रणनीतिकार प्रशांत किशोर कई राजनीतिक पार्टियों के लिए काम कर चुके हैं। प्रशांत किशोर का परिवार मूल रूप से बिहार का रहने वाला है। प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में अपने शुरुआती जीवन के बारे में चर्चा की थी। प्रशांत पढ़ाई में बिल्कुल साधारण थे और उनके पिता इससे काफी चिंतित भी रहते थे। प्रशांत किशोर कई बार तो बीच में ही पढ़ाई छोड़कर बैठ जाते थे।
‘द लल्लनटॉप’ के साथ बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा था, ‘मैंने स्कूली पढ़ाई बिहार से की। मुझे पढ़ाई नहीं करने के कारण कई बार छड़ी भी लगी। घर वाले चाहते थे कि गणित की ही पढ़ाई आगे करें। साइंस कॉलेज आ गए, लेकिन हमने इंजीनियरिंग नहीं की। बिहार बोर्ड में मुझे 150 में से 148 नंबर आए थे। मैंने पिता से कहा कि आप बाद में सिविल की तैयारी करने के लिए कहोगे। इसलिए मैं तीन साल ग्रेजुएशन करने के बाद सिविल की तैयारी कर लूंगा।’
पिता ने छेड़ दिया था अनशन: प्रशांत किशोर ने आगे कहा था, ‘मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में आ गया। तबीयत खराब हुई तो कॉलेज छोड़ दिया। मैंने पारंपरिक तरीका नहीं अपनाया। मैंने कोई रुटीन फॉलो नहीं किया। 12वीं के बाद तीन साल पढ़ाई छोड़ दी थी। ग्रेजुएशन के बाद दो साल पढ़ाई छोड़ दी थी। पिता जी धरने पर बैठ जाते थे। मेरे पिता ने खाना-पीना सब छोड़ दिया। मैंने वो सब गलत काम किए जो एक युवा कर सकता है। 12वीं के बाद आपने पढ़ाई छोड़ दी और आप डॉक्टर के बेटे हैं।’
रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आगे बताया, ‘किस्मत अच्छी रही कि यूएन में फिर नौकरी मिल गई। राबड़ी जी सीएम थीं और बिहार में पोलियो बहुत ज्यादा था। कोई जाने को तैयार नहीं था तो मैंने कहा कि मुझे भेज दो। इंडिया ऑफिस के बाद अमेरिका चले गए। वहां कोई मजा नहीं आ रहा था। इटली के सज्जन ने मुझे अफ्रीका के एक देश में भेज दिया। मेरे पिता बताते थे कि मेरा बेटा अफ्रीका में है तो लोग पूछते थे साउथ अफ्रीका में है? लेकिन वो अलग देश था। आमतौर पर मैं ज्यादा अपनी निजी चीजों के बारे में बताता भी नहीं हूं क्योंकि सुरक्षा का विषय होता है।’