कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में रोजाना लाखों लोग आ रहे हैं, तो वहीं सैकड़ों लोग इस खतरनाक वायरस से अपनी जान गंवा रहे हैं। कोरोना के कारण सबसे ज्यादा मृत्यु सांस लेने में दिक्कत के कारण हो रही हैं। दरअसल, कोरोना सीधे फेफड़ों को अपना निशाना बना रहा है, जिसके कारण लोगों के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिरने लगता है।
हालांकि, पहली लहर के मुकाबले कोरोना की दूसरी लहर छोटे बच्चों को अपना निशाना बना रही है। वयस्कों और बुजुर्गों में ऑक्सीजन का लेवल कितना होना चाहिए, यह तो हर किसी को पता है, लेकिन बच्चों में यह स्तर कितना होना चाहिए। इस बात का जानकारी भी होना बेहद ही जरूरी है।
बच्चों में लो ऑक्सीजन लेवल: कोरोना की चपेट में आ रहे बच्चों के ऑक्सीजन लेवल में कमी आ रही है। अगर बच्चे का ऑक्सीजन स्तर 88 प्रतिशत के नीचे आ जाए, तो इससे उन्हें नुकसान पहुंच सकता है। बता दें, यूं अक्सर खांसी, रोने या फिर खेलने के कारण बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है, हालांकि, यह केवल कुछ ही सेकंड में ठीक भी हो जाती है।
लेकिन अगर बच्चे का ऑक्सीजन लेवल लगातार नीचे गिर रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
नॉर्मल रेंज: ऑक्सीजन के जरिए ही शरीर का विकास होता है और जैविक क्रियाओं के लिए एनर्जी बनती है। सामान्य तौर पर अगर बच्चों का ऑक्सीजन लेवल 92 प्रतिशत से ज्यादा हो, तो इसका मतलब यह है कि शरीर को अपनी जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन मिल पा रही है और यही बच्चों में सामान्य रेंज भी होती है।
लेकिन पल्मोनरी हाइपरटेंशन से ग्रस्त बच्चों में ऑक्सीजन की नॉर्मल रेंज 95 प्रतिशत होनी चाहिए।
SpO2 लेवल: बता दें, 7 से 9 साल के बच्चों का एसपीओ2 वैल्यू 89-90 प्रतिशत के बीच में होना चाहिए। हालांकि, उम्र के हिसाब से यह एसपीओ2 लेवल की रेंज अलग-अलग होती है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए 91 प्रतिशत और 7 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए 90 प्रतिशत SpO2 वैल्यू होनी चाहिए।
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो युवाओं की तरह ही बच्चों का ऑक्सीजन लेवल भी 98 से 100 के बीच होना चाहिए। लेकिन कोरोना से पीड़ित बच्चों का अगर ऑक्सीजन लेवल 81 से 82 प्रतिशत तक पहुंच गया है, तो यह चिंता की बात है। ऐसे में बच्चों का खास ध्यान रखने की आवश्यकता है।