भारत में हर साल डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ी रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में डेंगू के 190 मिलियन मामले दर्ज हैं, जिनमें से 96 मिलियन मामलों को उपचार की आवश्यकता है। बात अगर भारत की करें तो यहां डेंगू के मामलों में प्रत्येक वर्ष 25 फीसदी की बढ़त होती है। यूं तो डेंगू से बचा जा सकता है लेकिन अगर ये बीमारी किसी प्रेग्नेंट लेडी को है तो मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है। यहां हम गर्भावस्था में डेंगू से बचने की सावधानियों के बारे में बता रहे हैं।
इन चीजों से बचें और इनका करें सेवन: एक्स्पर्ट्स के मुताबिक कोई महिला अगर प्रेग्नेंसी के दौरान डेंगू की शिकार है तो उसे कुछ केमिकल कंपोजिशन का सेवन करने से बचना चाहिए। इनमें इबुप्रोफेन, एस्पिरिन और डाइक्लोफेनाक सोडियम शामिल हैं। इस अवस्था में महिला को ज्यादा ये ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इसमें ओआरएस, नारियल पानी, कांजी, जूस के साथ-साथ घर का सादा भोजन करना चाहिए और दिन में कम से कम 2.5 लीटर पीने की सलाह दी जाती है।
स्तनपान के समय बरतें ये सावधानियां
– अगर कोई महिला डिलेवरी होने के समय भी डेंगू से पीड़ित है तो उस वक्त डॉक्टर्स से फीड कराने और न कराने की उचित सलाह लें।
– डिलेवरी होने के बाद महिला हाई डेंगू फीवर से पीड़ित हैं तो बेबी को फीड न कराएं। ऐसी सिचुएशन में यह बच्चे की शारीरिक क्षमता पर असर करता है।
– अपने डॉक्टर से सलाह लें कि न्यू बोर्न बेबी को इस अवस्था में कैसे फीड कराएं।
– इस अवस्था में कोशिश करें कि आप अपना स्तनपान न करारकर किसी मिल्क स्टोरेज का दूध बॉटल के जरिए फीड कराएं।
– स्थिति बिगड़ने पर आप किसी और महिला के द्वारा भी बेबी को फीड करा सकते हैं।
कारण और लक्षण: डेंगू एक तरह का हाईग्रेड फीवर है जो कि एडीज एजिप्टी मच्छर (Aedes Aegypti) के काटने से होता है। इस मच्छर की उत्पत्ति आस-पास जमे गंदे पानी से होती है। कई बार आप जहां रहते हैं वहां किसी गमले, कूलर, बर्तन या किसी सड़क लाने में पानी जमा हो जाता है जिससे डंगू वायरस पनपता है।
अगर आपको सिरदर्द, त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते व मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द शामिल होता है तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। ये सभी लक्षण डेंगू के हो सकते हैं। इसीलिए डेंगू से सावधानी रखने के लिए बेहतर होगा कि आप अपने आस-पास का वातावरण साफ रखें। किसी भी प्रकार से लंबे समय तक पानी कहीं भी इकट्ठा न होने दें।