Pushpam Priya Chaudhary : बिहार की राजनीति में बदलाव का दावा करने वालीं प्लुरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी ने बांकीपुर विधानसभा सीट से पर्चा भर दिया है। हमेशा की तरह पुष्पम काली जींस और काली शर्ट पहनकर ही नामांकन करने पहुंची थीं। अखबारों में विज्ञापन देकर खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताने वालीं पुष्पम के पास 27 लाख 890 रुपए का बैंक बैलेंस है।
पुष्पम प्रिया चौधरी नीलम-पुखराज जैसे रत्नों की शौकीन हैं। द प्लुरल पार्टी की बांकीपुर से उम्मीदवार पुष्पम के पास 13 लाख रुपये कीमत की नीलम और पुखराज की अंगूठियां हैं। उनके शपथ पत्र में दिये ब्यौरे के मुताबिक इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज, बर्मिंघम से पढ़कर लौटीं पुष्पम अभी अपना एजुकेशन लोन भी नहीं चुका पाई हैं। पुष्पम प्रिया चौधरी पर 4 लाख 91 हजार रुपए का एजुकेशन लोन बकाया है।
दिलचस्प बात यह है कि पिछले छह-सात महीनों से बिहार के गांवों और बस्तियों का दौरा कर रहीं पुष्पम प्रिया चौधरी के पास कोई बाइक, कार और जमीन नहीं है। पुष्पम ने अपने नामांकन फॉर्म में बताया कि उनके पास सिर्फ 8 हजार रुपए कैश है। इसके अलावा पुष्पम ने 5 लाख से अधिक का इंश्योरेंस भी कराया हुआ है।
नामांकन फॉर्म भरने के बाद उन्होंने वहां मौजूद लोगों के साथ फोटो भी खिंचवाई। इसके बाद पुष्पम ने कहा कि पिछले 30 सालों में बिहार में विकास नहीं हुआ है। हमें बिहार को विकास ही राह पर आगे ले जाना है। पुष्पम और उनकी प्लुरल्स पार्टी ने लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर ’30 ईयर्स ऑफ़ लॉकडाउन इन बिहार’ का कैंपेन चलाया था।
हाल ही में पुष्पम की प्लुरल्स पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी। दिलचस्प बात यह है प्लुरल्स के उम्मीदवारों के फॉर्म में जाति के सामने उनका पेशा और धर्म के सामने बिहारी लिखा था। हालांकि प्लुरल्स पार्टी के पहले चरण के 61 प्रत्याशियों में से 28 प्रत्याशियों का नामांकन रद्द हो गया है। पुष्पम जेडीयू के पूर्व एमएलसी विनोद चौधरी की बेटी हैं। विनोद चौधरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है। उन के चाचा विनय कुमार चौधरी दरभंगा की बेनीपुर सीट से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
एक इंटरव्यू में पुष्पम ने खुद को नेताजी कहने पर भी ऐतराज उठाया था। उन्होंने कहा वह नेताजी नहीं हैं, वो सिर्फ पॉलिसी मेकर बनना चाहती हैं। पुष्पम प्रिया चौधरी ने कहा कि असली नेताजी तो सुभाष चंद्र बोस, डॉ राजेंद्र प्रसाद और जयप्रकाश नारायण थे।

