Diabetes & Infertility: हाई ब्लड शुगर या मधुमेह कई स्वास्थ्य बीमारियों का कारण बन सकता है, न केवल यह हृदय, ब्लड वेसेल्स, आंखों, गुर्दे और तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है, हाई ब्लड शुगर सीधे व्यक्ति के प्रजनन स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। यदि आप बच्चा पैदा करने की योजना बना रही हैं; तो गर्भधारण, गर्भावस्था की अवधि और प्रसव के दौरान किसी भी समस्या से बचने के लिए ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना महत्वपूर्ण है।
हाई ब्लड शुगर और इंफर्टिलिटी
मधुमेह लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है; यह न केवल आपके शुगर/ग्लूकोज को पचाने के तरीके को प्रभावित करता है। बल्कि भोजन से एनर्जी बनाने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करती है। इसका प्रभाव शरीर के सभी अंगों में आंखों से लेकर त्वचा तक देखा जा सकता है। अगर रक्त शर्करा को नियंत्रित नहीं रखा जाता है तो इन्फेक्शन और गैंग्रीन होने की संभावना बढ़ जाती है और इससे आपकी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है।
मुंबई की नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी की फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ रितु हिंदुजा के मुताबिक मधुमेह के कारण बांझपन आमतौर पर पुरुषों और महिलाओं दोनों में देखा जाता है। बांझपन का मतलब गर्भधारण के प्रयास के एक साल बाद भी गर्भ धारण करने में असमर्थता है। मधुमेह गर्भवती होने और सफलतापूर्वक बच्चा पैदा करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। यह हार्मोनल व्यवधान का कारण बनता है जो बदले में विलंबित या असफल गर्भाधान का कारण बन सकता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) टाइप I और II मधुमेह वाली महिलाओं से जुड़ा हो सकता है। इससे ओलिगोमेनोरिया (अनियमित मासिक धर्म) या सेंकडरी एमेनोरिया (पीरियड्स का न होना) हो सकता है।
Relationship during pregnancy : गर्भावस्था के दौरान संबंध बनाया जा सकता है? जानें डॉक्टर की सलाह
वाराणसी में क्रिस्टा आईवीएफ में एमबीबीएस, एमएस और इंफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ तुषारिका राय के मुताबिक डायबिटीज आईवीएफ़ के सक्सेस रेट को अफेक्ट कर सकता है। डायबिटीज अगर कंट्रोल में नहीं है तो यह एग और स्पर्म क्वालिटी को प्रभावित कर सकता है। इसके लिए डायबिटीज को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। सिमेन आपको नियमित रूप से दवाई लेनी होगी, यदि दवा के सेवन से ठीक हो जाता है तो बढ़िया है; नहीं तो आपको स्ट्रेस मैनेजमेंट, वेट लॉस, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना चाहिए।
डायबिटीज के मरीज IVF Treatment कैसे कराये?
डॉक्टर तुषारिका के मुताबिक कुछ कपल्स को पता ही नहीं होता है उन्हें डायबिटीज है, ऐसे में आईवीएफ़ सफल नहीं होता है। कुछ लोगों का पूछना है कि क्या डायबिटीज में हम आईवीएफ़ करवा सकते हैं तो इसका उत्तर है, बिल्कुल नहीं! यदि डायबिटीज कंट्रोल नहीं रहता है तो आईवीएफ़ में कई सारे इन्जेक्शन लगते हैं जिससे इन्फेक्शन खतरा बना रहता है। इसके अलावा एग और स्पर्म के क्वालिटी बहुत खराब मिलते हैं, यदि अच्छे एंब्रियो मिल भी जाते हैं तो हो सकता है कि प्लांटेशन के समय बच्चेदानी में वह चिपके या नहीं यह ब्लड शुगर के कंट्रोल पर निर्भर करता है।
इनफर्टिलिटी से जूझ रहे कपल्स लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव
डॉक्टर रितु हिंदुजा के मुताबिक अगर आपके साथी को मधुमेह है, तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। जरूरी नहीं कि मधुमेह हमेशा बांझपन की ओर ले जाए। एआरटी तकनीक से बांझपन से जूझ रहे जोड़ों को काफी हद तक मदद मिल सकती है। इसलिए गर्भ धारण करने से पहले, कपल्स को बताई गई सीमा के भीतर ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखना सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अलावा आपके बीएमआई और शरीर के वजन को गर्भाधान के लिए आदर्श होना चाहिए, दैनिक व्यायाम करें, जंक फूड्स, फ्राइड फूड्स, प्रोसेस्ड और डिब्बाबंद आहार की जगह विशेष रूप से संतुलित आहार लें।
भोजन, धूम्रपान और शराब छोड़ें, डॉक्टर की सलाह के अनुसार सप्लीमेंट लें, पर्याप्त आराम करें और तनाव मुक्त रहें। नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए जाएं अपने डॉक्टर के पास जाएं। यदि गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे हैं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से बात करें ताकि वे आपको वो दवाएं दें जो गर्भावस्था में सुरक्षित हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए सख्त जरूरी हैं।