Maharishi Valmiki Jayanti 2019 quotes, wishes, messages, sms, shayari: महर्षि वाल्मीकि, जिन्होंने महान ग्रंथ रामायण की रचना की थी। आज उनकी जयंती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिन्हें दुनिया महर्षि और संत के तौर पर जानती है दरअसल पहले एक डाकू थे। लूटपाट किया करते थे। फिर अचानक जब ये राम की शरण में गए तो ऐसी राम धुन लगी कि उन्होंने एक ग्रंथ की ही रचना कर डाली। भगवान राम पर लिखी ये पहली काव्य रचना कही जाती है। संस्कृत में लिखी इस काव्य रचना में 24,000 श्लोक हैं जो 7 ‘कांड’ में विभाजित हैं।

वाल्मीकि नाम क्यों पड़ा?
वाल्मीकि एक डाकू थे और उनका पालन पोषण एक भील जाति में हुआ था। पुराणों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि बचपन में वाल्मीकि को एक भीलनी ने चुरा लिया था और अपने वहां ही उनका पालन पोषण किया। बाद में वह एक डाकू बन गए थे।

वाल्मीकि जयंती का महत्व:
वाल्मीकि जयंती का दिन हिंदू धर्म में बहुत धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह महर्षि वाल्मीकि के अद्वितीय योगदान का जश्न मनाते हैं। उन्होंने कुछ अविश्वसनीय रचनाएं लिखी थीं जिनमें रामायण और कई अन्य पुराण शामिल हैं। वाल्मीकि जयंती का उत्सव एक महान संत को श्रद्धांजलि है जिन्होंने अपनी सीमाओं को जीत लिया और अपनी शिक्षाओं के माध्यम से जनता को सामाजिक न्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने भगवान राम के मूल्यों का प्रचार किया और उन्हें तपस्या और परोपकार के व्यक्ति के रूप में मान्यता दी।

आइए वाल्मीकि जयंती पर उनके द्वारा भगवान राम पर रचित उनके ही महाकाव्य के चंद श्लोकों के माध्यम से प्रभु श्री राम के गुणों का प्रसार करें। अपने दोस्तों और परिवार वालों से राम की महिमा का बखान करें…

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।’
महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं

‘कवन सो काज कठिन जग माही।
जो नहीं होइ तात तुम पाहीं।।’
महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
 ‘सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना।
सरनागत बच्छल भगवाना।।’
महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
काम, क्रोध, मद, लोभ, सब, नाथ नरक के पंथ,
सब परिहरि रघुबीरहि, भजहुँ भजहिं जेहि संत।।
महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी,
निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना॥
महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
आगें कह मृदु बचन बनाई। पाछें अनहित मन कुटिलाई॥
जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई॥
महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं

मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥
काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा॥
महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं

सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहुँ मुनिनाथ,
हानि, लाभ, जीवन, मरण,यश, अपयश विधि हाँथ।।
महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं