हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार नए घर में शिफ्ट होने से पहले पूजा करनी जरुरी होती है। नया घर होना हर किसी का सपना होता है। मान्यताओं के अनुसार नए घर में प्रवेश करने से पहले हवन और पूजा पाठ करना चाहिए। हवन और पूजा करने का बहुत महत्व होता है। ऐसा करने से घर में खुशियां आती हैं। कहा जाता है कि नए घर में पूजा करने से घर का शुद्धिकरण होता है और घर में सुख शांति आती है। शास्त्रों के अनुसार घर प्रवेश तीन प्रकार के होते हैं। अपूर्व गृह प्रवेश, सपूर्व गृह प्रवेश और द्वान्धव गृह प्रवेश।

कैसे होता है गृह प्रवेश
गृह प्रवेश के लिए सबसे पहले तारीख, दिन,समय और नक्षत्रों को देखकर गृह प्रवेश की तारीख का निर्धारण किया जाता है। गृह प्रवेश के लिए पूजन की विधि में लगने वाली सामग्री पंडित से पूछकर खरीदें। बता दें गृह प्रवेश में शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। ज्येष्ठ, फाल्गुन, माघ, वैशाख के महिने को गृह प्रवेश के लिए ठीक माना जाता है। वहीं भाद्रपद, आश्विन, आषाढ़, श्रावण, पौष को इसके लिहाज से बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता। वहीं मंगलवार के दिन को भी गृह प्रवेश के लिए ठीक नहीं माना जाता। 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, और 13 तिथियां अमावस्या व पूर्णिमा को छोड़कर शुक्लपक्ष की तारीख घर प्रवेश को सही माना जाता है।

गृह प्रवेश के लिए पूजन सामग्रीकलश, शुद्ध जल, कुमकुम, नारियल, चावल, अबीर, गुलाल, धूपबत्ती, पांच शुभ मांगलिक वस्तुओं के लिए आम या अशोक के पत्ते, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध आदि की जरुरत होती है।

मान्यताओं के अनुसार जब पहली बार नए घर में प्रवेश किया जाता है तो उसे अपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं। वहीं जब कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ बाहर जाता है और अपने घर को कुछ समय के लिये खाली छोड़ देता है और दोबारा अपने घर में रहने आता है तो इसे सपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं। तीसरे प्रकार के घर प्रवेश में जब कोई व्यक्ति किसी मुसीबत या परेशानी की वजह से घर छोड़कर जाता है और कुछ समय बाद अपने उस घर में दोबारा प्रवेश किया जाता है तो उसे द्वान्धव गृह प्रवेश कहते हैं।