Kolam Rangoli: भारत विविधताओं का देश है और इस देश की यही खूबसूरती है कि यहां हर दिन एक नया त्योहार आता है। जैसे कि इस महीने प्रकृति का एक त्योहार पोंगल आने वाला है। जहां उत्तर भारत में लोग खिचड़ी और मकर संक्रांति का त्योहार मनाते हैं वहीं दक्षिण भारत में लोग पोंगल (pongal 2025) मनाते हैं। पोंगल त्योहार की खास बात ये है कि ये 4 दिन तक मनाया जाता है और हर एक दिन अलग होता है।

इस त्योहार में लोग अपने घर के आगे कोलम बनाते हैं और फिर सूर्य देव को नमन करते हुए इस समय की सारी फसल उन्हें चढ़ाते हैं। पर सवाल ये है कि कोलम रंगोली है क्या? क्या ये कुछ अलग है, जानते हैं इन तमाम चीजों के बारे में विस्तार से।

कोलम रंगोली है क्या-What is Kolam Rangoli?
कोलम रंगोली असल में एक आर्ट फॉर्म है, जो कि दक्षिण भारत में कला का एक पारंपरिक रूप है, खासकर तमिलनाडु और कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में। यह एक सजावटी और अनुष्ठानिक कला रूप है जहां एक जेमेट्रिकल पैटर्न में रंगोली बनाई जाकी है। परंपरागत रूप से, कोलम चावल के आटे ( dry rice flour or kolapodi), या चॉक पाउडर का उपयोग करके हाथ से बनाए जाते थे। माना जाता है कि वे समृद्धि और सौभाग्य लाते हैं।

कोलम रंगोली बनाने का नियम-What are the rules of kolam
कोलम रंगोली में आप चावल के आटे से कुछ डॉट्स बनाते हैं जो ट्रायंगल, स्क्वायर और रेक्टेंगल के रूप में होते हैं। इन्हें बनाने के कुछ नियम हैं जैसे कि
नियम 1: बिंदुओं के बीच समान दूरी और तय करना है कि कितने बिंदुओं को जोड़कर ये रंगोली बनेगी।
नियम 2: बिंदुओं के चारों ओर चिकनी रेखा खींचें।
नियम 3: रेखाचित्रों में समरूपता।
नियम 4: सीधी रेखाएं 45 डिग्री के कोण पर झुकी हुई खींची जाती हैं।
नियम 5: रेखाएं कभी पीछे की ओर नहीं खींची जातीं।
नियम 6: बिंदुओं से सटी हुई बिलकुल सटीक रेखाएं।

कोलम रंगोली में 4 अलग-अलग दिनों के लिए अलग रंगोली बनाई जाती है। इनके अपने थीम होते हैं जैसे कि पहले दिन जानवरों के लिए पोंगल डिजाइन बनाते हैं, दूसरे दिन फसल को लेकर, फिर पोंगल वाली खीर को लेकर डिजाइन बनाते हैं और फिर अंत में प्रकृति को समर्पित पोंगल डिजाइन बनाते हैं। तो आप इन रंगोली डिजाइन से भी आइडियाज ले सकते हैं।