आज के समय में बढ़ते कॉम्पिटिशन के कारण लाख छात्र मानसिक तनाव से ग्रस्त हैं। किताबों के बोझ में दबे रहने से लेकर एग्जाम में अच्छे अंक लाने की जद्दोजद में वह कब तनाव के शिकार हो जाते हैं उन्हें खुद ही पता नहीं होता है। हमारी शिक्षा व्यवस्था में पूरा ध्यान अच्छे अंक के साथ परीक्षा पास करने पर है। ऐसे में स्वाभाविक है कि जब विद्यार्थी अच्छा स्कोर नहीं कर पाते हैं या अपने सपनों के संस्थान या विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं ले पाते हैं, तो निराश और उदास हो जाते हैं। यह एग्रेसिव कम्पटीशन कई बार छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य खराब कर देता है।
बच्चे का अपने प्रदर्शन के बारे में बुरा महसूस करना स्वीकार्य है। लेकिन कभी-कभी यह अवसाद जैसे परिणामों को जन्म दे सकता है। ऐसे में बच्चों को उनकी अक्षमता पर लंबा-चौड़ा व्याख्यान देने के बजाय एक ऐसे संवेदनशील समाज को बढ़ावा देने की जरूरत है जो बच्चे की निराशा को पहचान सके। सवाल यह उठता है कि परीक्षा में खराब प्रदर्शन से उबरने के लिए क्या करना चाहिए। जानिए एक्सपर्ट से कैसे बच्चे अपने मानसिक तनाव को कम कर सकते हैं।
माता-पिता और शिक्षकों में जागरूकता जरूरी
इस बारे में बच्चों को शिक्षित करने से पहले माता-पिता और शिक्षकों में जागरूकता लाना जरूरी है। उनको सबसे पहले बच्चों में निराशा की बात को स्वीकार करना होगा और उसके अनुसार उपचारात्मक उपाय लेने होंगें। यह एक ऐसा वातावरण बनाने में मदद करेगा जहाँ बच्चा अपने दिल की बात कहने से हिचकेगा नहीं।
करियर काउंसलिंग पर फोकस होना चाहिए
आजकल प्रतिस्पर्धा पहले की तुलना में बहुत अधिक भयंकर है। इस बात को ध्यान में रखते हुए यह समय की मांग है कि छात्र अपने माता-पिता के साथ करियर काउंसलिंग लें। करियर काउंसलर प्रशिक्षित और योग्य पेशेवर होते हैं जो छात्रों को उनकी रुचियों को पहचानने के लिए मार्गदर्शन कर सकते हैं। वे छात्रों को नए करियर विकल्पों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं और साथ ही उनकी नौकरी की संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी भी दे सकते हैं। इन दिनों आकर्षक अवसरों की पेशकश करने वाले कई करियर विकल्प उपलब्ध हैं जिनके बारे में छात्रों को जानकारी नहीं होती। करियर काउंसलर बच्चों को उनके कौशल और रुचि के आधार पर भविष्य की उड़ान भरने के लिए राह दिखाते हैं।
दूसरे बच्चों से तुलना करना करें बंद
माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के अंकों और परफॉर्मेंस की तुलना आसपास के बच्चों से करते हैं। इससे बच्चा अच्छा महसूस नहीं करता। उसमें निराशा आती है। उसे लगता है वह किसी काबिल नहीं है। यहां यह समझने की जरूरत है कि कोई भी किसी और की तरह नहीं होता है।
असफलता जीवन का अंत नहीं
एक महत्वपूर्ण बात जो बच्चों को समझने की जरूरत है, वह यह है कि वे बहुत कम उम्र के हैं जहां उन्होंने जिंदगी का ज्यादा अनुभव नहीं लिया है। ऐसे में निराशा के दौर में उनको यह समझाने की जरूरत है कि एक असफलता के बाद जीवन ख़त्म नहीं हो जाता। जिंदगी में अपार अवसर ओर संभानाएं भरी पड़ी है, जिनको वे समय और अनुभव के साथ ही खोज पाएंगे। उन्हें भविष्य में अपूर्व काम करने के लिए खुद पर विश्वास रखने की जरूरत है।