मोटापे में भी अगर आप स्वस्थ हैं मतलब आपको डायबिटीज नहीं है, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं है या फिर हाई कोलेस्ट्रॉल भी नहीं है तो ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जो लोग मोटापे से ग्रस्त होने के बावजूद डायबिटीज, ब्लड प्रेशऱ और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से मुक्त हैं, ऐसे लोगों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा 96 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। शोध में यह कहा गया है कि जो लोग ‘हेल्दी ओबेस’ यानी कि स्वस्थ मोटे होते हैं, ऐसे लोगों में कोरोनरी हर्ट डिसीज का खतरा 49 प्रतिशत और सेरेब्रोवैस्कुलर डिसीज का खतरा सात प्रतिशत तक उन लोगों के मुकाबले ज्यादा होता है, जो लोग मेटाबॉलिकली नॉर्मल वेट के होते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के विशेषज्ञ ऋषि कैलेयाचेट्टी का कहना है कि मेटाबॉलिकली स्वस्थ मोटापा पूरी तरह से हानिरहित अवस्था नहीं है। मेटाबॉलिक खतरे से मुक्त मोटापे में भी कोरोनरी हर्ट डिसीज, सोरोबेरोवैस्कुलर डिसीज और हर्ट अटैक का खतरा उन लोगों के मुकाबले ज्यादा होता है जो समान्य वजनी होते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी की एक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध के लिए शोधकारों की टीम ने दिल संबंधी बिमारियों जैसे कोरोनरी हर्ट डिसीज, सेरेब्रोवैस्कुलर डिसीज, हर्ट फेल्योर और पेरीफेरल वैस्कुलर डिसीज जैसी बीमारियों के अध्ययन के लिए तकरीबन 3.5 मिलियन ब्रिटिश युवाओं के इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स की जांच की थी।
अध्ययन में हेल्दी ओबेसिटी के कॉन्सेप्ट पर सवाल उठाया गया था। शोधकर्ताओं ने डॉक्टरों को आगाह करते हुए कहा कि उन्हें स्वस्थ मोटापा वाले रोगियों में दिल संबंधी बीमारियों को इग्नोर नहीं करना चाहिए। एक वरिष्ठ शोधकार कृष निरंतरकुमार ने कहा कि मोटापे के रोगियों को अपने मेटाबॉलिक स्थिति पर बहुत अधिक भरोसा न करते हुए अपने वजन को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। दिल संबंधी बीमारियों से बचने के लिए उन्हें नॉर्मल वेट में आना बेहद जरूरी है।
