समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार, 10 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह बीते कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका इलाज चल रहा था। मुलायम सिंह यादव को उनके समर्थक ‘नेता जी’ के नाम से पुकारते थे। इसी ‘नेता जी’ वाली उपाधि से जुड़ा एक किस्सा है, जिसने साल 1984 में हड़कंप मचा दिया था।

4 मार्च 1984। मुलायम सिंह यादव इटावा के दौरे पर थे। उस दिन शाम 5 बजे के करीब एक रैली को संबोधित करने के बाद वह अपने एक दोस्त से मिलने महिखेड़ा गांव पहुंचे। वहां भेंट-मुलाकात के बाद मुलायम करीब 9.30 बजे मैनपुरी के लिए रवाना हुए। वे अभी महिखेड़ा से करीब 800 मीटर दूर ही पहुंचे थे कि गोलियों की आवाज सुनाई पड़ी। चंद सेकेंड तक तो किसी को कुछ समझ ही नहीं आया।

आधे घंटे चलती रहीं गोलियां: मुलायम सिंह यादव के ड्राइवर ने देखा कि उनकी गाड़ी के आगे चल रहे बाइक सवार कुछ लोग गिर गए हैं और उनकी गाड़ी में भी आग लग गई है। इधर, सुरक्षाकर्मी समझ गए कि हमलावर का निशाना मुलायम हैं। उन्होंने भी जवाबी गोलीबारी शुरू कर दी। मुलायम सिंह यादव पर हुए इस हमले को रिपोर्ट करते हुए ‘जनसत्ता’ ने अपने 8 मार्च 1984 के अंक में लिखा था, गोलीबारी करीब आधे घंटे तक चलती रही। जब हमलावर शांत हुए तो मुलायम के सुरक्षाकर्मी घेरा बनाकर एक जीप में उन्हें नजदीकी कुर्रा पुलिस थाने तक ले गए। इस तरह उनकी जान बच पाई थी।

9 गोलियां, मुलायम ही थे निशाना: उस दिन मुलायम की गाड़ी पर हमलावरों की कुल 9 गोलियां लगी थीं। ये गोलियां गाड़ी में उसी तरफ मारी गई थीं, जिधर मुलायम बैठे थे। यानी हमलावरों को मुलायम की लोकेशन से लेकर सीटिंग पोजिशन आदि सबकुछ पता था।

नेताजी मारे गए… नेताजी मारे गए: मुलायम सिंह यादव को अपने ऊपर हमले का अंदेशा पहले से ही था। ऐसे में उन्होंने अपने सुरक्षाकर्मियों को पहले से ही सतर्क कर रखा था। इस घटना के बारे में वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरॉन, अखिलेश यादव की जीवनी ‘विंड्स ऑफ चेंज’ में लिखती हैं, ‘मुलायम ने अपने सुरक्षाकर्मियों को कह रखा था कि हमले की स्थिति में वे चिल्लाने लगें- नेताजी मारे गए… नेताजी मारे गए…। उस दिन जब उन पर हमला हुआ तो सुरक्षाकर्मियों ने ऐसा ही किया। ऐसे में हमलावरों को लगा कि मुलायम सिंह यादव सही में मारे गए हैं और वे घटनास्थल छोड़ भाग गए।

एक शख़्स की चली गई थी जान: इस हमले में मुलायम सिंह यादव तो बाल-बाल बच गए लेकिन उनकी गाड़ी के ठीक आगे चल रहे छोटेलाल नाम के एक शख्स की मौत हो गई। वह प्राइमरी स्कूल में बतौर शिक्षक काम करते थे। इसके अलावा मुलायम के एक और सहयोगी बुरी तरह घायल हो गए थे। आपको बता दें कि मुलायम सिंह यादव पर हमले के बाद सियासी घमासान मच गया था। उन्होंने इस हमने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था।