राम विलास पासवान ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर की थी। साल 1969 के बिहार विधानसभा चुनाव में अलौली से पासवान को एक तरफा जीत हासिल हुई थी। इसके बाद उन्होंने जय प्रकाश के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। आंदोलन में हिस्सा लेने के बाद राम विलास पासवान बड़े नेता बनकर उभरे थे। साल 1977 के आम चुनाव में हाजीपुर से रिकॉर्ड वोट से जीतकर वो लोकसभा पहुंचे थे।

हालांकि एक चुनाव में राम विलास पासवान को जनता पार्टी से टिकट नहीं मिला था। जय प्रकाश नारायण को जब ये बात पता चली तो वह काफी नाराज़ हो गए थे। राम विलास पासवान ने ‘राज्यसभा टीवी’ के शो ‘The Quest’ में इसकी विस्तार से चर्चा की थी। पासवान ने बताया था, ‘विधायक बनने के बाद जय प्रकाश आंदोलन आ गया। हम सभी लोग जेल में मीसा कानून के तहत बंद रहे। चुनाव का समय आया तो जय प्रकाश के खुद हमें 10 हज़ार रुपए दिए थे।’

राम विलास पासवान आगे बताते हैं, ‘जेपी ने मुझे 10 हज़ार रुपए इसलिए दिए थे क्योंकि जनता पार्टी से हमें टिकट नहीं मिला था। जेपी चाहते थे कि राम विलास जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ें। जेपी बहुत गुस्सा हो गए थे और उन्होंने 10 हजार रुपए देकर कहा कि तुम जाकर नामांकन दाखिल करो। उनके पीए थे इब्राहिम, उससे उन्होंने कहा कि आप एक पोस्टर जारी करो कि जनता पार्टी का उम्मीदवार कौन है मैं नहीं जानता हूं, लेकिन जेपी का उम्मीदवार राम विलास पासवान है।’

1984 का चुनाव हार गए थे राम विलास पासवान: बाद में राम विलास पासवान ने हाजीपुर सीट से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। पासवान ने कांग्रेस के उम्मीदवार को करीब साढ़े चार लाख मतों से शिकस्त दी थी। इसी के साथ पासवान पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। 1980 में एक बार फिर राम विलास पासवान जीते थे, लेकिन 1984 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

पिता नहीं चाहते थे राजनीति में जाएं: साल 1969 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर राम विलास पासवान विधायक बने थे, लेकिन इससे पहले उनका चयन डीएसपी के पद के लिए भी हो गया था। राम विलास पासवान के पिता नहीं चाहते थे कि वे राजनीति में अपना भविष्य आगे देखें। पासवान के पिता ने उन्हें पुलिस की नौकरी जॉइन करने के लिए कह दिया था हालांकि पासवान ने अपने पिता की मर्जी के खिलाफ राजनीति में ही आगे जाने का फैसला किया था।