अमेरिका में एक नये अध्ययन में पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान लिया गया वसायुक्त आहार आगामी तीन पीढ़ी तक की संतानों में स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। शोधकर्ताओं ने गर्भवती मादा चुहिया को सामान्य मक्के के तेल से बना वसायुक्त खाना दिया। इसके नतीजतन उनके अंदर अनुवांशिक बदलाव देखे गये जो काफी हद तक अगली तीन पीढ़ी की मादा संतानों में स्तन कैंसर की संवेदनशीलता में इजाफा की आशंका बताता है। यह अध्ययन पत्रिका ‘ब्रेस्ट कैंसर रिसर्च’ में प्रकाशित हुआ है। अमेरिका में जॉर्जटाउन लॉम्बार्डी कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर में प्रोफेसर लीना हिलाकिवी-क्लार्के ने बताया कि यह अध्ययन गभर्वती महिलाओं में भोजन की परख के लिये एक दिशा का सुझाता है।
हिलाकिवी क्लार्के ने कहा ऐसा माना जाता है कि पर्यावरणीय कारक एवं भोजन जैसे जीवनशैली कारक मानव जाति में स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं और इसलिए महिलाओं एवं उनकी मादा संतानों में खतरे में इजाफा के लिये जिम्मेदार जैविक तंत्र के खुलासा के लिये हमने पशु मॉडल का इस्तेमाल किया।
इससे पहले अध्ययनों में उन्होंने पाया कि जिन चुहियों ने गर्भावस्था के दौरान अधिक वसायुक्त भोजन किया था उनकी मादा संतानों में स्तन कैंसर का खतरा अधिक था।
जागरूक रहना जरूरी
स्तन कैंसर का पता ज्यादातर पहले या दूसरे चरण में ही चल जाता है। इसलिए इसका इलाज सही समय पर हो पाता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है हर किसी को इस बारे में सही जानकरी हो और वह हमेशा सचेत और जागरुक रहे।

