Karwa Chauth Rangoli designs photos, images, pictures: करवा चौथ कई हिंदू त्योहारों में से एक है जो सभी विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक व्रत है। महिलाएं यह त्योहार अपने पति की दीर्घायु, समृद्धि और कल्याण के लिए चाहती हैं। यह त्योहार भारत के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में विवाहित हिंदू महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रिय है, मुख्य रूप से पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश में। करवा चौथ त्योहार के दौरान, विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पति को दिन समर्पित करती हैं।
आमतौर पर, जो महिलाएं इस त्योहार का पालन करती हैं, उन्हें “सौभाग्यवति” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “पत्नी के लिए खुशी और खुशहाल स्थिति होती है।” करवा का मतलब मिट्टी का घड़ा होता है जबकि चौथ का मतलब चौथा होता है। हिंदू कैलेंडर के कार्तिक माह में पूर्णिमा के बाद करवा चौथ का दिन मनाया जाता है। यह त्योहार आमतौर पर शरद ऋतु की फसल के तुरंत बाद मनाया जाता है। दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने और उपहारों के आदान-प्रदान का यह सबसे अच्छा समय है।
करवा चौथ पर जानिए अपने लाइफ पार्टनर की लव लाइफ
करवा हर क्षेत्र में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान महिलाओं को सास और मां की तरफ से गहने, कपड़े और उपहार मिलते हैं। सभी विवाहित महिलाएं एक बार फिर से शादी के दिन के कपड़े पहनती हैं और मेहंदी लगाती हैं। इसके अलावा कई महिलाएं अपने घरों में रंगोली भी बनाती हैं ताकि इस दिन की खुशियां और बढ़ जाएं। ऐसे में इस करवा चौथ के मौके पर आप अपने घर की शोभा बढ़ाने के लिए रंगोली भी बनाना चाहती हैं सोशल मीडिया की वेबसाइट्स के जरिए बना सकती हैं। इसके अलावा आप हमारे इस आर्टिकल के जरिए भी रंगोली के डिजाइन्स ले सकती हैं।


करवा चौथ के व्रत में भगवान शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देव की पूजा-अर्चना होती है। एक तांबे या मिट्टी के बरतन में चावल, उड़द की दाल, सिंदूर, चूड़ी, शीशा, कंघी, लाल रिबन और रुपए रखकर किसी बड़ी सुहागिन महिला या अपनी सास के पांव छूकर उन्हें भेंट करें।

करवा चौथ की पूजा के लिए एक स्टील या ब्रास की थाली का इस्तेमाल करें। इसमें रूई को तेल में डुबाकर चिन्ह बनाएं। इसी थाली में चावल और कुमकुम अलग-अलग रख लें। थाली में ही पूजन के लिए दीपक, धूपबत्ती सहित अन्य सामान रखें। मिट्टी के करवों में पानी भरकर रख लें।

इसके अलावा चांद को देखने के लिए एक छलनी भी रख लें। पूजा कर कथा सुनें और जब चांद पूरी तरह से दिख जाए तो उसे छलनी से देखकर अर्घ्य देकर आरती उतारें। इसके तुरंत बाद अपने पति को उसी छलनी से देखें।


सुबह 06:23 बजे से व्रत का मुहूर्त शुरू हो चुका है। शाम 07:16 बजे तक व्रत चलेगा। पूजा का समय शाम 05:50 बजे से 07:05 बजे के बीच का है। करीब 08:16 पर चंद्र उदय होगा। उगते हुए चंद्रमा को देखने के बाद अर्घ्य देंने की परंपरा है।


