Tanot Mata Temple: कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकियों ने 26 भारतीय नागरिकों की बर्बरता तरीके से हत्या कर दी थी, अब भारत ने इसका करारा बदला लिया है। भारत ने आज पाकिस्तान और पीओके में जवाबी कार्रवाई करते हुए नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया।

मंदिर परिसर में गिरे थे 450 बम

भारत और पाकिस्तान के बीच काफी तनाव की स्थिति बनी हुई है। वहीं, इस स्थिति को देखते हुए साल 1965 की याद आती है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था। इस दौरान राजस्थान के जैसलमेर में भारत-पाक बॉर्डर पर मौजूद  तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Mandir Jaisalmer) परिसर में पाकिस्तानी सेना ने करीब 450 बम गिराए थे, लेकिन इस मंदिर में एक भी नहीं फटा था।

आज भी सुरक्षित है बम

1965 और 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध का गवाह इस मंदिर पर  पाकिस्तानी सैनिकों ने तीन अलग-अलग जगहों से आक्रमण किया था। लेकिन वह कुछ भी कर नहीं पाए। साल 1965 में पाकिस्तान ने मंदिर के आस-पास करीब 3000 बम गिराए। हालांकि, मंदिर के प्रांगण में करीब 450 बम गिरे, जिसमें से एक भी नहीं फटा। पाकिस्तानी सेना द्वारा गिराए गए इस मंदिर के संग्रहालय में आज भी ये बम सुरक्षित हैं।  

थार की वैष्णो देवी हैं तनोट माता

भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तनोट माता ने भारतीय सैनिकों की रक्षा की थी। यही कारण है कि तनोट माता को सैनिकों की देवी और थार की वैष्णो देवी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को सिद्ध पीठ माना जाता है। वहीं, भारतीय सेना पाकिस्तान पर हावी हो गई, जिसके कारण पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। वहीं, इस मंदिर का प्रबंधन आज भी सीमा सुरक्षा बल (BSF) करती है।

मंदिर के पुजारी भी हैं सैनिक

आज भी इस मंदिर में सुबह और शाम के समय आरती की जाती है। इस मंदिर के पुजारी सैनिक ही हैं। मालूम हो कि इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक सैनिक तैनात रहता है। यहां पर कोई भी आकर माता का दर्शन कर सकता है। इस मंदिर को बॉर्डर फिल्म में भी दिखाया गया था।

क्या है तनोट मंदिर का इतिहास?

तनोट माता मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है। यह हिंदू देवी हिंगलाज माता के एक स्वरूप तनोट राय को समर्पित है। मंदिर का एक समृद्ध और आकर्षक इतिहास है जो कई शताब्दियों पुराना है।

तनोट माता के इतिहास के अनुसार, एक मामड़िया चारण नाम का व्यक्ति था, जो राजाओं के दरबार में उनका गुणगान किया करता था। मामड़िया चारण के कोई संतान नहीं थी। ऐसे में संतान की इच्छा रखते हुए उसने माता हिंगलाज की सात बार पैदल यात्रा करके परिक्रमा की। इससे माता ने प्रसन्न होकर उससे पूछा कि आखिर उसे पुत्र चाहिए या पुत्री। ऐसे में मामड़िया चारण ने कहा कि वह उनके घर में जन्म लें। ऐसे में उन्होंने उसे आशीर्वाद दे दिया। परिणाम स्वरूप मामड़िया चारण के घर में एक पुत्र और सात पुत्रियों का जन्म हुआ। इन्हीं 8 पुत्रियों में एक थी आवड मां, जो बाद में तनोट माता के नाम यानी रक्षा की देवी के नाम से प्रसिद्ध हुई।  

कैसे पहुंचे तनोट माता मंदिर?

हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे तनोट मंदिर?

तनोट माता मंदिर आप  हवाई, रेल और सड़क तीनों माध्यम से पहुंच सकते हैं। अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले जोधपुर हवाई अड्डा पहुंचना होगा। इसके बाद आप सीधे कैब लेकर यहां पहुंच सकते हैं। यह मंदिर जैसलमेर के मुख्य शहर से करीब 2 घंटे की दूरी पर है।

ट्रेन से कैसे पहुंचे तनोट माता मंदिर?

आप ट्रेन से भी तनोट माता मंदिर पहुंच सकते हैं। इसके लिए आपको जैसलमेर रेलवे स्टेशन आना होगा। यहां से आप बस या फिर कैब के माध्यम से पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी सिर्फ 123 किलोमीटर की है।

सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे तनोट मंदिर?

सड़क मार्ग से भी तनोट माता मंदिर पहुंचा जा सकता है। इसके लिए आपको जैसलमेर पहुंचना होगा और यहां से आप सीधे तनोट माता मंदिर जा सकते हैं।