Meerabai Jayanti 2024: मीराबाई का नाम तो आपने सुना ही होगा। मीराबाई अपनी कृष्ण भक्ति के लिए दुनियाभर में विख्यात हैं। आज उनका जन्मदिन है। माना जाता है कि आश्विन मास की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा के दिन ही मीराबाई का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन पर हर कृष्ण मंदिर की खास प्रकार से सजावट की जाती है। आज के दिन कृष्ण की नगरी फूलों से सज जाती है और फिर सुंदर संगीत और भक्तिमय नृत्य के साथ कृष्ण की भक्ति की जाती है। तो आइए आज के दिन याद कर लेते हैं कृष्ण की इस खास भक्त को।
मीराबाई जयंती का इतिहास और महत्व-Meerabai Jayanti 2024 history day significance
मीराबाई को भगवान कृष्ण की परम भक्त माना गया है। वह 16वीं सदी की कवयित्री थीं जो कृष्ण के भजन गायन में लगी रहती है। लेकिन, असल में वह एक राजकुमारी थीं जिनका जन्म साल जोधपुर, राजस्थान के राजा रतन सिंह के घर 1498 में हुआ था। विवाह की उम्र होने पर मीराबाई की शादी मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से कर दी गई थी।
अमृत बना विष
पर शादी के बाद भी उनका मन कृष्ण में रमा रहता था और वे कृष्ण मंदिरों में जाकर नृत्य करती जो उनके घर वालों को भी अच्छा नहीं लगता था। एक बार मीराबाई के देवर राणा विक्रमाजीत ने उन्हें विष का प्याला भेजा जिसे मीराबाई ने पी लिया पर इसका उनपर कोई प्रभाव न दिखा और वो विष अमृत बन गया।
वृंदावन को आज फूलों से सजा दिया जाता है
पति के मृत्यु के बाद मीराबाई वृंदावन आ गई थीं। वह शाहबिहारी मंदिर के पास सालिगराम मंदिर में रहता करती थीं औ वहीं कृष्ण भक्ति करती थीं। इसके बाद एक दिन वो द्नारिका चली गईं और माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति करते हुए एक दिन उनकी मूर्ति में समा गईं।
मीरा बाई की कविताएं-Mirabai poems in hindi
बसो मेरे नैनन में नंदलाल…..
बसो मेरे नैनन में नंदलाल।
मोहनी मूरत, साँवरी सूरत, नैना बने बिसाल।
अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती माल॥
छुद्रघंटिका कटितट सोभित, नूपुर सबद रसाल।
मीरां प्रभु संतन सुखदाई भगत बछल गोपाल॥
हरि बिन कूण गति मेरी…..
हरि बिन कूण गति मेरी।
तुम मेरे प्रतिकूल कहिए मैं रावरी चेरी॥
आदि अंत निज नाँव तेरो हीया में फेरी।
बेरी-बेरी पुकारि कहूँ प्रभु आरति है तेरी॥
यौ संसार विकार सागर-बीच में घेरी।
नाव फाटी प्रभु पालि बाँधो बूड़त है बेरी॥
विरहणि पिव की बाट जोवै राखि ल्यौ नेरी।
दासि मीरा राम रटन है मैं सरण हूँ तेरी॥