किसी इंसान की तरह ही उसकी स्किन के भी मैच्योर होने की प्रक्रिया होती है। जैसे इंसान नवजात शिशु से बच्चा, बच्चे से टीनएज, टीनएज से एडल्ट और एडल्ट से बुजुर्ग तक का सफर तय करता है। ठीक उसी प्रकार हमारी स्किन भी एक प्रक्रिया फॉलो करती है। किसी बच्चे की खूबसूरत, बेदाग और मुलायम त्वचा को देखकर हम मे से अधिकतर लोग सोचते हैं कि काश त्वचा ताउम्र ऐसे ही बनी रहे। जबकि ऐसा होता नहीं है। छोटी उम्र में वो कोमल त्वचा टीनएज की स्थिति तक पहुंचते-पहुंचते कुछ सख्त होने लगती है। 16 से 18 साल की उम्र में ब्रेकडाउन, पिंपल्स, एक्ने मार्क्स आदि होने लगते हैं। 18 की उम्र के बाद अधिकतर लोग ड्राई स्किन, स्किन पिगमेंटेशन, डार्क सर्कल्स आदि परेशानियों से घिर जाते हैं और 40 तक पहुंचते-पहुंचते झुरियां, महीन रेखाएं जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं कि इस तरह की परेशानियां हर इंसान को हों। तो कुछ को इन तमाम परेशानियों से अलग भी स्किन से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहां हम आपको एक ऐसे ही समस्या के बारे में बता रहे हैं, जिसे केराटोसिस पिलारिस (Keratosis Pilaris) या आम भाषा में ‘चिकन स्किन’ कहा जाता है।

क्या होती है चिकन स्किन?

यह एक कॉमन स्किन कंडीशन है, जो खासकर टीनएज या वयास्कों को प्रभावित करती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 50 से 80 फ़ीसदी टीनएजर्स और 40 फ़ीसदी एडल्ट्स में इस तरह की परेशानी देखने को मिलती है। वहीं, चिकन स्किन के पीछे केराटिन नाम का प्रोटीन जिम्मेदार होता है। ये प्रोटीन हमारे बालों, स्किन और नाखूनों को बनाने के लिए जाना जाता है। हालांकि, ज्यादा मात्रा में होने पर ये बालों के छिद्र या पोर को भरने लगता है। इससे स्किन पर मौजूद बाल इन छिद्रों के अन्दर ही फंस कर रह जाते हैं और इस स्थिति में त्वचा पर छोटे-छोटे दाने जैसे उभर जाते हैं। इसी स्थिति को केराटोसिस पिलारिस कहा जाता है। वहीं, क्योंकि एक चिकन की स्किन पर भी ऐसे ही छोटे-छोटे उभार होते हैं, इसलिए इस कंडीशन को चिकन स्किन भी कहा जाता है।

दिखने में कैसे लगते हैं?

ये दाने आम दानों से अलग होते हैं और पिंपल या एक्ने के मुकाबले दिखने में अधिक भद्दे लगते हैं। ये शरीर के उस हिस्से पर उभरते हैं, जहां बाल अधिक आते हैं, जैसे ऊपरी बाह पर, जांघ पर, घुटनों के आसपास, कोहनी से नीचे, पीठ के ऊपरी हिस्से पर आदि। ये आपके तलवों या हथेली पर नहीं होते हैं। इससे अलग कुछ लोगों को चेहरे पर भी इस तरह के दाने नजर आते हैं।

किन लोगों को है अधिक खतरा?

हेल्थ रिपोर्ट्स के मुताबिक, केराटोसिस पिलारिस स्किन कंडीशन जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से हो सकती है। इससे अलग ड्राई स्किन वाले लोगों, एक्जिमा से पीड़ित लोगों को, मेलेनोमा (स्किन कैंसर का एक प्रकार है) से पीड़ित लोगों को, डायबिटीज से पीड़ितों को, हद से ज्यादा मोटे लोगों या खासकर महिलाओं को चिकन स्किन से प्राभावित होने का खतरा अधिक रहता है।

कैसे पाएं छुटकारा?

  • बता दें कि इस स्थिति का कोई परमानेंट इलाज नहीं है लेकिन इसमें सुधारा जरूर किया सकता है। अगर आपको अपने शरीर के कई हिस्सों पर इस तरह छोटे-छोटे लाल या काले रंग के दाने नजर आ रहे हैं, समय-समय पर इन दानों में खुजली का एहसास बढ़ता है, खासकर स्किन ड्राई होने पर खुजली ज्यादा बढ़ जाती है, तो स्किन के डॉक्टर से मिलें।
  • इससे अलग गुनगुने पानी से नहाकर आप स्क्रब का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • टाइट कपड़े पहनने से बचें। रगड़ से ये दिक्कत और बढ़ जाती है।
  • इन सब से अलग स्किन को ड्राई न रहने दें।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।