वाले लोगों को वह बचाने का प्रयास क्यों कर रही है? आप ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षा आवरण क्यों प्रदान कर रहे हंै?’’
प्रधान न्यायाधीश ने सरकार के इस रवैये पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘सालिसीटर जनरल की उपस्थिति में खुली अदालत में आदेश पारित किया गया था और अब नयी सरकार इसमें संशोधन का अनुरोध नहीं कर सकती। हम अपने आदेश को नहीं छुयेंगे और हम इसमें एक शब्द भी नहीं बदलेंगे।’’
न्यायालय ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी का यह तर्क अस्वीकार कर दिया कि बैंक खातों की अवैधता के मामले की जांच के बाद वह इन नामों का खुलासा करेगी। न्यायालय ने सरकार से कहा कि उसे इस मामले में कुछ करने की नहीं बल्कि सारी जानकारी उसे मुहैया कराने की आवश्यकता है और न्यायालय विशेष जांच दल या सीबीआई सहित दूसरी एजेन्सियों को जांच का निर्देश देगा।
इस मामले में आधे घंटे की सुनवाई के अंत में अटार्नी जनरल ने कहा कि सरकार को जर्मनी जैसे कई देशों से पांच सौ खाता धारकों के नाम मिले हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने केन्द्र सरकार से कहा कि उसे खुद किसी भी प्रकार की जांच नहीं करनी है क्योंकि यदि उसने ऐसा किया तो यह उनके जीवनकाल में कभी भी पूरी नहीं होगी।
न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा, ‘‘आपको कुछ भी नहीं करना है। सिर्फ खाता धारकों की सूचना हमें प्रेषित कीजिये और हम आगे जांच के लिये आदेश देंगे। हम काला धन वापस लाने का मसला सरकार पर नहीं छोड़ सकते हैं। यह हमारे जीवन काल के दौरान नहीं होगा।’’
न्यायालय ने अटार्नी जनरल की इस दलील को दरकिनार कर दिया कि खाता धारकों के नामों के खुलासे से उन लोगों के निजता के अधिकार का हनन होगा जिनके वैध खाते हैं। सरकार का कहना था कि पहली नजर में कर चोरी का मामला बनने के बाद नाम सार्वजनिक किये जा सकते हैं।
इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘आपको इन लोगों :विदेशी बैंकों में खाता रखने वाले: के हित का ध्यान नहीं रखना है। विशेष जांच दल इसे देखेगी।’’ इसके साथ ही न्यायालय ने सारे नाम कल तक पेश करने का निर्देश सरकार को दिया।
न्यायालय ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि एक दो या तीन खाते धारकों के नाम नहीं बल्कि दूसरे मूल्कों द्वारा मुहैया करायी गयी पूरी सूची पेश की जाये।