Priyanka Gandhi oath: केरल की वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव में जीतने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लोकसभा की सदस्यता (priyanka gandhi oath first day of sansad) लेने पहली बार संसद पहुंची। इस खास मौके के लिए उन्होंने हल्के कलर की गोल्डन बॉर्डर वाली साड़ी का चुनाव किया। उन्हें पहले भी साड़ी में देखा गया है कि वो अक्सर कॉटन साड़ी होती है और अलग-अलग रंगों में नजर आती है। लेकिन, इस बार ये खास साड़ी क्यों, क्या है इसका कनेक्शन। आइए समझते हैं प्रियंका के वायनाड सीट के साथ से कैसे जुड़ी हुई है ये साड़ी। साथ ही जानेंगे इस साड़ी का नाम और इसके बारे में विस्तार से।
क्यों यही साड़ी पहनकर पहली बार संसद पहुंची Priyanka Gandhi?
प्रियंका गांधी ने जिस साड़ी को पहना है वो असल में केरल की साड़ी है और यहीं बनती है। प्रियंका वायनाड की सांसद है तो इस जगह को रिप्रेजेंट करने के लिए भी उन्होंने इस साड़ी का चुनाव किया था। ये साड़ी असल में केरस की Kasavu Sari है जिसे कसाव साड़ी (Kasav Sari) भी कहते हैं।

Kasavu Sari में क्या है खास?
केरल साड़ी को कसाव साड़ी के नाम से जाना जाता है। कसावु शब्द का अर्थ ज़री जो कि पारंपरिक रूप से बढ़िया सोने या चांदी से बना धागा है, जिसका उपयोग केरल साड़ी के बॉर्डर को बनाने के लिए किया जाता है।
एक सिंपल साड़ी को बनाने में लगते हैं 5 दिन
बता दें कि कसावु साड़ी को बनाने में लगभग 5 दिन लगते हैं। जबकि अगर बहुत सुंदर साड़ी बनानी हो तो 3 महीने तक का भी समय लग सकता है। परंपरागत रूप से, इस साड़ी को बनाने के लिए हाथ से काते गए सूत को लंबी बुनाई-पूर्व प्रक्रिया से गुजारा जाता है। एक बार जब सूत तैयार हो जाता है, तो इसे पानी में भिगोया जाता है और दबाव डालकर, आमतौर पर पैरों से मारकर, ढाला जाता है। यह प्रक्रिया धागे से गंदगी हटाकर उसे मुलायम बनाती है।

फिर धागे को मोड़कर खींचा जाता है। सूत को करघे पर रखने से पहले, मजबूती सुनिश्चित करने के लिए उसे स्टार्च किया जाता है और सुखाया जाता है। अंत में, आगे की सजावट के लिए सूत को करघे में डाला जाता है और फिर साड़ी तैयार की जाती है। तो इसलिए केरल की इस खास साड़ी को पहनकर संसद पहुंची प्रियंका गांधी। अब आगे पढ़ें 8 प्रकार की बनारसी साड़ी के बारे में और जानें क्या खास बात है इसमें।