आज की बिगड़ती लाइफस्टाइल और खानपान के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में काफी समस्या आती है। इसके अलावा पीसीओएस के कारण भी महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में काफी परेशानी आती है। पीसीओएस यानी पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक तरह की समस्या है, जो महिलाओं के प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। एक शोध के मुताबिक 10 में से एक महिला पीसीओएस की समस्या से पीड़ित है।

बता दें, पीसीओएस के कारण महिलाओं के शरीर में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया बाधित हो जाती है, यानी वह हर महीने एग रिलीज नहीं कर पातीं, जिससे गर्भधारण करने में परेशानी होती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार पीसीओएस की समस्या शरीर में मेल हार्मोन एंड्रोजन के बढ़ जाने की वजह से होता है।

महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन नामक हार्मोन का स्त्राव होता है, लेकिन इसकी मात्रा काफी कम होती है। हालांकि, जब इस हार्मोन का स्त्राव शरीर में बढ़ने लगता है, तो पीसीओएस की समस्या होने लगती है। इसके अलावा कई बार शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाने से वजन भी बढ़ने लगता है, जिसके कारण पीसीओएस के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

पीसीओएस के लक्षण: पीसीओएस की समस्या में मासिक धर्म में अनियमितता होनी शुरू हो जाती है। इस बीमारी से जूझ रही कुछ महिलाओं को साल में केवल 8 बार से भी कम पीरियड्स होते हैं। इसके अलावा चेहरे पर मुंहासे बढ़ जाते हैं। साथ ही गर्भधारण करने में समस्या होती है। पीसीओएस की समस्या से जूझ रहीं महिलाओं के चेहरे और पेट के निचले हिस्से में बालों की ग्रोथ बढ़ जात है। शरीर मोटा होना शुरू हो जाता है, साथ ही गर्दन और अंडरआर्म्स के पास मास बढ़ना शुरू हो जाता है।

पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं भी कर सकती हैं गर्भधारण: हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो पीसीओएस की बीमारी से पीड़ित महिलाएं भी गर्भधारण कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें अपने ओव्युलेशन के पैटर्न को समझना बेहद ही जरूरी है, इससे आपको गर्भधारण में सफलता मिल सकती है। इसके लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकती हैं। अगर दवाओं के जरिए भी आपकी स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है तो आप इन-वीट्रो फर्टिलाइजेशन का विकल्प भी अपना सकती हैं।