ईद का शुभ त्योहार रमजान की समाप्ति का प्रतीक है। एक धार्मिक परंपरा जहां मुसलमानों को खाना और पानी दोनों ही छोड़ना पड़ता है। शाम को चांद देखने के बाद वह खाना खाते हैं। वे इस्लामी लूनर कैलेंडर का पालन करते हैं, जहां अनुयायी शव्वाल महीने के पहले दिन ईदगाहों और मस्जिदों में ईद की नमाज अदा करते हैं। भारत में इस साल ईद मंगलवार, 4 जून को शाम से शुरू होगा और बुधवार, 5 जून शाम को समाप्त हो जाएगा। ईद का त्योहार अर्धचंद्र के दर्शन के बाद शुरू होता है। सुन्नत के अनुसार, लोग सुबह जल्दी उठते हैं और अपने रोज के नमाज को पढ़ते हैं।

फिर वे नहाते हैं और इफ्तार(इत्र) लगाते हैं। विशेष नमाज अदा करने से पहले अपना नाश्ता करते हैं जिसे सलात अल-ईद (ईद की नमाज) के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि पैगंबर मुहम्मद को इस महीने के दौरान पवित्र कुरान का पहला अवतरण प्राप्त हुआ था। ईद की सही तारीख न्यू मून और एस्ट्रोनॉमिकल कैल्कुलेशन के देखने के संयोजन पर निर्भर करता है।

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ईद के मौके पर लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं और फिर ढ़ेर सारी बधाई भी देते हैं। इस दिन को हर मुस्लिम परिवार बेहद धूम-धाम से मनाता है। नए कपड़ों के साथ-साथ अच्छे-अच्छे पकवान भी बनते हैं। ईद के दिन लोग अपनों को गिफ्ट्स भी देते हैं। साथ ही लोग अपने दोस्तों और करीबी रिश्तेदारों को अपने घर दावत पर बुलाते हैं।

मुसलमान रमजान का पालन कैसे करते हैं?
रमज़ान के पूरे दिन वयस्क मुसलमानों को रोज़ाना सुबह से शाम तक रोज़ा रखना पड़ता है। बीमार, बुजुर्ग, डायबेटिक, गर्भवती, मासिक धर्म या स्तनपान वाले लोगों को उपवास करने की आवश्यकता नहीं होती है। रमज़ान की अवधि के दौरान यात्रा करने वाले या अस्वस्थ रहने वाले लोग अलग-अलग दिनों में उपवास कर सकते हैं। बच्चों को उपवास करने की आवश्यकता नहीं होती है।