राजनाथ सिंह आज भले ही बीजेपी के बड़े नेता हों, लेकिन उनके जीवन का लक्ष्य कभी राजनीति में आने का नहीं था। राजनाथ बचपन से पढ़ने में होशियार थे और वह कॉलेज के छात्रों को भौतिक-विज्ञान पढ़ाया करते थे। राजनाथ की राजनीतिक जमीन उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर है। यहीं से उन्होंने अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा था। राजनाथ के शुरुआती जीवन से जुड़ा किस्से का जिक्र गौतम चिंतामणि ने अपनी किताब ‘राजनीति: ए बायोग्राफी ऑफ राजनाथ सिंह’ में किया है।
मिर्जापुर से हुए गिरफ्तार: साल 1975 में इंदिरा गांधी सरकार ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। इसके बाद कई विरोधी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। राजनाथ उस दौरान मिर्जापुर में संघ का काम देखते थे और साथ में कॉलेज में शिक्षक की नौकरी भी करते थे। रोज़ाना की तरह राजनाथ 12 जुलाई 1975 की सुबह उठे, कसरत की और कॉलेज जाने की तैयारी करने लगे। दरवाजे पर दस्तक हुई तो देखा कि कुछ पुलिसवाले उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आए हैं।
राजनाथ सिंह को मिर्जापुर पुलिस ने मीसा के तहत गिरफ्तार किया था। वह उस समय तक मिर्जापुर में संघ के बड़े नेता भी बन चुके थे। इसलिए उनसे किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरतने के लिए कहा गया। मीसा के तहत गिरफ्तार हुए लोगों को परिवार या किसी भी बाहरी सदस्य से मिलने की अनुमति नहीं होती थी। शुरुआत में उन्हें मिर्जापुर जेल में रखा गया और बाद में इलाहाबाद की नैनी जेल भेज दिया गया।
रेलवे स्टेशन पर पहुंचा था परिवार: परिवार को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने सिंह से मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर मिलने का प्लान बनाया। क्योंकि ट्रेन से ही उन्हें इलाहाबाद ले जाया जा रहा था। उनकी पत्नी सावित्री और मां गुजराती देवी ट्रेन के पहुंचने से बहुत पहले ही रेलवे स्टेशन पर पहुंच गईं। परिवार इससे बहुत डरा हुआ था क्योंकि किसी को नहीं पता था कि वह कितने समय तक जेल में रहेंगे। राजनाथ को ले जाने के लिए स्टेशन की सुरक्षा की व्यवस्था भी पूरी कर ली गई थी।
राजनाथ सिंह ने बहुत दूर से ही पत्नी और मां को देख लिया था। उनके साथ काम करने वाले कुछ कार्यकर्ता भी रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे। लोगों ने उन्हें देखकर समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए ऐसे में राजनाथ के लिए मां और पत्नी की बात सुन पाना मुश्किल हो गया था। पुलिसकर्मी जल्दी से जल्दी उन्हें ट्रेन में बैठाना चाहते थे। इस दौरान उनकी मां ने राजनाथ को कहा, ‘बबुआ। माफी मांगना नहीं। चाहे उम्र भर काल-कोठरी में क्यों न कट जाए। कभी सिर मत झुकाना।’
मां की कही बात सुनकर राजनाथ सिंह भावुक हो गए और उन्होंने राजनीति में आगे बढ़ने का फैसला किया। अगस्त 1975 तक करीब 50 हज़ार लोगों को मीसा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 में मिलने वाले सभी अधिकार वापस ले लिए गए थे। जब राजनाथ वापस आए तो वह शिक्षक नहीं बल्कि लोकप्रिय नेता बन चुके थे।