Irregular Blood Sugar Level: आज के समय में व्यस्त शेड्यूल में ब्लड शुगर लेवल का अनियमित होना एक आम परेशानी है। ब्लड शुगर हाई हो जाने पर डायबिटीज के अलावा, नसें, दिमाग, दिल, लिवर और किडनी भी प्रभावित होती है। हालांकि, बता दें शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने के साथ ही घटना भी खतरनाक होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ मधुमेह रोगियों को ही नहीं बल्कि हेल्दी लोगों को भी इन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक डायबिटीज रोगियों को ब्लड ग्लूकोज कंट्रोल करना बहुत फायदेमंद होता है। अगर उनके रक्त शर्करा का स्तर कम या ज्यादा हो जाए तो कॉम्प्लिकेशंस बढ़ जाती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार खाने से पहले नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल 80 से 130 मिलीग्रम प्रति डेसीलीटर होता है। वहीं, खाने के दो घंटे बाद शुगर लेवल 180 mg/dL से कम होना चााहिए।
हाई ब्लड शुगर के लक्षण: जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनता है या इस्तेमाल नहीं हो पाता है तो ब्लडस्ट्रीम में रक्त की मात्रा अधिक हो जाती है। इससे शरीर के विभिन्न हिस्सों पर अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलता है।
उच्च रक्त शर्करा के मरीजों में बार-बार पेशाब लगने की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा, थकान, त्वचा में शुष्की और खुजली, ज्यादा प्यास लगना, बार-बार इंफेक्शन का खतरा रहता है। इसके अलावा, अधिक खाने पर भी अगर वजन नहीं बढ़ रहा है तो ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि हो सकती है।
हाई ब्लड शुगर ब्लड वेसल्स और नसों को डैमेज करता है, इससे शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है। दिन भर आराम करने के बावजूद अगर आप थकान महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा, आंखों में एक फ्लूइड भरने लगता है जिससे नजरें कमजोर हो सकती हैं।
लो ब्लड शुगर के संकेत: जब ब्लडस्ट्रीम में ग्लूकोज का स्तर काफी कम हो जाता है तो भी वो मसल्स और टिश्यूज तक उसे पहुंचाने की कोशिश करता है। ऐसे में शुगर लेवल में गिरावट देखने को मिलती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार जब लोग डाइट में कार्ब्स बिल्कुल ही कम लेते हैं तो रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता है। ब्लड शुगर लेवल घटने से एड्रनेलिन हार्मोन निकलता है। ये हार्ट रेट को प्रभावित करता है जिससे पसीना, कंपकंपी, घबराहट और चिड़चिड़ापन हो सकता है।
रक्त शर्करा का स्तर जब 70 mg/dL से नीचे हो जाता है तो उसे लो ब्लड शुगर कहते हैं। अगर दिमाग तक ग्लूकोज न पहुंचे तो इससे भ्रम की स्थिति, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी और बोलने में कठिनाई हो सकती है।