शिक्षा और बौद्धिक विकास के साथ-साथ मनुष्य में धैर्य की कमी का दायरा बढ़ता जा रहा है। यह आधुनिक जीवनशैली, तनाव और त्वरित संतुष्टि की चाहत का नतीजा है। यह गुस्सा, निराशा और नकारात्मकता का कारण बन सकता है, जो जीवन में कई तरह की समस्याओं को जन्म देता है।

आगे बढ़ने के लिए धैर्य जरूरी

सफलता हासिल करने से लेकर पारिवारिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियों और रिश्तों में प्रगाढ़ता बनाए रखने के लिए धैर्य की जरूरत होती है। जब हम अपने जीवन में हर चीज को आवश्यक और मूल्यवान समझने लगते हैं, तो उसे हासिल करने के प्रयास में जुट जाते हैं। ऐसे में जरूरत से ज्यादा व्यस्तता कई बार हमें अधीर बना देती है। अगर हम एकाग्र मन एवं बिना किसी चिंता के अपने रास्ते पर चलते रहें, तो उन दबावों के दौरान ज्यादा धैर्य रख सकते हैं, जो सफलता की प्रक्रिया में जरूरी है।

तनाव से बचें

आज की भाग-दौड़ भरी दुनिया में हर चीज को तुरंत पाने की चाहत से उपजा तनाव भी व्यक्ति को अधीर बना रहा है। जल्दबाजी में प्रतिक्रिया देना और तत्काल परिणाम की चाहत हमारी इच्छाशक्ति को भी कमजोर करता है। दरअसल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में हम तुरंत परिणाम देखने के आदी होते जा रहे हैं, जिससे धैर्य का स्तर कम हो रहा है। ऐसे में घर-परिवार, समाज और कार्यालय परिसर में आपसी सामंजस्य बनाए रखना बेहद जरूरी है।

किसी भी कार्य को करने से पहले उस पर गहन सोच-विचार कर लेना चाहिए, इससे गलतियों की संभावना कम होती है और सफलता की उम्मीदें बढ़ जाती हैं। इससे मन में सकारात्मक भाव पैदा होता है, जो तनाव को दूर रखता है और धैर्य खुद ही पनपने लगता है।

कारण को पहचानें

कई बार पारिवारिक सदस्यों, दोस्तों या किसी परिचित से बातचीत के दौरान किसी विषय का जिक्र करते ही हम अधीर हो जाते हैं और यहां तक कि अपना आपा तक खो देते हैं। यह तब होता है, जब हम किसी चीज को लेकर अपने मन में एक धारणा बना लते हैं। जब भी कोई इसके विपरीत बात करता है तो हमारा धैर्य जवाब दे देता है।

ऐसे में जरूरी है उन परिस्थितियों और कारणों को पहचानने की, जो हमारे धैर्य को कमजोर करते हैं। अधीरता जीवन के हर पहलू में स्व-प्रेरित समस्याओं का एक कुटिल रूप है, जो अक्सर खुशी के भाव को समाप्त कर देता है।

सफलता की सीढ़ी

अधीरता के क्षणों में हम मित्र, जीवनसाथी, सहकर्मी, परिवार के सदस्य और माता-पिता के रूप में भी काफी अप्रभावी होते हैं। यह अक्सर प्रतिशोध, व्यंग्य और आलोचनात्मक दृष्टिकोण के साथ-साथ जीवन को नुकसान पहुंचाने वाले कई अन्य व्यवहारों का स्रोत होता है। जबकि रचनात्मक होने और समस्याओं से निपटने की हमारी क्षमता ही हमें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यवान बनाती है।

 योजना या अपेक्षा के अनुसार कोई कार्य नहीं होने पर हमारे धैर्य की परीक्षा होती है। जो इस परीक्षा में सफल होता है, वह कामयाबी की सीढ़ियां खुद तैयार करने में सक्षम होता है। अपने भीतर थोड़ी सी सतर्कता लाने से हम उन परिस्थितियों से पार पाने में सक्षम हो सकते हैं, जो हमें सबसे ज्यादा निराश करती हैं। यही सतर्कता हमें धैर्य बनाए रखने में भी मदद करती है।