UPSC एग्जाम में मिली असफलता से कई बार कैंडिडेट्स निराश हो जाते हैं। ऐसा ही ओम कांत ठाकुर के साथ भी हुआ था, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं हारा और अपनी तैयारी को जारी रखा। आखिरकार उनके बचपन का सपना पूरा हो गया और वह IAS बनने में कामयाब हुए थे। भले ही आज वह देश के बड़े अधिकारी बन गए हों, लेकिन कभी उनके परिवार के पास कॉलेज की फीस देने के भी पैसे नहीं थे।
ओम कांत ठाकुर लाखों रुपए की नौकरी कर रहे थे, लेकिन वह अपने बचपन का सपना पूरा करने के लिए नौकरी छोड़कर आ गए थे। बैंग्लोर से आने के बाद उन्होंने कोचिंग लेना शुरू कर दिया था। वह जब नौकरी छोड़कर वापस आए तो कोचिंग की क्लास देखकर ही डर गए थे क्योंकि वहां बहुत सारे बच्चे थे। लेकिन उन्हें भी नहीं पता था कि वह एक बार नहीं बल्कि तीन बार यूपीएससी जैसी परीक्षा क्लियर करेंगे।
ओम कांत ठाकुर ने बिहार के समस्तीपुर से ही स्कूली पढ़ाई की थी। ओम कांत याद करते हैं कि ये एक गांव का स्कूल था और यहां कोई खास सुविधाएं नहीं थीं। 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद मैंने मुजफ्फरपुर से आगे की पढ़ाई की। मैंने JEE की तैयारी शुरू कर दी थी। 12वीं में मैंने IIT की तैयारी करना शुरू कर दिया, लेकिन वहां भी मुझे असफलता हाथ लगी। ओमकांत कहते हैं कि आपको अपने ऊपर विश्वास रखना बहुत जरूरी है। अगर आप लगन के साथ तैयारी करेंगे तो आप जरूर सफल होगे।
DM की मदद: ओम कांत बताते हैं, ‘मैंने जीवन में बहुत त्याग किया है तब जाकर मुझे ये सफलता हासिल हुई है। मैंने NIIT से ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने 3 साल 8 महीने तक नौकरी की। यहां मुझे Samsung में भी नौकरी मिल गई थी। मुझे कंप्यूटर साइंस बहुत अच्छा लगता था। कॉलेज के समय पर मेरे परिवार की स्थिति बहुत खराब थी। उस समय के जिलाधिकारी ने शिक्षा के लिए ने मुझे ऋण दिया था। यहीं से मैंने देखा कि जिलाधिकारी ने चुटकी में मेरी सभी समस्याओं को हल कर दिया।’
उन्होंने आगे बताया, ‘2009 में मुझे सबसे ज्यादा लगा कि अब यूपीएससी की तैयारी शुरू करनी चाहिए। मैंने सर्च किया तो पता चला कि आईएएस के एग्जाम के लिए कुछ अन्य चीजें नहीं बस पढ़ाई ही करनी होती है। मुझे चांस मिला तो मैंने यूपीएससी एग्जाम क्लियर कर लिया था। कॉलेज के दोस्त मेरे ऊपर हंसते भी थे। लेकिन किसी को ये नहीं पता था कि मैं इसे लेकर गंभीर भी हूं।’