ओबेसिटी या मोटापा ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का वजन इतना ज्यादा हो जाता है कि इसका बुरा असर उसकी सेहत पर पड़ने लगता है। जब व्यक्ति जरूरत से ज्यादा कैलरी का सेवन करता है तो यह अतिरिक्त कैलरी फैट के रूप में शरीर में जमा होने लगती है। ओबेसिटी का निदान मरीज की शारीरिक जांच एवं उसके इतिहास के आधार पर किया जाता है। मोटापे के कारण बीमारियों के संभावना की जांच के लिए व्यक्ति के बीएमआई (बॉडी मास इंडेस्क) का मापन किया जाता है।
ओबेसिटी का जीन्स से संबंध: जीन इस बात के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि आपके शरीर में कहां और कितना वसा जमा होगा। शारीरिक रूप से निष्क्रिय व्यक्ति में वजन बढ़ने से आर्थराइटिस, दिल, लिवर व ब्लड प्रेशर की बीमारियां हो सकतीं हैं। अगर किसी व्यक्ति के माता-पिता में से एक या दोनों मोटापे का शिकार हैं तो बच्चों में मोटापे की संभावना बढ़ जाती है।
ओबेसिटी और खानपान: कैलरी युक्त आहार, जंक फूड, पेय पदार्थों का अधिक सेवन करने तथा फलों और सब्जियों का सेवन कम करने से व्यक्ति मोटापे का शिकार हो सकता है। मोटापा किसी भी उम्र में, यहां तक कि छोटे बच्चों में भी हो सकता है। कुछ लोगों में मोटापा कई बीमारियों के कारण भी हो सकता है। कुछ दवाओं के कारण भी कई बार व्यक्ति का वजन बढ़ जाता है।
ओबेसिटी से बढ़ता है इन बीमारियों का खतरा: मोटापे के कारण स्ट्रोक, कैंसर, प्रजनन क्षमता में कमी, दिल, ऑस्ट्रियोआर्थराइटिस, टाइप 2 डाइबिटीज, पित्ताशय की बीमारी, सांस, उच्च रक्तचाप, लिवर में मोटापा, नर्व डिसऑर्डर जैसी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
बचाव के उपाय
– आहार और व्यायाम पर ध्यान देना चाहिए। नियमित व्यायाम से आप अपना वजन नियन्त्रण में रख सकते हैं। तेज चलना, तैरना और साइकल चलाना अच्छे व्यायाम हैं। दिन में तीन बार नियमित आहार लें।
– गर्भावस्था में महिलाओं का वजन बढ़ना अनिवार्य है। लेकिन, कई बार यह बाद में मोटापे का कारण बन जाता है।
– पूरी नींद न लेने से शरीर में हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे भूख बढ़ती है।
– कम कैलरी से युक्त आहार, फल, सब्जियों और साबुत अनाज का सेवन करें।
– मिठाई, अल्कोहल का सेवन सीमित मात्रा में करें। सैचुरेटेड फैट के सेवन से बचें।
– दैनिक जीवन में पानी का पर्याप्त सेवन करना चाहिए।
– खीरे, नींबू, अदरक, पुदीने का रस वजन घटाने, विशेष रूप से पेट से फैट कम करने में मददगार है।
– फैट कम करने में ग्रीन टी, बैरीज, मेवे, दही, दालें, ओट, अंडा, फैटी फिश का सेवन भी मददगार साबित हो सकता है।


