आजकल के लोग विशेषतौर पर बच्चे अकेला रहना ज्यादा पसंद करते हैं। उनका साथी होता है उनका फोन और कंप्यूटर। बच्चों की स्मार्टफोन से दोस्ती इतनी गहरी हो जाती है कि वे अपने आस-पास के लोगों से दोस्ती करना भूल जाते हैं। ऐसे में बच्चों को अकेलेपन में रहने से बचाएं और उन्हें जिंदगी जीने की कला सीखाएं। बच्चों को अपने जमाने के खेलों से अवगत कराएं और इन पुराने खेलों की मदद से जिंदगी जीने की कला सीखाएं।
1.रस्सी कूदना- खेल-खेल में फिट रहने का तरीका है रस्सी कूदना। रस्सी कूदने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। दोनों और से रस्सी को पकड़ने के लिए दो बच्चे चाहिए होते हैं और तीसरा बच्चा रस्सी कूदता है। खेल-खेल में आपका बच्चा स्वस्थ रहता है और दोस्त भी बनाता है।
2. सितोलिया- बचपन में बहुत से बच्चों का फेवरेट गेम होता था। सितोलिया खेलते समय सात-सात पत्थरों को एक-दूसरे के ऊपर रखते हैं और फिर गेंद फेंक कर इन्हें जोड़ना होता है। इस खेल में दो टीमें होती हैं और आपका बच्चा इससे छोटी उम्र में ही टीमवर्क करना सीखने लगता है।
3. पोषम-पा- पोषम-पा भई पोषम-पा डाकिए ने क्या किया? जैसे गाने के साथ ये खेल खेला जाता है। इस खेल में पकड़े जाने वाला आउट हो जाता है। ये खेल जीवन में हर परीस्थिति से सावधानी पूर्वक बचकर निकलना सीखाता है।
4. कंचा- बचपन में आपने भी कांच की गोलियों का स्टॉक रखा होगा। अपने बच्चे को भी ये गेम आप सीखा सकते हैं। कंचे में निशाना बिल्कुल सटीक लगाने से जीत मिलती है और इसी से ही सीख मिलती है बैलेंस वर्क की, यानि जितना जरुरी है उतना ही काम करें।
5. लंगड़ी टांग- एक टांग को हवा में रख कर और दूसरी को जमीन पर रख कर ये खेल खेलना होता है। इसमें धीरे-धीरे आगे बढ़ने से आपको जीत मिलती है हालांकि बैलेंस बनाना आसान नहीं होता है। इस खेल को खेलने के लिए भी बच्चों को बहुत सारे दोस्तों की जरुरत होती है। इससे आपका बच्चा हर परिस्थिति में संतुलन बनाकर आगे बढ़ना भी सीखता है।
6. छुपन-छुपाई- छुपन-छुपाई का खेल आपके बच्चे को जरुर पसंद आएगा। एक बच्चे को छुपे हुए दूसरे बच्चों को ढूंढना होता है। इस खेल से बच्चों को हमेशा सतर्क और सावधान रहने की सीख मिलती है।