साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए चुनाव प्रचार की रूपरेखा तैयार कर चर्चा में आए प्रशांत किशोर ने अचानक पार्टी से अपना मुंह फेर लिया था। प्रशांत किशोर ने साल 2015 में बीजेपी का हाथ छोड़कर बिहार का रुख किया था। यहां उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (JDU) के लिए चुनाव की रणनीति बनाई थी। प्रशांत किशोर ने बताया था कि वह पार्टी छोड़ने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात नहीं करते थे।
‘ISB लीडरशिप समिट’ में प्रशांत किशोर ने बताया था, ’15 मार्च 2015 में बीजेपी छोड़ने के बाद से मैंने प्रधानमंत्री से कभी बात नहीं की। मेरी मां आईसीयू में थीं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अचानक फोन आया था। बीच में काफी लंबे समय तक हम दोनों की कभी कोई बात नहीं हुई थी। मेरी मां बिल्कुल अंतिम घड़ी में थीं तो उन्होंने हाल-चाल पूछने के लिए फोन किया था। इसके बाद मैं उनसे कई बार मिला। हमारी बातचीत बिल्कुल साधारण हुई थी। उन्होंने जो भी पूछा मैंने सिर्फ उनकी बातों का जवाब दिया।’
इस बीच शो के होस्ट उनसे पूछते हैं, ‘क्या उन्होंने आपको घर वापसी के लिए भी पूछा?’ प्रशांत किशोर ने जवाब दिया, ‘नहीं, उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा। अगर मैं कभी वापस आना चाहूंगा तो वो स्वागत ही करेंगे। फिलहाल अभी ऐसी कोई बात नहीं हुई। पीएम मोदी ने भी किसी नेता की तरह मुझसे राजनीतिक सवाल ही पूछे थे। मुझसे उज्जवला योजना के बारे में पूछा और क्या? जरूरी नहीं कि वो मुझसे सिर्फ वापस आने के लिए ही कहें। अब आप जितनी बार पूछें मेरा जवाब अलग नहीं होने वाला।’
मोदी के ऑफिस से प्रशांत किशोर को आया था फोन: ‘द लल्लनटॉप’ से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया था, ‘जब जिनेवा शिफ्ट हो रहे थे तो वहां पर कुपोषण पर एक पेपर मैंने लिख दिया था और इसमें गुजरात की शिकायत की थी। इसमें कोई मोदी का विरोध नहीं किया था। दरअसल इसमें देश के अमीर राज्यों में कुपोषण के बारे में लिखा था। ये पेपर लिखने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आ गया और उस दौरान नरेंद्र मोदी सीएम थे। उन्होंने मुझे साथ काम करने का ऑफर दिया। मेरी शर्त थी कि आप और मैं सीधा बात करेंगे। बीच में कोई नहीं होना चाहिए।’