देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज तीसरी पुण्यतिथि है। पीएम नरेंद्र मोदी ने वाजपेयी की समाधि ‘सदैव अटल’ पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। अटल बिहारी वाजपेयी की गिनती देश के बेबाक नेताओं में होती है। अटल बिहारी कई मौकों पर अपनी ही पार्टी के नेताओं की टिप्पणी को गलत ठहरा देते थे। एक ऐसा ही मौका तब आया था जब अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी द्वारा सोनिया गांधी पर की गई टिप्पणी को बिल्कुल गलत बताया था।

साल 2004 में चुनाव प्रचार के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें राजदीप सरदेसाई पूछते हैं, ‘राजनीति में अक्सर निजी हमले किए जाते हैं। सोनिया गांधी को आपकी पार्टी के नेता नरेंद्र मोदी और विनय कटियार ने विदेशी मूल का बताया है। क्या आपको लगता है उन्होंने गलत कहा?’ वाजपेयी इस पर बिना कुछ सोचे कहते हैं, ‘हां, उन्हें बिल्कुल ऐसा नहीं कहना चाहिए था।’

राजदीप एक और सवाल पूछते हैं, ‘आपके मना करने के बावजूद पार्टी के नेता ऐसी टिप्पणी करते हैं। क्या आपको नहीं लगता कि इसका चुनाव पर बुरा असर होता है?’ अटल बिहारी इसके जवाब में कहते हैं, ‘ये सच है कि मना करने के बाद भी ये बातें दोहराई जाती हैं वो तो और भी ज्यादा खेदजनक हैं। सोनिया गांधी का विदेश मूल के होने का मुद्दा तो बन गया है। अब उसको विवाद का विषय बनाकर हल किया जाए तो बात अलग है।’

अटल बिहारी वाजपेयी आगे कहते हैं, ‘विदेशी मूल का मुद्दा सोनिया जी से जुड़ गया है, ये और भी ज्यादा खेदजनक है। उनके विदेश होने की बात बीजेपी ने नहीं बल्कि एनसीपी ने सबसे पहले कही थी। अगर कांग्रेस के दो हिस्से न होते तो ये मुद्दा इतना बड़ा नहीं होता। हम ऐसा कोई कानून लाने से पहले संसद में चर्चा करेंगे कि देश की शीर्ष गद्दी किसी विदेशी मूल के नागरिक को देनी चाहिए या नहीं? उसके बाद में ही इस पर फैसला लिया जाएगा।’

एक वोट से गिर गई थी सरकार: साल 1996 में पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि वह लोकसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे तो सरकार 16 दिन में गिर गई थी। 1998 में वाजपेयी एक बार फिर पीएम बने, लेकिन जयललिता की पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया जिससे एक बार फिर सरकार गिर गई। कारगिल और परमाणु परीक्षण के दम पर 1999 में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को बहुमत मिला और वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि साल 2004 में हुए चुनाव में एनडीए से ज्यादा सीटें यूपीए को मिली थीं और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे।