Hemoglobin levels in pregnant women: मातृत्व एक महिला के जीवन के सबसे खूबसूरत अनुभवों में से एक है, जिसमें वह हर पल शारीरिक और मानसिक रूप से अनुभव करती है। गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। उनमें से कुछ सरल हैं और कुछ सावधान हैं। गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं हर महिला में अलग-अलग हो सकती हैं । लेकिन जरूरी है कि समय रहते इस पर ध्यान दिया जाए और जल्द से जल्द इसका समाधान निकाला जाए। इसी तरह, गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को कम हीमोग्लोबिन की समस्या हो जाती है । अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह गंभीर समस्या बन सकती है। इस बारे में पुणे की टेस्ट ट्यूब बेबी कंसल्टेंट और स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुप्रिया पुराणिक से जानते हैं-

डॉक्टर सुप्रिया पुराणिक के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन का सामान्य रहना बहुत जरूरी है, गर्भावस्था के दौरान हमारे ब्लड की मात्रा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, ब्लड में 2 कम्पोनेन्ट होते हैं जिन्हें ब्लड सेल्स और प्लाज्मा कहते हैं। लाल रक्त कोशिकाओं की तुलना में प्लाज्मा अधिक बनता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन का स्तर कम होता है।

हीमोग्लोबिन क्या है?

हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक आवश्यक प्रोटीन है, जो रक्त में ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है। अध्ययनों के अनुसार बच्चों में हीमोग्लोबिन का स्तर 11 ग्राम डीएल होना चाहिए। जबकि वयस्क पुरुषों में इसका स्तर 14 DL और महिलाओं में 12 DL तक होना चाहिए। अगर आपके शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर इससे कम है तो यह आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकता है।

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गर्भावस्था में हीमोग्लोबिन की कमी क्यों होती है?

डॉक्टर सुप्रिया पुराणिक के अनुसार गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन कम होने का एक साधारण सा कारण है। चूंकि गर्भावस्था के दौरान खून में पानी की मात्रा बढ़ जाती है इसलिए खून पतला हो जाता है। वहीं, जैसे-जैसे खून पतला होता जाता है, ये कम होने लगते हैं। तो स्वाभाविक रूप से हीमोग्लोबिन कम होने लगता है। कुछ लोग सोचते हैं कि गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी हीमोग्लोबिन में कमी का कारण बनती है। विशेषज्ञों की मानें तो शरीर में आयरन की कमी का गर्भावस्था से कोई लेना-देना नहीं है। ब्लड प्लाज्मा में वृद्धि के कारण RBC की हानि हीमोग्लोबिन में कमी का कारण है।

गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन की मात्रा कितनी होनी चाहिए?

डॉक्टर सुप्रिया पुराणिक के अनुसार गर्भावस्था की पहली तिमाही और तीसरी तिमाही के दौरान हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 से ऊपर होनी चाहिए, जबकि दूसरी तिमाही के दौरान हीमोग्लोबिन की मात्रा 10.5 से ऊपर रहनी चाहिए, अगर हीमोग्लोबिन की मात्रा इससे कम रहता है। इसे एनीमिया कहते हैं, जिसका मतलब है कि शरीर में खून की मात्रा कम बनी रहती है।

डिलीवरी के समय हीमोग्लोबिन की अच्छी मात्रा बनाए रखना आवश्यक है क्योंकि डिलीवरी के समय बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है और यदि इसमें आपका हीमोग्लोबिन पहले से ही कम है तो आपको बाहर से रक्त चढ़ाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही मां की स्थिति गंभीर होने और संक्रमण होने की संभावना हो सकती है, ब्लड में छोटे-छोटे रक्त के थक्के हो सकते हैं।

कम हीमोग्लोबिन के लक्षण कौन-कौन से हैं?

जब पोषक तत्वों की कमी के कारण रक्त में पानी का स्तर बढ़ जाता है, तो आमतौर पर हीमोग्लोबिन कम हो सकता है। ऐसी स्थिति में शरीर में कमजोरी, अक्सर थकान या कमजोरी महसूस होना और खून की कमी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

क्या हीमोग्लोबिन स्वाभाविक रूप से बढ़ाया जा सकता है?

डॉक्टरों के मुताबिक शरीर में नया हीमोग्लोबिन बनाने के लिए शरीर को आयरन की जरूरत होती है। क्‍योंकि शरीर में जरूरी पोषक तत्‍व पहले से ही मौजूद होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार प्राकृतिक रूप से हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए हमें आयरन से भरपूर भोजन का सेवन बढ़ाना चाहिए। इसके लिए आप भरपूर मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, बथुआ, मेथी का सेवन कर सकते हैं। जबकि मांसाहारी मांस और चिकन का सेवन कर सकते हैं। खजूर और अंजीर जैसे सूखे मेवों का सेवन करने से भी शरीर में आयरन की पूर्ति होती है। साथ ही गुड़ खाना, लोहे की कड़ाही में खाना पकाना भी एक अच्छा उपाय हो सकता है।