राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत मध्य प्रदेश से की थी। लेकिन बाद में वह राजस्थान लौटीं और देखते ही देखते सूबे में बीजेपी की सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार हो गईं। हालांकि एक समय ऐसा भी आया था जब वसुंधरा राजे अपनी ही पार्टी आलाकमान के फैसले से नाराज़ हो गईं थीं। उन्होंने बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह से फोन पर बात करने से इनकार तक कर दिया था।
दरअसल, साल 2006 में राजस्थान में बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी महेश शर्मा को सौंप दी गई थी। देखते ही देखते महेश शर्मा सीएम के भी करीबी हो गए थे। इन सबके बीच ओम प्रकाश माथुर की राजस्थान में एंट्री होती है। साल 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ओम प्रकाश माथुर बीजेपी प्रभारी थे और पार्टी को मिली शानदार जीत के बाद वह तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के पसंदीदा नेता बन गए थे।
राजनाथ बनाम वसुंधरा राजे: राजनाथ सिंह ने ओपी माथुर को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाने का फैसला किया। ‘द लल्लनटॉप’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आई और वह आलाकमान के इस फैसले से नाराज़ हो गई थीं। वसुंधरा राजे की नाराज़गी का आलम ये था कि उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह का फोन तक नहीं उठाया और बात तक करने से इनकार कर दिया था। दरअसल, राजनाथ उनसे माथुर के नाम पर चर्चा करना चाहते थे।
राजनाथ सिंह ने माथुर के नाम की घोषणा कर दी थी। कहा जाता है कि ओपी माथुर को संघ के नेताओं का समर्थन भी प्राप्त हो गया था। साल 2008 में एक बार फिर राजस्थान विधानसभा चुनाव आया। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी की करारी हार हुई थी। सियासी गलियारों में कहा जाता है कि पार्टी आलाकमान ने जब इसपर वसुंधरा राजे से जवाब मांगा तो उन्होंने यह कहते हुए अपना बचाव किया था कि संगठन ने 38 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा था, जिसमें से 28 पर हार हुई।
बता दें, राजस्थान की मुख्यमंत्री बनने से पहले वसुंधरा राजे एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रही थीं। वसुंधरा राजे ने झालावाड़ लोकसभा सीट से कई बार चुनाव जीता था। हालांकि उनकी सियासी पारी हार के साथ शुरू हुई थी। वसुंधरा की मां विजयाराजे बीजेपी की बड़ी नेता थीं और वह अपनी बेटी को भी राजनीति में उतारना चाहती थीं।
साल 1984 में उन्होंने वसुंधरा को मध्य प्रदेश के भिण्ड से लोकसभा टिकट दिलवा दिया था। इस चुनाव में वसुंधरा की हार हुई थी। इसके बाद विजयाराजे ने वसुंधरा को वापस ससुराल भेजने का फैसला किया था। यहां पहली बार उन्होंने साल 1989 में झालावाड़ सीट से लोकसभा चुनाव जीता था।