प्रेगनेंसी होना एक ऐसा प्रोसेस है जिसे कंप्लीट होने में पूरे नौ महीने लगते हैं। नौ महीने के बाद महिला बच्चे को जन्म देती है। प्रेग्नेंसी के पहले चार हफ्ते महिलाओं के लिए बहुत मायने रखते हैं। ये वही समय है जब भूर्ण का आकार खसखस के बीज के सामान होता है। चार हफ्तों की प्रेग्नेंसी से मतलब है एक महीने की प्रेग्नेंसी से है। इस एक महीने में बच्चे का विकास तेजी से होता है।
चार हफ्ते में भ्रूण यूट्राइन लाइनिंग में इंप्लांट होता है। आने वाले 36 हफ्तों में बॉडी में कई तरह के बदलाव आते हैं। चार हफ्तों की प्रेग्नेंसी का यूरिन टेस्ट के जरिए आसानी से पता लगाया जा सकता है। कंसीव करने के चार हफ्तों में महिला को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के पहले महीने में महिला को कौन-कौन सी परेशानियां होती है।
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में महिला को होने वाली परेशानियां:
- पहले महीने की प्रेग्नेंसी में महिला को पीरियड होना बंद हो जाते हैं।
- पहले चार हफ्तों में महिला को पेट में भारीपन महसूस होता है। उसे पेट भरा-भरा महसूस होता है।
- इस दौराम प्रेग्नेंट महिला को उल्टी और मतली की परेशानी होती है। कॉफी, मछली, रेड मीट और यहां तक की पालतू जानवर के खाने की गंध से भी उल्टी आती है।
- ब्रेस्ट में सेंसिविटी बढ़ जाती है खासकर निपल्स में ये ज्यादा होती है।
- ब्रेस्ट भारी महसूस होते हैं और गोल दिखाई देते हैं।
- प्रेग्नेंट महिला को बार-बार यूरिन डिस्चार्ज होता है। पेशाब ज्यादा आने का कारण गर्भाशय द्वारा ब्लैडर पर नीचे की ओर दबाव पड़ना है।
- आपको हल्की सी ब्लीडिंग जैसे धब्बे दिखाई पड़ सकते हैं।
- हॉर्मोन्स के स्त्राव की वजह से शरीर में खिंचाव और तनाव हो सकता है।
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प्रेग्नेंसी के चौथे हफ्ते में डाइट में करें ये बदलाव:
- प्रेग्नेंसी के चौथे हफ्ते में आप डाइट में बदलाव करें। इस दौरान अपनी डाइट में दूध, पनीर, दही जैसी चीजों को शामिल करें।
- इस दौरान कब्ज की परेशानी बढ़ सकती है इसलिए आप पानी का अधिक सेवन करें।
- डाइट में विटामिन सी का सेवन करें। विटामिन सी की पूर्ती के लिए आप खट्टे फल, हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और दालों को शामिल करें।
- कैल्शियम इस दौरान बेहद जरूरी है। कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए आप दूध, पनीर, दही जैसे फूड्स का सेवन करें।
- जंक फूड या फास्ट फूड से परहेज करें।