उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के कुंडा से बाहुबली विधायक राजा भैया ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। हाल ही में वह अयोध्या पहुंचे थे और उन्होंने साफ कर दिया था कि वह समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करेंगे। इसके अलावा राजा भैया यूपी के ऐसे नेता हैं जो अक्सर किसी न किसी वजह से चर्चा में रहते हैं। एक बार उनकी मां मंजुलाराजे ने इस पर कहा था कि शायद ये उसकी किस्मत में ही लिखा है।

मंजुलाराजे ने ‘BBC’ से बात करते हुए साल 2017 में कहा था, ‘मेरे बेटे की खराब छवि के लिए मीडिया जिम्मेदार है। लोकल टीवी चैनलों पर उन्हें घुड़सवारी करते हुए दिखाया था। यहां तक कि मगरमच्छ को खाना खिलाते हुए उसकी फर्जी तस्वीर तक शेयर की गई थी। मतलब उसकी छवि एक तरह से जान बूझकर निगेटिव ही दिखाई गई। मुझे इसके बारे में तो कोई जानकारी नहीं है कि वह रघुराज के खिलाफ क्यों हैं, शायद ये उसकी किस्मत में ही लिखा है।’

राजा भैया की मां मंजुलाराजे ने कहा था कि अपने समर्थकों के लिए रघुराज प्रताप सिंह एक बेदाग छवि वाले नेता हैं और उनके ऊपर लगे सभी आरोप झूठे ही साबित होते हैं। गांव के ही एक प्रधान ने बताया था कि उनके पिता गांव के राजा थे। प्रिवी पर्स खत्म होने से पहले तक गांव के लोगों पर उनका रौब रहा है। बाद में भी वह एक शासक के रूप में ही रहे हैं। यही वजह है कि कुंडा की जनता उन्हें हमेशा अपना नेता ही मानती है।

लगातार जीत: राजा भैया के परिवार के इलाके में वर्चस्व का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वह सात बार कुंडा से निर्दलीय विधायक चुने गए हैं। उन्होंने साल 1993 में पहली बार राजनीति में कदम रखा था। पहले ही चुनाव में वह निर्दलीय विधायक चुने गए थे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुढ़कर नहीं देखा और लगातार जीत ही हासिल करते रहे। साल 2017 के चुनाव में उन्होंने एक तरफा जीत हासिल की थी।

कुंडली को दोष: राजा भैया के राजनैतिक जीवन का विवादों से भी बहुत पुराना नाता रहा है। एक बार उनसे पूछा गया था कि आखिर ऐसा क्यों है तो उन्होंने कहा था कि शायद मेरी कुंडली में ही दोष है। राजा भैया ने ये बात डीएसपी जिया-उल-हक की हत्या का षड्यंत्र रचने के आरोपों के बाद कही थी। हालांकि इस मामले में उन्हें सीबीआई ने क्लीनचिट दे दी थी।