बिहार के मुंगेर में प्रतिमा विसर्जन के दौरान श्रद्धालुओं पर कथित तौर पर हुई पुलिसिया कार्रवाई का मामला गरमा गया है। बिहार चुनाव के बीच हुई इस घटना को लेकर एक तरफ विपक्षी पार्टियां राज्य सरकार पर निशाना साध रही हैं, तो स्थानीय जिला प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। खासकर मुंगेर के जिलाधिकारी रहे राजेश मीणा और एसपी लिपि सिंह निशाने पर थे। चुनाव आयोग ने दोनों अधिकारियों को हटा दिया है।

कौन हैं राजेश मीणा? : मुंगेर के जिलाधिकारी रहे राजेश मीणा काफी तेज-तर्रार अधिकारी माने जाते हैं। मूल रूप से राजस्थान के दौसा के रहने वाले मीणा को पिछले साल फरवरी में मुंगेर का जिलाधिकारी बनाया गया था। उनकी पहचान एक ऐसे अधिकारी के तौर पर है जो खुद जमीन पर उतरकर मुद्दों को हल कराने में विश्वास रखता है। मुंगेर में अपनी तैनाती के ठीक बाद ही वे सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करने पहुंचे और मिड डे मील के अंतर्गत मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता जांचने के लिए खुद कतार में बैठकर भोजन किया।

मीणा ने 2011 में दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 316वीं रैंक हास‍िल की थी। 15 अगस्‍त, 1987 को जन्‍मे मीणा को ट‍िकट जमा करने का शौक है। वह मूल रूप से दौसा के हैं, लेक‍िन उनका यूपी से करीब का नाता है। उन्‍होंने पढ़ाई भी एनआईटी, इलाहाबाद से की है। वे खाली वक्त में उपन्यास पढ़ना पसंद करते हैं। उन्हें कविताएं भी पसंद हैं और खुद कविताएं लिखते भी हैं। बकौल राजेश मीणा, वे खाली वक्त में वीर रस और करुण रस की कविताएं लिखते हैं। पिछले साल ही बिहार सरकार ने उन्हें ‘मेधा दिवस’ पर सम्मानित किया था।

‘आत्मरक्षा में कार्रवाई करनी पड़ी’ : मुंगेर में श्रद्धालुओं पर हुई पुलिसिया कार्रवाई और इसको लेकर मचे सियासी घमासान के बीच डीएम रहे राजेश मीणा ने भी अपना पक्ष रखा है। बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजेश मीणा ने कहा कि प्रतिमा विसर्जन के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया था। वे पत्थर भी फेंक रहे थे। ऐसी स्थिति में पुलिस को आत्मरक्षा के लिए कार्रवाई करनी पड़ी।

आरोपों पर क्या बोले मीणा?: मुंगेर घटना को लेकर जिला प्रशासन पर लग रहे तमाम आरोपों के राजेश मीणा का कहना है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है, जल्द ही सच्चाई सामने आ जाएगी। अभी हमारा पूरा ध्यान शांतिपूर्वक तरीके से चुनाव संपन्न कराने पर है।