दफ्तर में कई घंटे काम करने के बाद अमूमन कई लोगों को कमर और गर्दन से संबंधित परेशानियां होना शुरू हो जाती हैं। वहीं जो लोग थोड़ी-बहुत एक्सरसाइज के लिए भी समय नहीं निकाल पाते उनकी समस्याएं काफी बढ़ जाती है। ऐसे में बाबा रामदेव के सुझाए गए योगासनों का सहारा ले सकते हैं। आप इन योग आसनों द्वारा अपनी गर्दन से जुड़ी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। आइए जानते हैं वो आसान कौन से हैं-
योग गुरु स्वामी रामदेव के अनुसार गर्दन में यदि अचानक दर्द उठा है तो बिल्कुल धीरे- धीरे सिर को पीछे की ओर झुकाते हुए गर्दन को ऊपर की ओर करें और 10 से 15 सेकंड के लिए इसी अवस्था में रखें, फिर गर्दन को नीचे की ओर ले आएं और 10 से 15 सेकंड ऐसे ही रहें। कम से कम 15 से 20 बार इस प्रक्रिया को करें। आपको जल्द ही आराम पहुंचेगा।
बालासन: यह आसन आपको काफी रिलैक्सिंग पोजिशन देता है और इसे करना काफी आसान है। इसे करने के लिए जमीन पर अपनी ऐड़ियों के बल पर बैठ जाएं और शरीर के ऊपरी हिस्से का वजन अपनी जंघाओं पर डाल दें। इसके बाद आगे की ओर झुकते हुए सिर को जमीन पर लगाएं फिर हाथों को सिर के ऊपर से निकालते हुए, हथेलियों को ज़मीन पर लगा दें। इसके बाद अपने हिप्स को ऐड़ियों की ओर ले जाएं और इस अवस्था में 2 मिनट तक रहने का प्रयास करें।
अर्धमत्स्येंद्रासन: आपकी गर्दन के दर्द को राहत पहुंचाने के लिए यह आसन भी काफी फायदेमंद हैं। यह आसन न सिर्फ दर्द कम करता है बल्कि रीढ़ की हड्डियों के साथ उनमें से निकलने वाली नाड़ियों को भी स्वस्थ बनाता है। वहीं इस आसन से पीठ, पेट, पैर, गर्दन, हाथ, कमर, नाभि समेत शरीर के कई हिस्सों को फायदा पहुंचता है।
शवासन: इस आसन को करना बेहद आसान है। इसे करने के लिए आप जमीन पर सीधे लेंट जाएं और अपने शरीर को एक दम रिलैक्स मुद्रा में छोड़ दें। यह गर्दन और रीढ़ ही हड्डी के लिए काफी लाभदायक है और इसे करने से आपकी कमर भी सीधी होती है। इस आसन को करने के लिए आपको अपने शरीर को निष्क्रिय छोड़ देना है। वहीं हाथ पैरों को एक दूसरे से थोड़ी दूरी पर रखें।
मर्जरासन: गर्दन के दर्द से राहत पाने के लिए यह भी एक बढ़िया आसन है। इससे रीढ़ की हड्डी को फ्लेक्सिबल भी बढ़ती है। इसे करने के लिए पहले घुटनों और हथेलियों के बल पर जमीन पर बैठ जाएं और उन पर अपने ऊपरी शरीर का भार डाल दें। इसके बाद अपने पेट को जमीन की तरफ जहां तक संभव हो लेकर जाएं और गर्दन को ऊपर की तरफ जितना ऊंचा उठा सकते हैं उठाएं और इसी मुद्रा में कुछ समय रुकने की कोशिश करें।ऐसे ही दूसरी मुद्रा के लिए पेट को ऊपर की तरफ उठाएं और गर्दन को अंदर की तरफ लाएं इसी मुद्रा में कुछ समय रुकने की कोशिश करें।