Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2019 Quotes, Status, Messages: देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया को तिरंगे के रंग से सजाया गया। बिजली के आकर्षक झालरों से पूरे गेटवे ऑफ इंडिया पर तीन रंगों से शानदार रोशनी की गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) प्रोबेशनरी ऑफिसर्स के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाई। इस मौके पर उन्होंने कहा कि नए अधिकारी सरदार पटेल के जीवन दर्शन को अपने ऊपर उतारें और उससे शिक्षा लें। इससे उन्हें अपना काम करने में सहूलियत होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरदार पटेल का मानना था कि आम आदमी के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने और जीवन स्तर बेहतर करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय एकता दिवस के मौके पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की। हर साल 31 अक्टूबर को पटेल की जयंती को ‘‘राष्ट्रीय एकता दिवस’’ के तौर पर मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी। प्रधानमंत्री जब पटेल को पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तभी भारतीय वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर से दुनिया की इस सबसे बड़ी प्रतिमा पर फूल बरसाए गए। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल आज ही के दिन सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था।
देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म आज से 144 साल पहले 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। आजादी के बाद टुकड़ों में बिखरी 562 रियासतों को एकजुट करके उन्होंने ही एक भारत का निर्माण किया था। बता दें कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1948 में उप-प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। वहीं, 12 जनवरी, 1948 को उन्होंने महात्मा गांधी को इस संबंध में पत्र भी लिखा था, लेकिन बापू से मंजूरी नहीं मिली। इस्तीफा देते हुए उन्होंने गांधी जी को लिखा था, ‘काम का बोझ इतना अधिक है कि उसे उठाते हुए मैं दबा जा रहा हूं। मैं समझ चुका हूं कि अब और अधिक समय तक बोझ उठाने से देश का भला नहीं होगा, बल्कि इसके विपरीत देश का नुकसान होगा।’
सुभाष चंद्र बोस के साथी थे पटेल के भाई: सरदार के बड़े भाई विठ्ठल भाई पटेल को काफी कम लोग जानते हैं। बताया जाता है कि शुरुआत में दोनों भाई कांग्रेस के दिग्गज नेता था, लेकिन बाद में विठ्ठल भाई पटेल ने सुभाष चंद्र बोस के साथ मिलकर गांधीजी के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। कहा जाता है कि विठ्ठल भाई ने अपनी संपत्ति का तीन चौथाई हिस्सा सुभाष चंद्र बोस को दे दिया था। विठ्ठलभाई पटेल: लाइफ एंड टाइम्स नाम से प्रकाशित किताब में सरदार पटेल व विठ्ठल भाई के आपसी रिश्तों का जिक्र है।
इस ब्लॉग में पढ़िए देश की इस महान शख्सियत के विचार और उनका जीवन परिचय…
Highlights
गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में कहा कि देश को एकजुट करने का काम सरदार पटेल ने किया है। बीजेपी ने भी आर्टिकल 370 हटाकर देश को एक करने का काम किया है। सरदार के कुछ सपने अधूरे रह गए थे जिन्हें बीजेपी ने पूरा किया है।
सरदार पटेल की जयंती पर पीएम मोदी गुजरात के केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंचे। जहां उन्होंने कहा कि J&K से आर्टिकल 370 हटाने का फैसला सरदार पटेल को समर्पित करता हूं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में कहा कि हम सरदार वल्लभ भाई पटेल को उसी रूप में याद करेंगे जैसा कि उन्होंने RSS के ऊपर बैन लगाकर किया था।
सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात से देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के मसले को पटेल हैंडल करते तो इतना विवाद नहीं होता।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर ‘‘लौह पुरुष’’ सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को कहा कि इसका उदाहरण उनके निधन के तीन दशक से अधिक समय बाद मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाना है।
हैदराबाद के निजाम अली खान आसिफ ने फैसला किया कि उनका रजवाड़ा पाकिस्तान-भारत में नहीं शामिल होगा। जिसके बाद निजाम ने हैदराबाद को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया। लेकिन सरदार पटेल ने ऑपरेशन पोलो के तहत सैन्य कार्रवाई कर निजाम को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
उत्तर प्रदेश में सरदार पटेल की जयंती राष्ट्रीय अखंडता दिवस के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर राज्य के विभिन्न जिलों में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। मुख्य कार्यक्रम राजधानी लखनऊ में हुआ। यहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी समारोह में शामिल हुए।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘देश की एकता और अखंडता के अग्रदूत रहे ‘‘लौह-पुरुष’’ सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।’’ पार्टी के कई दूसरे नेताओं ने भी देश के पहले गृह मंत्री को उनकी जयंती पर याद किया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा, ‘‘ सरदार पटेल की जयंती के मौके पर हम उन्हें याद करते हैं। वह भारतीय एकता के प्रतीक, सुशासन के पैरोकार और लोकतांत्रिक अधिकारों के मुखर समर्थक थे।’’
प्रियंका गांधी वाड्रा ने देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें याद किया। इस दौरान उन्होंने बीजेपी व आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि पटेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सख्त खिलाफ थे।
राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘जन-नायक लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर उन्हें नमन। देश के लिए की गई आपकी सेवाओं के लिए हम सब आपके ऋणी हैं।’’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने बृहस्पतिवार को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी तथा राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को याद किया।
देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 144वीं जयंती के उपलक्ष्य में गुरुवार को आयोजित ‘एकता दौड़’ में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों ने साहस का परिचय दिया और दिल्ली की खराब हवा के बावजूद भीषण धुंध में दौड़ लगाई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां नेशनल स्टेडियम से सुबह करीब सात बजे दौड़ को हरी झंडी दिखाई थी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 144वीं जयंती के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को ‘एकता दौड़’ (रन फॉर यूनिटी) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ‘एकता दौड़’ मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम से शुरू हुई। इस दौड़ में खेल से जुड़ी शख्सियतों, खेल प्रेमियों और केन्द्रीय पुलिस बल के जवानों सहित बड़ी संख्या में आम लोगों ने हिस्सा लिया। करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी इस दौड़ में हिस्सा लेने वाले लोगों ने सफेद रंग की टी शर्ट पहनी हुई थी और उनके हाथों में पटेल की तस्वीर थी। ये लोग दौड़ में शामिल होने के लिए नेशनल स्टेडियम और इंडिया गेट पर इकट्ठा थे।
बता दें कि सरदार पटेल की पत्नी को कैंसर हो गया था। इसका काफी इलाज भी हुआ, लेकिन एक सर्जिकल ऑपरेशन के दौरान उनकी मौत हो गई थी। बताया जाता है कि एक समय वल्लभ भाई भी महामारी की चपेट में आ गए थे। उस वक्त वह नाडियाड में अकेले रहने लगे और धीरे-धीरे वह स्वस्थ हो गए।
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने का फैसला देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि देश ने उस अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला किया जिसने जम्मू कश्मीर को सिर्फ अलगाववाद और आतंकवाद दिया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर कहा ‘‘मैं अनुच्छेद 370 को रद्द करने का फैसला सरदार पटेल को सर्मिपत करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पर हमारा फैसला जमीन पर लकीर खींचने के लिये नहीं बल्कि विश्वास की श्रृंखला बनाने के लिए है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय एकता दिवस के मौके पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की। हर साल 31 अक्टूबर को पटेल की जयंती को ‘‘राष्ट्रीय एकता दिवस’’ के तौर पर मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी। प्रधानमंत्री जब पटेल को पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तभी भारतीय वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर से दुनिया की इस सबसे बड़ी प्रतिमा पर फूल बरसाए गए। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल आज ही के दिन सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को सरदार वल्लभभाई पटेल की 144वीं जयंती पर ‘एकता दौड़’ (रन फॉर यूनिटी) को हरी झंडी दिखाई। इस दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल भी मौजूद थे। बता दें कि देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की जयंती 2014 से ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाई जाती है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की 144वीं जयंती पर गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस दौरान पीएम मोदी वहां पहुंचे और उन्होंने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी।
वल्लभ भाई पूर्णरूप से महात्मा गांधी से जुड़े हुए थे। महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद उनकी भी स्थिति बिगड़नी शुरू हो गई। गांधीजी की मृत्यु के महज 2 महीने में 15 दिसंबर 1950 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वह एक साहसी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति थे। इस वजह से उन्हें ‘भारत का लौह पुरुष’ भी कहा जाता है।
सरदार पटेल कहते थे, ‘‘हमारी करोड़ों की दौलत चली भी जाए या पूरा जीवन बलिदान हो जाए, फिर भी हमें ईश्वर में विश्वास और सत्य पर विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।’’
आजादी के बाद वह देश के पहले गृह मंत्री व उप-प्रधानमंत्री बने। उन्होंने पंजाब और दिल्ली में शरणार्थियों के लिए राहत शिविर लगवाए। 565 अर्द्ध-स्वायत्त रियासतों का एकत्रीकरण करके भारत को एकता सूत्र में बांधने का श्रेय सरदार पटेल को ही जाता है।
जब महात्मा गांधी जेल में थे, तब उन्होंने भारतीय झंडा फहराने को प्रतिबंधित करने वाले अंग्रेजों के कानून के खिलाफ 1923 नागपुर में सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया था। 1931 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1934 और 1937 में कांग्रेस के अखिल भारतीय चुनाव प्रचार में सबसे आगे थे। वहीं, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के आयोजन में प्रमुख नेता थे। उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुख रूप से शामिल होने के कारण पुलिस ने कैद कर लिया था और 1945 में रिहा किया था।
देश के इतिहास में सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उनके दृढ़निश्चय ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया। 1947 से 1949 के बीच यानी देश की आजादी के बाद उन्होंने 562 रियासतों को एक साथ जोड़कर अखंड भारत बनाया था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल 1920 में गुजरात की प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नियुक्त किए गए और 1945 तक इस पद पर कार्यरत रहे। वह गांधीजी के असहयोग आंदोलन के समर्थक थे। उन्होंने गुजरात में शराब, छुआछूत और जातीय भेदभाव जैसी कुरीतियों का जमकर विरोध किया। 1922, 1924 और 1927 में वह अहमदाबाद की नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए।
महात्मा गांधी के कार्यों व आदर्शों से प्रेरित होकर पटेल भी देश की आजादी के लिए किए जा रहे संघर्ष में शामिल हो गए। उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स के विरोध में खेड़ा, बारडोली व गुजरात के अन्य क्षेत्रों से किसानों को संगठित किया और गुजरात में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। वह अपने लक्ष्य में सफल हुए, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार को उस वर्ष का राजस्व कर माफ करना पड़ा। इसके साथ वह गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गए।
वल्लभ भाई ने 22 वर्ष की उम्र में मैट्रिक पास किया था। अपने आसपास के लोगों के लिए वह काफी साधारण व्यक्ति थे, लेकिन उनमें मजबूत इच्छाशक्ति भी थी। वह बैरिस्टर बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने 36 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड के माध्यमिक धर्मशाला मंदिर में प्रवेश लिया था। बताया जाता है कि उस दौरान बैरिस्टर का कोर्स 36 महीने का था, जिसे उन्होंने महज 30 महीने में ही पूरा कर लिया था। भारत लौटने के बाद वह अहमदाबाद के सबसे सफल बैरिस्टर बने।
देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज (31 अक्टूबर) 144वीं जयंती है। वह देश के महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाड में हुआ था। उनके कार्यों की वजह से लोग उन्हें सरदार के नाम से संबोधित करते थे।