Kojagara Puja 2024: कोजागरा त्योहार बंगाल और बिहार का एक बड़ा त्योहार है। इस बार कोजागरा का त्योहार (Kojagiri Purnima 2024 date and time) 16 अक्टूबर 2024 यानी शरद पूर्णिमा के दिन रात में 11:42 पर शुरू होगी और 12:32 के बीच होगी। ये त्योहार काफी खास माना जाता है क्योंकि इस दिन गृहलक्ष्मी की पूजा होती है। इस दिन लोग मां लक्ष्मी की पूजन के साथ घर आई नई बहू की भी पूजा करते हैं और नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देते हैं। इस त्योहार में मखाने का अपना खास महत्व है और इससे कई सारी चीजें बनाई जाती हैं। तो आइए जानते हैं इस त्योहार से जुड़ी छोटी-बड़ी बातें विस्तार से।

कोजगरा क्यों मनाया जाता है-Kojagiri Purnima 2024 Importance

कोजगरा पूजा पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा और बिहार का लोकत्योहार है। दरअसल, इस त्योहार के पीछे मान्यता ये है कि इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इसलिए इस दिन लोग व्रत करते हैं और फिर माता लक्ष्मी की पूजा (kojagari laxmi puja 2024) करते हैं। इस दौरान माता लक्ष्मी के अन्नपूर्णा रूप की पूजा होती है और लोग अपने घर की नई बहू की भी पूजा करते हैं और परिवार नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देता है।

मखाना बांटने की है परंपरा-Importance of makhana in Kojagiri Purnima

मखाना बांटने की परंपरा मिथिला से शुरू हुई है। मिथिला में ये परंपरा तब से शुरू हुई जब से भगवान राम के घर इस दिन माता सीता के घर से भार यानी उपहार के रूप में मखाना भेजा गया। भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक अनुष्ठानों में, मखाना को शुभ माना जाता है और ये लक्ष्मी फल है क्योंकि ये समुद्र से लक्ष्मी के साथ अवतरित हुआ है। ऐसा माना जाता है कि मखाना शुद्धता, उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक है और इसलिए कोजगरा त्योहार पर मखाना और मखाने से बनी चीजों को बांटा जाता है।

कोजगरा पर मखाने की खीर कैसे बनाएं-Makhane ki kheer recipe in hindi

-मखाने की खीर बनाने के लिए मखाने को पहले घी डालकर भून लें।
-जब मखाना भून लें तो इसमें से आधे मखाने को दरदरा करके पीस लें।
-इसके बाद दूध गर्म होने के लिए चढ़ा दें। इसमें केसर डाल लें।
-जब इसमें पहले दरदरा पीसे हुए मखाने को मिलाकर पकाएं।
-इसमें चीनी और ड्राई फ्रूट्स काटकर मिलाएं।
-केसर मिलाएं और फिर आखिरी में भूने हुए मखाने को डाल लें।
-इसके बाद 2 मिनट खीर और पकाएं और फिर गैस ऑफ करें और खीर को केले के पत्ते से ढक दें।

इस प्रकार से शरद पूर्णिमा के दिन बिहार और बंगाल में लोग इस प्रकार की खीर बनाकर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपने घर की बहू को उपहार देकर आदर करते हैं।