प्रेग्नेंसी के दौरान हल्का फुल्का बुखार होना कोई खतरे की बात नहीं होती है। लेकिन अगर प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनें में आपको तेज बुखार आता है तो इससे आपके बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। गर्भ में बच्चे के शारीरिक विकास के लिए प्रोटीन्स काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में यदि मां को तेज बुखार हो तो शरीर के बढ़े हुए तापमान के कारण इन प्रोटीन्स की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चे का शारीरिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है। ऐसे में गर्भपात की भी समस्या सामने आ सकती है। सिर्फ इतना ही नहीं, हाल ही में किए गए एक शोध में यह बात भी सामने आई है कि गर्भावस्था के दौरान मां अगर बुखार से पीड़ित होती है तो इससे बच्चे के ऑटिज्म का शिकार होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

मोलेक्यूलर साइकाइट्री नाम के एक जर्नल में प्रकाशित एक शोध में यह बताया गया है कि प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में मां के बुखार से पीड़ित होने पर बच्चे में ऑटिज्म होने का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। शोध में नार्वे के ऐसे 95,754 बच्चों को शामिल किया गया था जिनका जन्म 1999 से 2009 का बीच में हुआ था। इनमें से 583 बच्चे ऑटिज्म से पीड़ित पाए गए थे। इन बच्चों में 16 प्रतिशत बच्चों की माओं ने अपनी प्रेगनेंसी के दौरान बुखार होने की समस्या को स्वीकार किया है।

शोध से यब बात भी सामने आई है कि जिन मांओं ने प्रेग्नेंसी के किसी भी स्टेज पर बुखार की बात स्वीकारी है उनके बच्चों में ऑटिज्म के खतरे में 34 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई जबकि जिन मांओं ने प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में बुखार होने की बात कही उनके बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के खतरे में 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के 12 वें हफ्ते में कई बार बुखार से पीड़ित होने वाली महिलाओं के बच्चों में ऑटिज्म के खतरें में 300 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी देखी गई। बता दें कि ऑटिज्म बच्चे के मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला एक मानसिक रोग है जिससे मस्तिष्क के कई भाग बुरी तरह से प्रभावित होते हैं।