अभिनेत्री देबिना बोनर्जी ने इसी साल अप्रैल में IVF ट्रीटमेंट के जरिए एक बेटी को जन्म दिया है। देबिना डिलीवरी के बाद से लगतार अपने फैंस को अपनी मदरहुड जर्नी की जानकारियां साझा करती रहती है। देबिना सोशल मीडिया पर अपने आईवीएफ ट्रीटमेंट से लेकर अपनी बेटी के पैदा होने और उसके पहली बार सॉलिड फूड खाने तक की सारी बातें फैंस के साथ लगातार शेयर करती हैं। हाल ही में देबिना ने इंस्टाग्राम पर फोटो सीरीज साझा की है जिसमें उनकी छोटी सी बेटी को कानों में बाली पहने हुए देखा गया है। आपको बता दें देबिना और गुरमीत चौधरी दूसरी बार पैरेंट्स बनने जा रहे हैं। अभिनेत्री नें अपनी बेटी के कानों में बाली पहना रखी है जिसमें वो बेहद प्यारी दिख रही है।
सदियों से कर्मकांड और सांस्कृतिक परंपराओं में कान छिदवाने का चलन रहा है लेकिन आज ये एक फैशन स्टेटमेंट बन गया है। लेकिन आप जानते हैं कि कम उम्र में बच्चे के कान छिदवाने से बच्चों को कई तरह के जोखिम हो सकते हैं। नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, गुरुग्राम की डॉ बिलाल खान, सलाहकार, बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया है कि नवजात शिशु के कान छिदवाने का सही समय क्या है। आइए जानते हैं कि छोटे बच्चों के कान कब छिदवाने चाहिए।
बच्चों की सेहत को हो सकते हैं ये खतरे:
एक्सपर्ट के मुताबिक छोटे बच्चे के कान छिदवाने से उसे संक्रमण का खतरा हो सकता है। छोटे बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है इसलिए उनके कान में इस तरह का छेद करने से बच्चे की सेहत बिगड़ सकती है। एक्सपर्ट के मुताबिक कान छिदवाने के लिए पैरेंट्स को थोड़ा इंतजार करना जरूरी है।
बच्चे को टेटनस का टीका लगाना जरूरी है इसलिए आप बच्चे के कान छिदवाने के लिए कम से कम छह महीनों का इंतजार करें। तीन महीने से पहले बच्चे के कान छिदवाने से कई तरह के जोखिम बढ़ने का खतरा रहता है। बच्चे को बुखार से संक्रमण होने पर अस्पताल में भर्ती करने की भी नौबत आ सकती है।
पारस हॉस्पिटल्स गुरुग्राम के एचओडी- पीडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी डॉ मनीष मन्नान के मुताबिक पैरेंट्स को कम से कम बच्चे के कान छिदवाने के लिए एक साल तक का इंतजार करना चाहिए। कम उम्र में कान छिदवाने से बच्चे को काफी परेशान होती हैं। बच्चा लगातार छेद को छूता रहता हैं और कान की बाली को पकड़ सकता है जिससे घाव या संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। बच्चे में इम्युनिटी कम होने की वजह से बच्चा बीमार हो सकता है।
डॉक्टर के मुताबिक कान छिदवाने के पारंपरिक तरीके अनहेल्दी हो सकते हैं इसलिए बच्चे को इससे बचाना चाहिए। ये तरीके संक्रमण का कारण बनते हैं। हमें संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स लगाने या एंटीबायोटिक दवा खिलाने की जरूरत हो सकती है।