Bhagat Singh Birthday, Bhagat Singh Jayanti 2019, Speech, History, Quotes: शहीद भगत सिंह (28 सितंबर 1907 – 23 मार्च 1931) एक देशभक्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्रांतिकारी थे। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है। बताया जाता है कि उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को एक खेत में सिख परिवार में हुआ था। ब्रिटिश राज के खिलाफ बचपन से ही इन्होंने अध्ययन किया और क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित हुए। जब भगत सिंह (legend Bhagat Singh) किशोर थे, तभी उन्होंने यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलनों का अध्ययन किया। भगत सिंह के जन्मदिन पर आप इस प्रकार उनके श्रद्धांजलि देते हुए स्पीच या भाषण तैयार कर सकते हैं।
Bhagat Singh Jayanti 2019 Speech/Quotes
भगत सिंह उत्कृष्ट और अप्राप्य क्रांतिकारी थे, उनका जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के दोआब जिले में एक संधू जाट परिवार में हुआ था। वह बहुत कम उम्र में स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल हो गए और केवल 23 वर्ष की आयु में शहीद हो गए। भगत सिंह अपने वीर और क्रांतिकारी कृत्यों के लिए लोकप्रिय हैं। उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जो पूरी तरह से भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल थे।
उनके पिता, सरदार किशन सिंह और चाचा, सरदार अजीत सिंह दोनों उस समय के लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे। दोनों गांधीवादी विचारधारा का समर्थन करने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हमेशा लोगों को अंग्रेजों का विरोध करने के लिए जनता के बीच आने के लिए प्रेरित किया। इससे भगत सिंह प्रभावित हुए। इसलिए, देश के प्रति निष्ठा और इसे अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करने की इच्छा भगत सिंह में जन्मजात थी। यह उनके खून और नसों में दौड़ रहा था।
- दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उलफत,
- मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आएगी।
– भगत सिंह
जयंती विशेष: देश के उस मतवाले को सलाम
प्रेमी, पागल और कवि एक ही पदार्थ के बने होते हैं - भगत सिंह
जिंदा रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन मेरा जिंदा रहना एक शर्त पर है। मैं कैद होकर या पाबंद होकर जिंदा रहना नहीं चाहता ।
राख का हर कण
मेरी गर्मी से गतिमान है
मैं एक ऐसा पागल हूं
जो जेल में भी आजाद है।
सिद्धार्थः 2006 में आई आमिर की फिल्म Rang De Basanti में साउथ सिनेमा के सुपरस्टार सिद्धार्थ भगत के रूप में दिखे। फिल्म ‘मेरी दुल्हन तो आजादी है’ का डायलॉग काफी पसंद किया गया। फिल्म दर्शकों के अलावा आलचकों को भी पसंद आई।
अजय देवगनः शहीद के एक साल बाद अजय की फिल्म आई Bhagat Singh, जिसकी दर्शकों ने खूब प्रशंसा की। राज कुमार संतोषी द्वारा निर्देशित फिल्म में अजय के परफोर्मेंस को काफी पसंद किया गया। फिल्म के गानों में ए आर रहमान का सराहनीय योगदान रहा। फिल्म ने 2 नेशनल अवॉर्ड और 3 फिल्म फेयर अवॉर्ड हासिल किए।
बॉबी देओलः सोनू के बाद बॉलीवुड में फिर Shaheed मूवी आई, जिसमें बॉबी देओल भगत सिंह बने थे और सनी देओल ने चंद्र शेखर आदाज का रोल निभाया था। फिल्म को धर्मेंद्र ने प्रोड्यूस किया था। फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन अच्छा नहीं रहा।
सोनू सूदः 2002 में बॉलीवुड में Shaheed-E-Azam आई, जिसमें सोनू सूद ने भगत सिंह का किरदार अदा किया। फिल्म दर्शकों को खास इंप्रेस नहीं कर पाई।
मनोज कुमारः 1965 में आई Shaheed में मनोज कुमार ने स्वतंत्रता सेनानी भगत की भूमिका निभाई। फिल्म में मनोज कुमार की भूमिका काफी सराहा गया था। इस फिल्म को तीन नेशनल अवॉर्ड मिले थे।
शम्मी कपूरः शहीद पर आधारित पहली फिल्म के 9 साल बाद Shaheed Bhagat Singh फिल्म आई। इस मूवी में अभिनेता शम्मी कपूर ने फ्रीडम फाइटर का किरदार निभाया था। उस दौरान यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई थी।
प्रेम अदीबः बॉलीवुड फिल्म में पहली बार भगत सिंह की भूमिका प्रेम अदीब ने निभाई थी। भगत सिंह के शहीद होने के 23 साल बाद 1954 में उन पर फिल्म बनी थी, जिसका नाम था Shaheed-E-Azad Bhagat Singh…।
भगत सिंह के आंदोलन और उनके देशभक्ति को लेकर बॉलीवुड में तमाम फिल्में बनी हैं। बॉलीवुड में 7 ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने भगत सिंह बनकर देश को उनके उसूलों से परिचय करवाया है।
पेज नंबर 177: भगत सिंह की ऐतिहासिक डायरी के पेज नंबर 177 पर लिखा है- यह प्रकृति के नियमों के खिलाफ है कि कुछ मुट्ठी भर लोगों के पास सभी चीजें इफरात (आवश्यकता से अधिक) में हों और जन साधारण के पास जीवन के लिए जरूरी चीजें भी न हों।
जिस शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने अपने आखिरी दिनों में लाहौर (अब पाकिस्तान) जेल में ऐतिहासिक दस्तावेज लिखे थे उनका आज जन्मदिन (Birthday) है। 23 साल की उम्र में शहादत देने भगत को पढ़ने-लिखने में काफी रुचि थी। जेल में उनको 12 सितंबर, 1929 को एक डायरी दी गई थी, जिसमें उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचार लिखे थे। इस डायरी पर जेलर और भगत सिंह दोनों के ही दस्तखत मौजूद हैं। इस ऐतिहासिक डायरी के एक पन्ने पर लिखा है- महान लोग इसलिए महान हैं क्योंकि हम घुटनों पर हैं। आइए, हम उठें।
भगत सिंह की उस डायरी के पन्ने भले ही अब पुराने हो चले हैं लेकिन उसका एक-एक शब्द आज भी सरफ़रोशी की शमां जला देते हैं। सिंह की उस डायरी में उनके वो पल कैद हैं.. उन्होंने इसे लाहौर जेल में 12 सितंबर,1929 को लिखना शुरू किया था।
23 साल की उम्र में शहादत को प्राप्त करने वाले भगत सिंह द्वारा अपने आखिरी दिनों में लाहौर जेल से लिखे गए एक-एक खत बाद में इंकलाब की आवाज बन गए और उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत का सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी केवल 23 साल का था जब उसे फांसी दी गई थी। उनकी मृत्यु ने स्वतंत्रता आंदोलन के लिए सैकड़ों लोगों को प्रेरित किया।
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ है मेरी कलम,
मैं इश्क भी लिखना चाहूं को इंकलाब लिखा जाता है।।
- भगत सिंह
भगत सिंह ने सुखदेव के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई और लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने की साजिश रची। हालांकि गलत पहचान के एक मामले में, सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी गई थी।
जब भगत सिंह की मां जेल में उनसे मिलने आई थीं, तो भगत सिंह जोर-जोर से हंस रहे थे। यह देखकर जेल अधिकारी हैरान रह गए कि यह व्यक्ति कैसा है जो मौत के इतने करीब होने के बावजूद खुलकर हंस रहा है।
ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है,दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं।— शहीद भगत सिंह
सरदार भगत सिंह, वो शख्सियत थे जिनका नाम सुनते ही अगर हिंदुस्तानियों की धमनियों में रक्त संचार तीव्र हो जाता है, तो वैसे ही अंग्रेजों की रूह भी कांपती थी। वह भारत के ऐसे जांबाज वीर योद्धा थे जिसने मात्र 23 साल की उम्र में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। अंग्रेजी हुकूमत इतना डर गई कि उनको 11 घंटे पहले ही चुपचाप फांसी दे दी। उन्होंने देशवासियों में देशभक्ति की आग जगाने के लिए अथक प्रयास किए।
उनकी एक प्रसिद्ध लाइन थी—
यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार करना होगा। जब हमने बम गिराया तो हमारा मकसद किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चहिये।
मेरा जीवन एक महान लक्ष्य के प्रति समर्पित है। देश की आज़ादी। दुनिया की अन्य कोई आकषिर्त वस्तु मुझे लुभा नहीं सकती।
-भगत सिंह
जन्मदिन मुबारक 2019
इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है।
-भगत सिंह
जन्मदिन मुबारक 2019
भगत सिंह का जन्म पंजाब प्रांत के लायपुर जिले के बगा में 28 सितंबर 1907 को हुआ था। देश उनकी 112वीं जयंती मना रहा है। शहीद-ए-आजम भगत सिंह का नाम इतिहास में अमर है। उन्हें महज 23 साल की उम्र में अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। उन्होंने सिर्फ 12 साल की उम्र में जलियांवाला बाग हत्याकांड देखा और उसी दिन ने इनके अंदर आजादी की जिंगारी ज्वाला बनकर धधक रही थी। इसके बाद उन्होंने इंकलाब जिंदा के नारे और देशभक्ति के नारों से अंग्रेजों के अंदर खौफ पैदा कर दिया।
भरत, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के राजनीतिक नेताओं द्वारा बहुत लोकप्रिय दबाव और कई अपील के बावजूद, उन्हें 23 मार्च 1931 के शुरुआती घंटों में फांसी की सजा दी गई थी। उनके शवों का फिरोजपुर में सतलज के तट पर अंतिम संस्कार किया गया था। भगत सिंह उस समय सिर्फ 23 साल के थे। पुराने समय के लोगों का कहना है कि कई जगहों पर उस दिन एक भी चूल्हा नहीं जला।
राख का हर एक कण,
मेरी गर्मी से गतिमान है।
मैं एक ऐसा पागल हूं,
जो जेल में भी आजाद है।।
- भगत सिंह
भगत सिंह अपने बचपन के दौरान लड़ने से कभी नहीं डरते, उन्होंने 'खेतों में बंदूक उगाने' के बारे में सोचा, ताकि वह अंग्रेजों से लड़ सकें। ग़दर आंदोलन ने उनके दिमाग पर एक गहरी छाप छोड़ी। 19 साल की उम्र में फांसी दिए गए करतार सिंह सराभा उनके नायक बन गए। 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार ने उन्हें अमृतसर तक पहुंचा दिया, जहां उन्होंने शहीदों के खून से पवित्र धरती को चूमा और मिट्टी से लथपथ मिट्टी को घर वापस लाया।
एक स्वतंत्रता सेनानी, उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक माना जाता था। इस कारण से, उन्हें 'शहीद' भगत सिंह के रूप में जाना जाता है। इतनी कम उम्र में, अगर किसी को मौत की सजा दिए जाने से ठीक पहले मुस्कुरा रहा था, तो वह शहीद भगत सिंह थे। उनके चाचा, सरदार अजीत सिंह, साथ ही उनके पिता, महान स्वतंत्रता सेनानी थे, इसलिए भगत सिंह देशभक्ति के माहौल में बड़े हुए। कम उम्र में, भगत सिंह ने ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ने का सपना देखना शुरू कर दिया।
16 साल की उम्र में, वह आश्चर्य करते थे कि इतने सारे भारतीय आक्रमणकारियों को एक मुट्ठी दूर क्यों नहीं भगा सकते थे। क्रांतिकारी समूहों और विचारों की तलाश में, उन्होंने सुखदेव और राजगुरु से मुलाकात की। भगत सिंह ने चंद्रशेखर आज़ाद की मदद से हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) का गठन किया।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।।
- भगत सिंह
भगत सिंह वास्तव में एक सच्चे देशभक्त थे। ना केवल उन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि इस घटना में अपनी जान देने के लिए भी पीछे नहीं हटे। उनकी मृत्यु ने पूरे देश में उच्च देशभक्ति की भावनाएं पैदा कीं। उनके अनुयायी उन्हें शहीद मानते थे। हम आज भी उन्हें शहीद भगत सिंह के रूप में याद करते हैं।
28 सितंबर 1907 में उनका जन्म एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता और चाचा दोनों ही उस समय के लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे। अपने पिता और चाचा को देखकर भगत सिंह ने भी फैसला लिया कि वह अपने देश के लिए लड़ेंगे। 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार ने उन्हें अमृतसर तक पहुंचा दिया, जहां उन्होंने शहीदों के खून से पवित्र धरती को चूमा और मिट्टी से लथपथ मिट्टी को घर वापस लाया।
भगत सिंह ने कीर्ति किसान पार्टी की पत्रिका के लिए भी योगदान देना शुरू किया। हालांकि उनके माता-पिता चाहते थे कि वे उस समय शादी करें, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने उनसे कहा कि वह अपना जीवन पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित करना चाहते हैं।
क्रांति लाना किसी भी इंसान की ताकत के बाहर की बात है। क्रांति कभी भी अपने आप नहीं आती। किसी विशिष्ट वातावरण, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में ही क्रांति लाई जा सकती है।
-भगत सिंह
भगत सिंह के पिता और पूरा परिवार महात्मा गांधी के समर्थन में था और इसी दौरान एक मुहिम चली कि सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों का बहिष्कार किया जाएगा। इसलिए, भगत सिंह ने 13 वर्ष की आयु में स्कूल छोड़ दिया और फिर उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज में प्रवेश लिया। कॉलेज में, उन्होंने यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलनों का अध्ययन किया जिससे उन्हें काफी प्रेरणा मिली।
भगत सिंह ने यूरोपीय राष्ट्रवादी आंदोलनों के बारे में कई लेख पढ़े। इसलिए वह 1925 में उसी से बहुत प्रेरित थे। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की। बाद में वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए जहां वह सुखदेव, राजगुरू और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे कई प्रमुख क्रांतिकारियों के संपर्क में आए।