Facts related to Labor and Childbirth: महिलाओं के लिए गर्भधारण करना जितना खुशनुमा होता है, उतना ही कष्टदायक भी होता है। वैसे तो आज के समय में महिलाएं जागरुक हैं लेकिन फिर भी महिलाओं का एक बड़ा तबका ऐसा है जिन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान और लेबर से जुड़ी जानकारियां बहुत कम हैं। ऐसे में कई बार ये महिलाएं लेबर के समय घबरा जाती हैं। इसके अलावा, जानकारी के अभाव में कई महिलाएं इससे जुड़े मिथकों पर भी यकीन कर लेती हैं। इस बाबत प्रसिद्ध जुंबा ट्रेनर सुचेता पाल ने इंस्टाग्राम पर अपना वीडियो साझा किया है जिसमें वो प्रेग्नेंसी से संबंधित कई बातें बता रही हैं।

लेबर में होता है असहनीय दर्द: सुचेता के अनुसार इस वीडियो में उन्होंने अपनी प्रेग्नेंसी के अनुभव से मिले ज्ञान को साझा किया है। ये इसलिए जरूरी है ताकि महिलाएं सब कुछ जानने के बाद खुद ही चुन सकें कि उन्हें गर्भवती होना है या नहीं। लेबर की शुरुआत पीरियड्स क्रैंप्स के साथ होती है जो कुछ देर में बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि ज्यादातर महिलाएं उस पीड़ा को बर्दाश्त नहीं कर पातीं। पाल के मुताबिक ये पीड़ा बहुत ही रियल है और महिलाओं को उतना ही दर्द सहना चाहिए जितना उनके लिए सक्षम हो।

लेबर के बाद होती है ब्लीडिंग: लेबर और चाइल्डबर्थ के लिए हिम्मत जरूरी है। सुचेता ने वीडियो में बताया कि लेबर के समय तो हर तरफ खून और पानी होता ही है, साथ ही उसके बाद भी महिलाओं को काफी समय तक ब्लीडिंग होती है। सुचेता की डिलीवरी सी-सेक्शन थी, वो आगे बताती हैं कि बच्चे के पैदा हो जाने के तीन दिनों तक ब्लीडिंग होती है। वहीं, कई औरतों में ये 4 से 6 हफ्ते तक जारी रहती है। ऐसे में महिलाओं को कई एडल्ट डाइपर्स खरीद कर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आमतौर ये बातें कोई नहीं बताता इसलिए गर्भवती महिलाओं और वैसी महिलाएं जो प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, उन्हें मानसिक तौर पर तैयार रहना चाहिए।

एपिड्यूरल और सी-सेक्शन में नहीं होता दर्द: लेबर के दर्द को सोचने भर से ही शरीर में सिहरन पैदा होने लगती है। लेबर पेन को सबसे तेज दर्द के रूप में जाना जाता है। हालांकि, सुचेता के अनुसार नॉर्मल डिलीवरी में किसी प्रकार की जटिलता होने पर या दर्द नहीं बर्दाश्त कर पाने पर आप सी-सेक्शन और एपिड्यूरल का सहारा ले सकते हैं। ये सभी तरीके दर्द रहित होते हैं। उन्होंने आगे बताया कि सी-सेक्शन से जुड़े कई मिथकों को लोग सच मान लेते हैं, जबकि इससे मां और बच्चे की सेहत पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता।