राम विलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में सत्ता की लड़ाई जारी है। राम विलास के बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति नाथ पारस इस लड़ाई में आमने सामने हैं। पशुपति नाथ पारस ने सियासी दाव चलकर केंद्र सरकार में मंत्री पद हासिल कर लिया है। वहीं, चिराग अभी बिहार में जनसमर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। चिराग ने 5 जुलाई को आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की थी। इसमें वह बिहार के विभिन्न जिलों में जाकर समर्थकों से रूबरू हो रहे हैं।

चिराग ने सौतेली मां राजकुमारी देवी से भी मुलाकात की। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब राजकुमारी देवी और राम विलास पासवान की बेटी ने अपने ही पिता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। दरअसल वह अपने पिता के द्वारा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को अप्रत्यक्ष रूप से ‘अंगूठा छाप’ कहने से नाराज हो गई थीं। मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने की घोषणा की थी।

राबड़ी देवी का नाम लिए बिना कही थी ये बात: सरकार की इस घोषणा का राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने खुलकर विरोध किया था। वहीं, बिहार के दिग्गज नेता राम विलास पासवान एनडीए सरकार में मंत्री थे तो उनसे पत्रकार वार्ता में इसको लेकर सवाल पूछा गया था। राम विलास ने राबड़ी का नाम लिए बिना कहा था, ‘वे (आरजेडी) सिर्फ नारेबाजी करते हैं और एक अंगूठा छाप को मुख्यमंत्री बनाते हैं।’ पासवान के इस बयान से उनकी बेटी आशा पासवान भी नाराज हो गई थीं।

आशा के पति साधू पासवान आरजेडी के नेता है और उन्होंने राम विलास पासवान पर निशाना साधते हुए यहां तक कह दिया था, मेरी मां भी अनपढ़ थीं जिसके कारण पिता (पासवान) ने उन्हें छोड़ दिया।’ आशा पासवान ने अपने पिता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और महिला कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन भी किया था। आशा पासवान ने कहा था कि जबतक उनके पिता माफी नहीं मांगेंगे वह यहां से नहीं हटेंगी। दूसरी तरफ, साधू पासवान ने भी अपने ससुर के खिलाफ प्रदर्शन किया था और मतभेद होने के बाद आरजेडी का हाथ थाम लिया था।