Lal Bahadur Shastri Jayanti 2020, लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय: ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा देने वाले देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज जयंती है। 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्में शास्त्री जी कहा करते थे कि “हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं।” तेज दिमाग के धनी लाल बहादुर ने स्नातक करने के बाद काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि हासिल की थी। इसके उपरांत ही उन्होंने अपने नाम के साथ शास्त्री लगाना शुरू कर दिया था। गांधी जी से बेहद प्रभावित शास्त्री जी भी सादा जीवन जीने में विश्वास रखते थे। असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो जैसे आंदोलनों में उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कब बने देश के पीएम: पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के देहावसान के बाद शास्त्री जी को उनकी साफ-सुथरी छवि के कारण प्रधानमंत्री चुना गया था। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक भारत के पीएम बने रहे। प्रधानमंत्री रहते हुए ही शास्त्री जी का देहांत हो गया था। उनके कार्यकाल के दौरान ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया था। शास्त्री जी ने ऐसे में बेहतरीन नेतृत्व क्षमता का उदाहरण पेश किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी।
जय जवान-जय किसान का दिया नारा: जिस समय शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने थे, उस दौरान देश में खाने की कई चीजें आयात की जाती थीं। PL-480 स्कीम के तहत भारत उत्तरी अमेरिका पर निर्भर था। 1965 में जब पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध शुरू हुआ तो देश में भयानक सूखा पड़ा था। स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री शास्त्री ने सभी भारतवासियों से आह्वान किया था कि वो एक दिन का उपवास रखें। इसी दौरान उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था। इसके अलावा, उन्होंने दूध के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ‘श्वेत क्रांति’ और खाद्य उत्पादन के लिए हरित क्रांति को भी बढ़ावा दिया था।
निजी जीवन: पूर्व मध्य रेलवे इंटर कॉलेज मुगलसराय और वाराणसी में पढ़ाई पूरी करने के बाद, शास्त्री जी सर्वेंट्स ऑफ द पीपुल सोसाइटी (लोक सेवक मंडल) के आजीवन सदस्य बने। इस समिति का गठन लाला लाजपत राय ने किया था। सन् 1928 में 16 मई को वो ललिता देवी के साथ परिणय सूत्र में बंधे। एक किस्से में इस बात का जिक्र मिलता है कि आजादी की लड़ाई के दौरान शास्त्री जी को 9 साल जेल में बिताना पड़ा था। एक बार उनकी पत्नी शास्त्री जी के लिए छुपाकर 2 आम ले गईं। इस बात से गुस्सा होकर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि कैदियों को जेल के बाहर की कोई चीज खाना कानून के खिलाफ है।