Muharram 2020 Images, Quotes, Status, Messages: इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने यानी मुहर्रम के दसवें दिन रोज-ए-अशुरा पड़ता है। मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन हजरत इमाम हुसैन कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए थे। मुहर्रम के दसवें दिन मुस्लिम समुदाय के लोग हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए अपना ग़म जताते हैं। अपने-अपने तरीके से उन्हें याद करते हैं। मान्यताओं के मुताबिक हजरत इमाम हुसैन पैगम्बर मोहम्मद के नाती थे। इस्लाम की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राणों की भी चिंता नहीं की।
उन्हें इस्लाम के रक्षक का दर्जा भी दिया जाता है और दुनियाभर में मुहर्रम के दौरान उनकी शहादत को याद किया जाता है। खासकर शिया समुदाय के लोग 10 वें मुहर्रम के दिन काले कपड़े पहनकर हुसैन और उनके परिवार की शहादत को याद करते हैं। इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए सड़कों पर जुलूस निकाला जाता है और मातम मनाया जाता है। इस साल मुहर्रम के मौके पर आप सोशल मीडिया के जरिए अपनों दोस्तों और रिश्तेदारों को कोट्स शेयर कर उन्हें इस दिन से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण बातों की जानकारी दे सकते हैं…
1. “करबला को करबला के शहंशाह पर नाज है,
उस नवासे पर मोहम्मद को नाज़ है,
यूँ तो लाखों सर झुके सजदे में लेकिन,
हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है.”
2. “यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,
कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,
महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का…”
3. “सजदे से करबला को बंदगी मिल गयी…
सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी…
एक चमन फातिमा का उजड़ा,
मगर सारे इस्लाम को ज़िन्दगी मिल गयी..”
4. “वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया..
घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया..
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम..
उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम…”
5. “नज़र गम है नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है,
बगैर उनके नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है,
नबी कहते थे अक्सर के अक्सर ज़िक्र-ए-हैदर से,
मेरे कुछ जान निसारों को बड़ी तकलीफ होती है…”