Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2019 Speech, Essay, Nibandh, Bhashan, Slogan, Quotes in Hindi : भारतीय इतिहास के लौह पुरुष और आजाद हिंदुस्तान के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 31 अक्टूबर को जयंती है। पूरा देश इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाएगा। सरदार पटेल की ये परिकल्पना थी कि देश एक राष्ट्रशक्ति तब तक नहीं बन सकता जबतक उस सामूहिकता का सही संचालन न किया जाए। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस घोषित किया गया था। 2018 में यानी पिछले साल इस दिन दुनिया की सबसे उंची प्रतिमा का अनावरण किया गया था।

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: पढ़ें सरदार वल्‍लभ भाई पटेल का जीवन परिचय, निबंध, स्पीच और कोट्स

सरदार पटेल की 144वीं जयंती पर मोदी सरकार ने जहां देशभर में रन फॉर यूनिटी का आयोजन किया है वहीं सीबीएसई भी अपने सभी स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। राष्ट्रीय एकता दिवस 2019 का थीम रखा गया है, ‘देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे के खिलाफ देश की अंतर्निहित ताकत को एकजुट करना और उसके खिलाफ खड़े होना।’ 31 अक्टूबर को देशभर के स्कूलों में सरदार पटेल की जयंती और राष्ट्रीय एकता दिवस के लिए निबंध कार्यक्रम और प्रस्तुति होंगे।

आइए इस ब्लॉग के माध्यम से आप भी अपने लिए निबंध तैयार करें, लौह पुरुष के प्रसिद्ध कथनों को याद करें…

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20:37 (IST)31 Oct 2019
गांधी के चंपारण सत्याग्रह से पटेल काफी प्रभावित थे

सरदार पटेल की गांधी से कई बातों पर अलग अलग राय थे लेकिन गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सफलता से वे काफी प्रभावित थे। 1918 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़ा। किसानों ने करों से राहत की मांग की, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने मना कर दिया। 

19:54 (IST)31 Oct 2019
खुद का भी मकान नहीं था सरदार पटेल के पास

सरदार पटेल ऐसे नेता थे जिनका खुद का मकान नहीं था। वे अहमदाबाद में किराए के मकान में रहते थे। साल 1950 में निधन के समय उनके अकाउंट में सिर्फ 260 रुपए ही थे।

18:39 (IST)31 Oct 2019
इस दौरान मिली सरदार की उपाधि

सरदार पटेल बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे थे। इसमें मिली सफलता पर वहां की महिलाओं ने उन्हें 'सरदार' की उपाधि प्रदान की। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को 'भारत का बिस्मार्क' और 'लौहपुरुष' भी कहा जाता है। सरदार पटेल वर्णभेद तथा वर्गभेद के कट्टर विरोधी थे।

17:11 (IST)31 Oct 2019
पटेल के आगे झुके थे अंग्रेज..

पटेल अपने लक्ष्य में सफल हुए, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार को उस साल का राजस्व कर माफ करना पड़ा। इसके साथ वह गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गए।

16:32 (IST)31 Oct 2019
देश की आजादी के लिए किया संघर्ष...

महात्मा गांधी के कार्यों व आदर्शों से प्रेरित होकर पटेल भी देश की आजादी के लिए किए जा रहे संघर्ष में शामिल हो गए। उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स के विरोध में खेड़ा, बारडोली व गुजरात के अन्य क्षेत्रों से किसानों को संगठित किया और गुजरात में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।

16:00 (IST)31 Oct 2019
पटेल की शादी..

17 साल की उम्र में वल्लभ भाई की शादी हो गई थी। उनका ब्याह गना गांव की रहने वाली झावेरबा से हुआ।

15:14 (IST)31 Oct 2019
पेशे से वकील थे 'पटेल'

पटेल का गोधरा से गेहरा नेता है। वहां उन्होंने एक वकील के रूप में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की थी। वह एक सफल वकील थे।

14:39 (IST)31 Oct 2019
भारत पुत्र को मिला था 'भारत रत्न'..

सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था

13:55 (IST)31 Oct 2019
पटेल का निधन..

सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर, 1950 को हुआ था। मुंबई, महाराष्ट्र में उन्होंने अंतिम सांस ली थी।

13:03 (IST)31 Oct 2019
पटेल का 'गुप्त ऑपरेशन'

सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन पोलो चलाया। साल 1948 में चलाया गया ऑपरेशन पोलो एक गुप्त ऑपरेशन था। इस ऑपरेशन के जरिए निजाम उस्मान अली खान आसिफ को सत्ता से अपदस्त कर दिया गया और हैदराबाद को भारत का हिस्सा बना लिया गया।

11:52 (IST)31 Oct 2019
उस समज देश एक जुट नहीं था, तब देश को एक धागे में पिरोने वाले बने 'पटेल'..

पटेल को भारत का एक सूत्रधार कहा जाता है। उस समज देश एक जुट नहीं था। अलग अलग रियासतें थीं। जिन्हें पटेल ने एक कर भारत बनाय। लेकिन उस वक्त एक रियासत पटेल की बात मानने को तैयार नहीं थी। हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान आसिफ ने स्वतंत्र रहने का फैसला किया था। निजाम ने फैसला किया कि वे न तो भारत और न ही पाकिस्तान में शामिल होंगे।

11:32 (IST)31 Oct 2019
पटेल के जबरदस्त भाषण ने दर्शायी लोगों की भावनाएं..

उस समय जब भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी पर देश गुस्से में था, ऐसे में पटेल ने जबरदस्त भाषण दिया था जिसने लोगों की भावना को दर्शाया।

11:19 (IST)31 Oct 2019
पटेल में कूट कूट कर भरी थी काबिलियत...

1931 में पटेल को कांग्रेस के कराची अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया। तो वहां पटेल देश की आजादी के बाद पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने।

10:01 (IST)31 Oct 2019
भाई पटेल ऐसे बने 'सरदार'...


पटेल की मेहनत रंग लाई इसके बाद 30 फीसदी लगान को 6 फीसदी कर दिया गया। इसी के बाद से उनको सरदार कहा जाने लगा। बारडोली सत्याग्रह की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी।

09:26 (IST)31 Oct 2019
सरकार ने ऐसे झुकाया पटेल के आगे अपना सिर...

गुजरात में सन 1928 में बारडोली सत्याग्रह हुआ। इसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया। इस प्रमुख किसान आंदोलन का उद्धेश्य था किसानों से भारी लगान वसूली पर बैन। उस समय प्रांतीय सरकार किसानों से भारी लगान वसूल रही थी। इस बीच सरकार ने लगान 30 फीसदी बढ़ा दिया था। गरीब किसान बेहद परेशान थे। ऐसे में वल्लभ भाई पटेल आए और उन्होंने सरकार की इस लगान व्यवस्था का कड़ा विरोध किया। सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के कई प्रयास किए। लेकिन सरकार को बाद में इस आंदोलन के आगे सिर झुकाना ही पड़ा।और किसानों की मांगों को पूरा करना पड़ा।

09:05 (IST)31 Oct 2019
गांधी जी की पहली पसंद थे पटेल..

गांधी जी पटेल पर भरोसा करते थे। ऐसे में वह उनकी पहली पसंद थे। खेड़ा सत्याग्रह का नेतृत्व करने के लिए गांधी जी ने पटेल को चुना। तक गांधी जी ने कहा था, ''कई लोग मेरे पीछे आने के लिए तैयार थे, लेकिन मैं अपना मन नहीं बना पाया कि मेरा डिप्टी कमांडर कौन होना चाहिए। फिर मैंने वल्लभ भाई के बारे में सोचा।''

08:31 (IST)31 Oct 2019
सरदार पटेल का योगदान :

आजादी के बाद ज्यादातर प्रांतीय समितियां सरदार पटेल के पक्ष में थीं। गांधी जी की इच्छा थी, इसलिए सरदार पटेल ने खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से दूर रखा और जवाहर लाल नेहरू को समर्थन दिया। बाद में उन्हें उपप्रधानमंत्री और ग्रहमंत्री का पद सौंपा गया, जिसके बाद उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों तो भारत में शामिल करना था। इस कार्य को उन्होंने बगैर किसी बड़े लड़ाई झगड़े के बखूबी किया। परंतु हैदराबाद के ऑपरेशन पोलो के लिए सेना भेजनी पड़ी। चूंकि भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था, इसलिए उन्हें भारत का लौह पुरूष कहा गया। 15 दिसंबर 1950 को भारत का उनकी मृत्यु हो गई और यह लौह पुरूष दुनिया को अलविदा कह गया।

08:08 (IST)31 Oct 2019
सरदार पटेल नाम ऐसे पड़ा :  

सरदार पटेल को सरदार नाम, बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला, जब बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पह ले बारडोली का सरदार कहा गया। बाद में सरदार उनके नाम के साथ ही जुड़ गया।

07:32 (IST)31 Oct 2019
गुजरात में बारडोली सत्याग्रह :

साल 1928 में गुजरात में बारडोली सत्याग्रह हुआ जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया. यह प्रमुख किसान आंदोलन था. उस समय प्रांतीय सरकार किसानों से भारी लगान वसूल रही थी. सरकार ने लगान में 30 फीसदी वृद्धि कर दी थी. जिसके चलते किसान बेहद परेशान थे. वल्लभ भाई पटेल ने सरकार की मनमानी का कड़ा विरोध किया. सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश में कई कठोर कदम उठाए. लेकिन अंत में विवश होकर सरकार को पटेल के आगे झुकना पड़ा और किसानों की मांगे पूरी करनी पड़ी. दो अधिकारियों की जांच के बाद लगान 30 फीसदी से 6 फीसदी कर दिया गया. बारडोली सत्याग्रह की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी.

04:56 (IST)31 Oct 2019
सरदार पटेल बैरिस्टर से 'सरदार' कब बन गए

सरदार पटेल का पूरा नाम वल्लभ भाई पटेल था। 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के करमसंद में जन्मे पटेल पेशे से एक वकील यानि बैरिस्टर थे। महात्मा गांधी और उनके विचारों से प्रेरित होकर वह स्वाधीनता संग्राम आंदोलन से जुड़ गए। उनको लौहपुरूष और भारत के बिस्मार्क के साथ सरदार की उपाधियां मिलीं। बारडोली सत्याग्रह की सफलता ने उन्हें देश का हीरो बना दिया। बारडोली की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को 'सरदार' बुलाना शुरू कर दिया।

23:57 (IST)30 Oct 2019
Sardar Patel Jayanti, Speech: 22 साल में पास की 10वीं की परीक्षा

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरदार पटेल ने अपनी दसवीं की परीक्षा तब पास की जब वह 22 साल के हो गए थे। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि वे पढ़ाई में कमजोर थे, बल्कि घरेलु अभाव के कारण उन्हें स्कूली शिक्षा पूरी करने में काफी वक्त लग गया।
आर्थिक तंगी के कारण पटेल ने कॉलेज जाने की बजाय घर पर किताबें लाकर ही ज़िलाधिकारी की परीक्षा के लिए तैयारी की और सर्वाधिक अंक से पास हुए। वह कुशाग्र बुद्धि के थे तभी 36 साल की उम्र में वकालत पढ़ने इंग्लैंड गए और 36 महीने का कोर्स 30 महीने में ही पूरा कर लिया।

22:05 (IST)30 Oct 2019
Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti

मनुष्य को हमेशा ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं। लोहा भले गर्म हो जाए, हथौड़ा तो ठंडा ही रहना चाहिए वरना वह खुद हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा। — सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता दिवस की शुभकामनाएं

21:49 (IST)30 Oct 2019
पहले गृहमंत्री बने सरदार वल्‍लभ भाई पटेल

आजादी के बाद 562 रियासतों में बंटे भारतीय संघ को एकीकृत करना बड़ी चुनौती थी। गृहमंत्री होने के नाते सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने यह जिम्मेदारी ली। उन्होंने जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर को छोड़कर शेष सभी रियासतों का भारत में विलय करा दिया। बाद में जनमत संग्रह के आधार पर जूनागढ़ रियासत को भारत में मिलाने का कारनामा भी पटेल की वजह से ही संभव हुआ। संसार के इतिहास की यह पहली घटना है जिसमें खून की एक बूंद बहाए बिना इतनी बड़ी मात्रा में संप्रभु रियासतों का एक राष्ट्र में विलय करा दिया गया हो। हालांकि, केवल हैदराबाद रियासत को भारत में मिलाने के लिए सरदार को सेना भेजने की जरूरत पड़ी। जिसके बाद वहां के निजाम ने आत्मसमर्पण कर भारत में विलय की स्वीकृति दे दी थी।

21:24 (IST)30 Oct 2019
वकील के रूप में की थी प्रैक्टिस

सरदार पटेल को पढ़ाई का काफी शौक था। उन्होंने गोधरा में एक वकील के रूप में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की और एक वकील के रूप में तेजी से सफलता भी हासिल की और जल्द ही कड़ी मेहनत और अनुशासन के चलते एक वकील बन गए।

21:17 (IST)30 Oct 2019
Sardar Vallabhbhai Patel Quotes

“मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।”

“एकता के बिना जनशक्ति, शक्ति नहीं है जब तक उसे ठीक ढंग से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।”

21:04 (IST)30 Oct 2019
हैदराबाद को भारत का हिस्सा बनाने में था अहम योगदान

सरदार पटेल ने 1948 में हैदराबाद के निजाम को खदेड़ने के लिए एक गुप्त ऑपरेशन पोलो चलाया था। इस ऑपरेशन के जरिए ही निजाम उस्मान अली खान आसिफ को सत्ता से बेदखल कर हैदराबाद को भारत में मिलाया गया।

21:00 (IST)30 Oct 2019
इस वजह से भी याद किया जाता है पटेल को

1931 में पटेल को कांग्रेस के कराची अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया. उस समय जब भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी पर देश गुस्से में था, पटेल ने ऐसा भाषण दिया जो लोगों की भावना को दर्शाता था.

20:43 (IST)30 Oct 2019
Sardar Vallabhbhai Patel Quotes

“शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।” 

“आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।”

20:15 (IST)30 Oct 2019
तेरह साल की उम्र में विवाह

सरदार पटेल गुजरात के नाडियाड में 31 अक्टूबर 1875 को जन्मे थे। महज 13 साल की उम्र में ही उनका विवाह झावेर बा से कर दिया गया था। झावेर बा ज्यादा दिनों तक सरदार पटेल के साथ नहीं रह सकीं। जब पटेल 33 साल के थे तभी झावेर बा की कैंसर से मृत्यु हो गई थी। बताते हैं कि साल 1909 में जब झावेर बा मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती थीं उस दौरान सरदार अदालती कार्यवाही में व्यस्त थे। इतने में किसी ने पर्ची पर लिखकर झावेर बा के निधन की सूचना उन्हें दी। सरदार ने पर्ची जेब में रख ली और जिरह करने लगे। बाद में वह मुकदमा जीत गए और कार्यवाही समाप्त होने के बाद ही उन्होंने सभी को अपनी पत्नी के निधन की सूचना दी।

19:33 (IST)30 Oct 2019
खेड़ा सत्याग्रह का किया नेतृत्व

पटेल ने इंग्लैड से वकालत पढ़ी और उसके बाद साल 1913 में भारत लौट आए। जल्दी ही उन्होंने यहां अपनी वकालत जमा ली। सरदार महात्मा गांधी के सत्याग्रह से काफी प्रभावित थे। साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में सूखे की वजह से किसान कर देने में असमर्थ हो गए थे। ऐसे में उन्होंने करों में राहत की मांग की थी जिसे अंग्रेज सरकार ने खारिज कर दिया था। ऐसे में महात्मा गांधी के निर्देश पर उन्होंने खेड़ा में सत्याग्रह की अगुआई की। पटेल के नेतृत्व में किसानों के प्रदर्शन के आगे सरकार को झुकना पड़ा और करों में रियायत देनी पड़ी।

19:11 (IST)30 Oct 2019
‘भारत रत्न’ सरदार पटेल –

सरदार पटेल के निधन के 41 साल बाद सन् 1991 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। उनकी ओर से यह सम्मान उनके पौत्र विपिनभाई पटेल ने स्वीकार किया था।

18:50 (IST)30 Oct 2019
सादगी भरा जीवन –

सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री हो सकते थे। लेकिन, महात्मा गांधी के निर्देश पर उन्होंने इस दावेदारी से अपना नाम वापस ले लिया था और जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने थे। सरदार पटेल का जीवन बेहद सादगी भरा था। बताया जााता है कि उनके पास खुद का मकान तक नहीं था और वह अहमदाबाद में एक किराए के मकान में रहते थे। 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में उनका निधन हो गया था। कहते हैं कि जब उनका निधन हुआ तब उनके बैंक खाते में सिर्फ 260 रुपए मौजूद थे।

17:16 (IST)30 Oct 2019
गांधी जी को प्रिय थे सरदार पटेल

खेड़ा सत्याग्रह का नेतृत्व करने के लिए पटेल को अपनी पसंद को दर्शाते हुए कहा गांधी जी ने कहा कई लोग मेरे पीछे आने के लिए तैयार थे, लेकिन मैं अपना मन नहीं बना पाया कि मेरा डिप्टी कमांडर कौन होना चाहिए फिर मेरे मन में पहला विचार जो आया वो वल्लभ भाई का था।

16:22 (IST)30 Oct 2019
सरदार पटेल गरीब परिवार से संबंध रखते थे..


सरदार पटेल गरीब परिवार से संबंध रखते थे, उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। परिवार में माता पिता खेती करते थे। हमेशा आर्थिक संकट सिर पर मंडराता रहता था। वह घरवालों के साथ खेती बाड़ी में आत जुटाते थे। ऐसे में उनकी पढ़ाई पीछे रही। लगातार वह कॉलेज नहीं जा पाते थे। घर में उन्होंने जिलाधिकारी की परीक्षा की तैयारी की जिसमें वह अव्वल रहे।

14:52 (IST)30 Oct 2019
सरदार पटेल 10 वीं के पेपर देने में हो गए थे लेट..

सरदार पटेल पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। लेकिन उनकी पढ़ाई थोड़ी देर से शुरू हुई। बता दें, पटेल ने काफी देरी से 10वीं के पेपर दिए थे। उस वक्त उनकी उम्र 22 साल थी।

14:28 (IST)30 Oct 2019
हर मुसीबत का सामना कर सकते थे 'लोह पुरुष'...


गुजरात के खेड़ा जिले में जन्में पटेल का पालन पोषण गरीब किसान परिवार में हुआ। सरदार पटेल की कूटनीतिक क्षमताओं का सभी लोहा मानते थे। सरदार पर महात्मा गांधी भी बहुत भरोसा करते थे वह उनके हर कदम को सराहते थे। तो वहीं पंडित जवाहर लाल नेहरू का भी विश्वास था कि सरदार पटेल किसी भी संकट की स्थिति से देश को निकालने की क्षमता रखते हैं।

14:04 (IST)30 Oct 2019
सरदार भाई पटेल के विचार बड़े अनमोल हैं, युवा पीढ़ी को अकसर सही राह दिखाते हैं

सरदार भाई पटेल के विचार बड़े अनमोल हैं। युवा पीढ़ी को अकसर सही राह दिखाते हैं। 'आज हमें ऊंच नीच. अमीर गरीब, जाति पंथ की भावनाओँ को समप्त कर देना चाहिए।'

14:00 (IST)30 Oct 2019
562 रियासतों को जोड़ा नहीं था आसान

562 रियासतों को जोड़ने का काम जरा भी आसान नहीं था। इस बीच सरदार भाई पटेल के सामने कई चुनौतियां भी आईं। पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। एक एक रियासत को धागे में पिरोने के लिए उन्होंने अपनी सारी बुद्धि और अनुभव लगाय दिया। ऐसे में भारत को एक राष्ट्र बनाने में वल्लभ भाई पटेल सफल रहे।

13:57 (IST)30 Oct 2019
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने टुकड़े जोड़ जोड़ बनाया भारत..

31 अक्टूबर को जन्में स्वतंत्र भारत के उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का देश को आजादी दिलाने में खास योगदान रहा था। आजादी से पहले हमारा देश छोटे-छोटे 562 देशी रियासतों में बंटा था। सरदार पटेल ने इन सभी छोटे छोटे टुकड़ों को मिला कर एक भारत बनाया।